विश्व में प्रसिद्ध है जगन्नाथ मंदिर, जो पुरी,ओडिशा, भारत में स्थित है

विश्व में प्रसिद्ध है जगन्नाथ मंदिर, जो पुरी,ओडिशा, भारत में स्थित है,

जगन्नाथ मंदिर, जो पुरी, ओडिशा, भारत में स्थित है, विश्व में प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) को समर्पित है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख भगवानों में से एक हैं। इस मंदिर को विष्णु के एक अवतार, भगवान जगन्नाथ के निवास स्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है।जगन्नाथ मंदिर, पुरी, ओडिशा को चार द्वारों वाला मंदिर के रूप में भी जाना जाता है और इसे चार दिशाओं के द्वाराओं का प्रतीक माना जाता है। इन द्वारों का नाम सुन्दर द्वार, भुवनेश्वरी द्वार, सिंहद्वार और अश्वद्वार है। मंदिर का मुख्य गोपुरम (विमान) चार मंजिलों का होता है और इसकी ऊँचाई करीब 65 मीटर है।
जगन्नाथ मंदिर भारतीय साहित्य और संस्कृति के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का प्रतीक है। यह सन् 12वीं शताब्दी में बनाया गया था और बाद में विभिन्न समयों में निर्मिति और सुधार के लिए विकसित किया गया। मंदिर की संरचना कला, विज्ञान और साहित्य में महत्वपूर्ण मानी जाती है और यह ओडिशा की प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।मंदिर में हर साल रथयात्रा आयोजित की जाती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ विशेष रथों में निकाली जाती हैं और उन्हें उनके निवास स्थान से अन्य स्थानों तक ले जाया जाता है। इस रथयात्रा को हिंदू धर्म के एक प्रमुख त्योहार के रूप में मनाया जाता है और इसे देखने के लिए बहुत से प्रवासी और भक्त इस मंदिर की यात्रा करते हैं।
Jagannath Temple is famous in the world, which is located in Puri, Odisha, India.

जगन्नाथ मंदिर, पुरी, ओडिशा की कथा (story)

कल्युग (Kalyug) के पूर्वांत में राजा इंद्रध्युम्न (Raja Indradyumna) नामक धर्मिक और धनी राजा ओडिशा के प्राचीन नगरी अवंतिका (Avantika) में शासन करते थे। एक दिन उन्हें आदिपुरुष श्रीकृष्ण के स्वयं विग्रह (idol) का ज्ञान मिला और उन्हें इच्छा हुई कि वे भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) के मंदिर का निर्माण करें। इसके लिए उन्होंने अपने सभी समर्थ ब्राह्मणों को भगवान के मंदिर का निर्माण कार्य करने के लिए निमंत्रित किया।
वे ब्राह्मण विश्वकर्मा के रूप में प्रकट हुए और मंदिर के निर्माण का काम शुरू किया। लेकिन राजा इंद्रध्युम्न को भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को स्थापित करने के लिए एक विशेष बात यह जाननी थी, कि भगवान खुद उन्हें अपनी मूर्ति के स्थान की जानकारी दें। इसलिए वे मेंढापंडा (Mendhapanda) नामक ब्राह्मण से अपनी चिन्हित मूर्तियों के स्थान का रहस्य बहस करने के लिए कहें।
मेंढापंडा को राजा की इच्छा के लिए इस रहस्य को खोलने की अनुमति नहीं थी, लेकिन वह धार्मिकता के साथ भगवान की भक्ति का पालन करता था। अन्ततः, भगवान ने स्वयं राजा को स्वप्न में दिखाई दिया और उन्हें मूर्तियों के स्थान की जानकारी देने के लिए कहा। जगन्नाथ मंदिर के निर्माण के लिए राजा और ब्राह्मण ने भगवान के दिए गए निर्देशों के अनुसार मूर्तियों की स्थापना की।जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियां भी हैं। यह मंदिर भगवान की भक्ति और धार्मिकता के लिए एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और हर साल रथयात्रा त्योहार को यहां धूमधाम से मनाया जाता है।

जगन्नाथ मंदिर, पुरी,के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य (facts) 

  1. प्राचीन इतिहास: जगन्नाथ मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है, जिसका निर्माण क्रितयुग में हुआ था। यह मंदिर पूरी नगरी में स्थित है, जिसे भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों के साथ चार धामों में से एक माना जाता है।
  2. चार धाम मंदिर: जगन्नाथ मंदिर, पुरी, चार धाम मंदिरों में से एक है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। द्वारका (गुजरात), रामेश्वरम (तमिलनाडु) और बद्रीनाथ (उत्तराखंड) इन चार धामों के अन्य मंदिर हैं।
  3. अनोखी मूर्तियां: मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियां भी हैं। इन मूर्तियों के अनोखे और असामान्य रूप के कारण, मंदिर को विशेष पहचान मिलती है।
  4. रथयात्रा: हर साल जगन्नाथ मंदिर में रथयात्रा त्योहार का आयोजन होता है। इसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां विशेष रथों पर निकाली जाती हैं और उन्हें रथों में स्थानांतरित किया जाता है। यह त्योहार हिंदू धर्म के अन्य भक्तों के लिए एक बड़ी आकर्षणीय घटना है।
  5. दार्शनिक स्थल: जगन्नाथ मंदिर में साल के लगभग 20 लाख से अधिक भक्त आते हैं और भगवान की दर्शन करते हैं।
  6. बिना दिखाई दिए: जगन्नाथ मंदिर के भीतर, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा की मूर्तियों का सिर्फ ऊपरी भाग ही दिखाई देता है। उनके नीचे के भाग नहीं दिखाई देता, जिससे उनकी वास्तविक रूपरेखा दिखाई नहीं देती।
  7. भगवान की भोग: मंदिर में रोजाना भगवान जगन्नाथ के लिए भोग (महाप्रसाद) बनाया जाता है और इसे भक्तों को खिलाया जाता है। इस महाप्रसाद की खासियत है कि इसे वेजीटेरियन तरीके से बनाया जाता है और बिना प्याज-लहसुन और अदरक के बनाया जाता है।
  8. नीलगिरि दर्शन: एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा के अनुसार, रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ के नवयौवन देखने के लिए भगवान को नीलगिरि नामक वन्यजीवनी की यात्रा पर भेजा जाता है।
  9. चक्र के चिन्ह: भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों के हाथ में चक्र नामक विशेष चिह्न होता है, जो उनके विभूषण का हिस्सा है। यह चक्र विशेष रूप से दर्शकों को आकर्षित करता है।
  10. महाप्रसाद की मांग: जगन्नाथ मंदिर के महाप्रसाद को बहुत संख्या में लोग खरीदने के लिए तैयार रहते हैं। विशेष रूप से रथयात्रा के दौरान, लोग यह प्रसाद लेने के लिए लंबी कतारों में खड़े होते हैं।
ये थे कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जगन्नाथ मंदिर, पुरी, ओडिशा के बारे में। यह मंदिर भारतीय संस्कृति और धरोहर का महत्वपूर्ण स्थल है और देश-विदेश के लाखों भक्त यहां आते हैं और भगवान की भक्ति और दर्शन करते हैं।

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