उमामहेश्वर मंदिर के बारे में जानिए / Know about Ummaheshwar Temple

उमामहेश्वर मंदिर के बारे में जानिए 

उमामहेश्वर मंदिर महाराष्ट्र राज्य के मध्यमहाराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर उमामहेश्वर नदी के किनारे बसा हुआ है और मालकापूर जिले के उमापूर नगर में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे महाराष्ट्र के प्रमुख शिवालयों में से एक माना जाता है।उमामहेश्वर मंदिर का निर्माण गहरे पीले संगमरमर से किया गया है
और इसका निर्माण सन् 1100 ईसापूर्व के आस-पास किया गया था। मंदिर का आकार बड़ा और भव्य है और इसकी विशेषता उमामहेश्वर नदी के किनारे विस्तृत मार्ग द्वारा पहुंचने की है।मंदिर के भीतर एक बड़ा शिवलिंग स्थापित है, जिसे उमामहेश्वर शिवलिंग के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा, मंदिर में कई छोटे-छोटे मंदिर भी हैं जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित हैं।उमामहेश्वर मंदिर के आस-पास कई प्राकृतिक सौंदर्य स्थल भी हैं। यहां पर्वती नदी के उद्गम स्थल, काव्या नदीसंगमस्थलऔर उमामहेश्वर नदी के आस-पास की घाटियों का दृश्य आपको प्राकृतिक सुंदरता का आनंद देता है।यहां पर्यटक और श्रद्धालु वर्ष भर मंदिर में आते हैं, खासकर शिवरात्रि के दिन। मंदिर के पास कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
उमामहेश्वर मंदिर महाराष्ट्र की महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थलों में से एक है और इसे देखने के लिए दर्शनार्थी लोग यहां आते हैं।

एक प्रसिद्ध कथा महाराष्ट्र के उमामहेश्वर मंदिर से जुड़ी

एक प्रसिद्ध कथा महाराष्ट्र के उमामहेश्वर मंदिर से जुड़ी है। यह कथा भगवान शिव की महिमा को दर्शाती है।
कहा जाता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर उमामहेश्वर मंदिर में एक साधु रहता था। वह साधु भगवान शिव के पुराने योगी शिष्य थे और मंदिर में उनकी सेवा करते थे।
एक बार उन्हें अपने गुरु शिव की कृपा प्राप्त हुई और उन्हें यह ज्ञात हुआ कि वे शिव के दर्शन करने जा सकते हैं। यह खबर सुनकर वह साधु बहुत खुश हुए और शिव के दर्शन के लिए मंदिर की यात्रा पर निकले।रास्ते में, उन्हें एक गंभीर बीमारी हुई और उन्हें असहाय अवस्था में पड़नी पड़ी। वे चलने के योग्य नहीं रहे और जाने के बजाय मंदिर के एक पास की वटवृक्ष के नीचे बैठ गए।
जब शिव को यह देखा गया, तो वे उनके पास आएं और उनसे पूछा कि क्या उन्हें किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता है। साधु ने बताया कि उन्हें अपनी बीमारी के कारण चलने में असमर्थ हो गए हैं और वे मंदिर के दर्शन करने आए थे।शिव ने ध्यान से उनकी स्थिति को देखा और उन्हें उनकी बीमारी से छुटकारा दिलाने का फैसला किया। वे उनके पास आएं और उन्हें हाथ दिया। साधु ने शिव की कृपा प्राप्त की और वे फिर से स्वस्थ हो गए।
इस कथा से स्पष्ट होता है कि शिव मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की प्राथमिकता है और उनकी इच्छाओं की पूर्ति करना है। यह कथा महाराष्ट्र के उमामहेश्वर मंदिर की महिमा और भगवान शिव की अनन्य कृपा को दर्शाने का एक उदाहरण है।

 उमामहेश्वर मंदिर कुछ रोचक तथ्य हैं:

1. प्राचीनता: उमामहेश्वर मंदिर का निर्माण सन् 1100 ईसा पूर्व के आस-पास किया गया था, जिससे यह एक प्राचीन मंदिर है। इसका इतिहास लगभग 3000 साल पुराना माना जाता है।
2. स्थान: मंदिर उमामहेश्वर नदी के किनारे स्थित है, जो महाराष्ट्र के मध्यमहाराष्ट्र क्षेत्र में पाया जाता है। यह ग्रामीण क्षेत्र में स्थित होने के कारण एक प्राकृतिक सुंदर स्थल माना जाता है।
3. महिमा: उमामहेश्वर मंदिर को भगवान शिव के समर्पित होने के कारण यह शिवभक्तों के बीच बहुत महत्वपूर्ण है। खासकर कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर यहां बड़ी धूमधाम से महाशिवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है।
4. आर्किटेक्चर: मंदिर का आर्किटेक्चर भव्य और भारतीय संस्कृति के अनुरूप है। इसमें गहरे पीले संगमरमर से
 निर्मित शिवलिंग और कई छोटे-छोटे मंदिर हैं जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित हैं।
5. पर्यटन स्थल: उमामहेश्वर मंदिर के आस-पास कई प्राकृतिक सौंदर्य स्थल हैं। यहां पर्वती नदी के उद्गम स्थल, काव्या नदी के संगम स्थल और विस्तृत मार्गों के माध्यम से पहुंचने की सुविधा है।
 महाराष्ट्र के उमामहेश्वर मंदिर के रोचक तथ्य। यह स्थान धार्मिक और पर्यटन संबंधित दोनों के दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

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