"लम्बोदर"भगवान गणेश के एक अन्य प्रसिद्ध नामों में से एक है / "Lambodar" is another famous name of Lord Ganesha
"लम्बोदर" भगवान गणेश के एक अन्य प्रसिद्ध नामों में से एक है
"लम्बोदर" शब्द से भगवान गणेश के एक विशेष रूप का वर्णन किया जाता है, जिसके अर्थ होते हैं "लम्बा और मोटा वक्र पेट वाले"। भगवान गणेश के इस रूप में उनके पेट की विशालता और मोटापा वर्णन किया जाता है। इसलिए उन्हें लम्बोदर कहा जाता है।लम्बोदर भगवान गणेश के एक प्रसिद्ध और प्रिय नाम है, और उन्हें इस रूप में विशेष भक्ति और पूजा की जाती है। इस रूप में उनकी पूजा से भक्तों को समस्त दुःखों से मुक्ति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। भक्त इन्हें विधि-विधान से पूजते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं, और उन्हें अर्चना करते हैं।
लम्बोदर के इस रूप की प्रतीमाएं भगवान गणेश के मंदिरों और धार्मिक स्थलों में देखने को मिलती हैं। भगवान गणेश की पूजा में लम्बोदर रूप का स्मरण करने से भक्तों का मन शुद्धि और ध्यान करने में सहायता मिलती है। उन्हें प्रार्थना करने से भक्तों के जीवन में समृद्धि, सफलता, और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।लम्बोदर का उच्चारण भगवान गणेश के भक्तों के द्वारा भजन और उपासना में अधिक उपयोग होता है, जो उन्हें अपने जीवन में शुभ कार्यों की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।
लम्बोदर का एक प्रसिद्ध कथा
महाभारत के आदि पर्व (Adi Parva) में प्रस्तुत है। यह कथा महाभारत में गणेश का उद्भव और उनके महत्व को वर्णित करती है। इस कथा के अनुसार:एक बार महाराज पुलस्त्य ऋषि वेदव्यास के आश्रम में पहुंचे। वेदव्यास ने उन्हें बहुत प्रीति और सम्मान से स्वागत किया और उन्हें आराम से बैठने के लिए कहा। ऋषि पुलस्त्य उन्हें अपने आश्रम के विचार करते हुए बैठे और उनसे गणेश के उत्पत्ति का कारण पूछा।वेदव्यास ने ऋषि पुलस्त्य को महाभारत की रचना का उद्देश्य और महत्व बताते हुए कहा कि महाभारत में विभिन्न लोगों और घटनाओं का वर्णन है और इसे लिखने के लिए मैं एक सारथी की आवश्यकता महसूस कर रहा हूं। तभी उन्होंने अपने अविदित पुत्र गणेश को यहां आने के लिए आह्वान किया।
गणेश को बुलाने पर उन्होंने उन्हें बड़ी प्रसन्नता से स्वागत किया और उन्हें एक विशेष आसन पर बिठाया। उन्हें युद्ध के विचार में समय से पहले अवगत कर दिया गया था। लेकिन गणेश ने कहा कि मैं आपकी सेवा में विशेष समय के बाद आया हूं, तो मुझे ज्ञान का वरदान दें कि आपके द्वारा रचित की जा रही यह महाभारत में मेरा जिक्र कैसे होगा।
गणेश के इस अद्भुत ज्ञान को देखकर वेदव्यास ने उन्हें अपने द्वारा रचित महाभारत को लिखने का कार्य सौंप दिया। इससे पहले कि गणेश महाभारत को लिखने का काम शुरू करें, उन्होंने एक शर्त रखी कि वेदव्यास को बिना रुके और बिना सोचे लिखना होगा। अगर वेदव्यास को लिखते समय कोई अविस्मरण होता है, तो उन्हें गणेश को भी स्मरण करने की आवश्यकता होगी।इसी प्रकार वेदव्यास ने अपनी रचना की लिखने की प्रक्रिया शुरू की और बिना रुके और बिना सोचे गणेश ने उनके दिए गए समय में उनकी सेवा की। इस रूप में गणेश ने महाभारत की रचना की एवं वेदव्यास को सम्पूर्ण महाभारत का विचार बिना सोचे और विचार किये लिखने की शक्ति प्रदान की।
इस रूप में,लम्बोदर गणेश ने महाभारत के लेखन में विशेष योगदान दिया और इसके कारण उन्हें विद्वानों और शास्त्रिय विद्यार्थियों का आदर और सम्मान प्राप्त हुआ। इसीलिए उन्हें लम्बोदर कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है "लम्बा और मोटा वक्र पेट वाले"। उनकी विशेषता और महत्व को ध्यान में रखते हुए भगवान गणेश को लम्बोदर के नाम से पुकारा जाता है।
2. भगवान गणेश के लम्बोदर रूप में पेट की विशालता की प्रशस्ति की गई है।
3. भगवान गणेश को लम्बोदर कहा जाता है उनके पेट के विशाल आकार के कारण।
4. भगवान गणेश के इस रूप में उनका पेट बहुत ही बड़ा और गोल दिखता है।
5. लम्बोदर भगवान गणेश के एक प्रसिद्ध और प्रिय नाम हैं, और उन्हें भक्तों द्वारा विशेष भक्ति और पूजा की जाती है।
6. भगवान गणेश के इस रूप में उनके पेट की महानता और भक्तों के जीवन में समृद्धि की प्राप्ति होती है।
7. लम्बोदर भगवान गणेश के विभिन्न मंदिरों में प्रतिमाएं देखने को मिलती हैं।
8. गणेश चतुर्थी जैसे विशेष त्योहारों पर लम्बोदर भगवान गणेश की पूजा विशेष श्रद्धा और भक्ति से की जाती है।
9. लम्बोदर भगवान गणेश के इस रूप को ध्यान में रखते हुए भक्तों को सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
10. भगवान गणेश के लम्बोदर रूप का स्मरण करने से मन शुद्धि और ध्यान करने में सहायता मिलती है।
11. लम्बोदर भगवान गणेश को विधि-विधान से पूजा किया जाता है, मंत्रों का जाप किया जाता है, और उन्हें अर्चना किया जाता है।
12. भगवान गणेश के इस रूप की पूजा से भक्तों का मन प्रसन्न होता है और उन्हें ध्यान करने में शांति मिलती है।
13. भगवान गणेश के लम्बोदर रूप का ध्यान करने से भक्तों को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
14. लम्बोदर भगवान गणेश की पूजा से भक्तों को दुःखों से मुक्ति और सुख-शांति प्राप्त होती है।
15. भगवान गणेश के लम्बोदर रूप की आराधना से भक्तों को समस्त दुःखों से मुक्ति मिलती है और उन
्हें आनंद और शांति का अनुभव होता है।
गणेश को बुलाने पर उन्होंने उन्हें बड़ी प्रसन्नता से स्वागत किया और उन्हें एक विशेष आसन पर बिठाया। उन्हें युद्ध के विचार में समय से पहले अवगत कर दिया गया था। लेकिन गणेश ने कहा कि मैं आपकी सेवा में विशेष समय के बाद आया हूं, तो मुझे ज्ञान का वरदान दें कि आपके द्वारा रचित की जा रही यह महाभारत में मेरा जिक्र कैसे होगा।
गणेश के इस अद्भुत ज्ञान को देखकर वेदव्यास ने उन्हें अपने द्वारा रचित महाभारत को लिखने का कार्य सौंप दिया। इससे पहले कि गणेश महाभारत को लिखने का काम शुरू करें, उन्होंने एक शर्त रखी कि वेदव्यास को बिना रुके और बिना सोचे लिखना होगा। अगर वेदव्यास को लिखते समय कोई अविस्मरण होता है, तो उन्हें गणेश को भी स्मरण करने की आवश्यकता होगी।इसी प्रकार वेदव्यास ने अपनी रचना की लिखने की प्रक्रिया शुरू की और बिना रुके और बिना सोचे गणेश ने उनके दिए गए समय में उनकी सेवा की। इस रूप में गणेश ने महाभारत की रचना की एवं वेदव्यास को सम्पूर्ण महाभारत का विचार बिना सोचे और विचार किये लिखने की शक्ति प्रदान की।
इस रूप में,लम्बोदर गणेश ने महाभारत के लेखन में विशेष योगदान दिया और इसके कारण उन्हें विद्वानों और शास्त्रिय विद्यार्थियों का आदर और सम्मान प्राप्त हुआ। इसीलिए उन्हें लम्बोदर कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है "लम्बा और मोटा वक्र पेट वाले"। उनकी विशेषता और महत्व को ध्यान में रखते हुए भगवान गणेश को लम्बोदर के नाम से पुकारा जाता है।
"लम्बोदर" नाम के बारे में 15 रोचक तथ्य:
1. "लम्बोदर" भगवान गणेश के विभिन्न नामों में से एक है, जिसका अर्थ होता है "लम्बा और मोटा वक्र पेट वाले"।2. भगवान गणेश के लम्बोदर रूप में पेट की विशालता की प्रशस्ति की गई है।
3. भगवान गणेश को लम्बोदर कहा जाता है उनके पेट के विशाल आकार के कारण।
4. भगवान गणेश के इस रूप में उनका पेट बहुत ही बड़ा और गोल दिखता है।
5. लम्बोदर भगवान गणेश के एक प्रसिद्ध और प्रिय नाम हैं, और उन्हें भक्तों द्वारा विशेष भक्ति और पूजा की जाती है।
6. भगवान गणेश के इस रूप में उनके पेट की महानता और भक्तों के जीवन में समृद्धि की प्राप्ति होती है।
7. लम्बोदर भगवान गणेश के विभिन्न मंदिरों में प्रतिमाएं देखने को मिलती हैं।
8. गणेश चतुर्थी जैसे विशेष त्योहारों पर लम्बोदर भगवान गणेश की पूजा विशेष श्रद्धा और भक्ति से की जाती है।
9. लम्बोदर भगवान गणेश के इस रूप को ध्यान में रखते हुए भक्तों को सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
10. भगवान गणेश के लम्बोदर रूप का स्मरण करने से मन शुद्धि और ध्यान करने में सहायता मिलती है।
11. लम्बोदर भगवान गणेश को विधि-विधान से पूजा किया जाता है, मंत्रों का जाप किया जाता है, और उन्हें अर्चना किया जाता है।
12. भगवान गणेश के इस रूप की पूजा से भक्तों का मन प्रसन्न होता है और उन्हें ध्यान करने में शांति मिलती है।
13. भगवान गणेश के लम्बोदर रूप का ध्यान करने से भक्तों को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
14. लम्बोदर भगवान गणेश की पूजा से भक्तों को दुःखों से मुक्ति और सुख-शांति प्राप्त होती है।
15. भगवान गणेश के लम्बोदर रूप की आराधना से भक्तों को समस्त दुःखों से मुक्ति मिलती है और उन
्हें आनंद और शांति का अनुभव होता है।
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