रामायण कथा -भगवान राम और भरत का मिलाप / Ramayana Story - The Meeting of Lord Rama and Bharata

रामायण कथा -भगवान राम और भरत का मिलाप 

भगवान राम और भरत का मिलाप भारतीय एपिक रामायण में वर्णित है। रामायण वाल्मीकि ऋषि द्वारा लिखी गई हिंदी साहित्य का एक महाकाव्य है जिसमें भगवान राम के अवतार, उनके जीवन के घटनाक्रम, और उनके धर्मिक उपदेशों का वर्णन है।रामायण के अनुसार, भरत भगवान राम के चार भाईयों में से एक थे। भरत का भाई होने का मतलब उनके माता-पिता कैकेयी और दशरथ थे। भगवान राम के पिता राजा दशरथ ने भगवान राम को ही अपने वंश का उत्तराधिकारी नामित किया था, लेकिन कैकेयी ने अपने पुत्र भरत को राजगद्दी के अधिकारी बनाने के लिए कुछ वरदान मांग लिए थे। दशरथ ने अपने वचन के पालन के लिए राम को वनवास भेजने का निर्णय किया, जिसे शोक से भरा रहा।
भगवान राम के वनवास में जाने पर भरत ने राजगद्दी की प्रतीक्षा करने का निर्णय किया और राम के प्रति अपने प्रेम और सम्मान का व्यक्तिगत प्रमाण देने के लिए राज्य का पालन किया। वनवास के दो वर्ष बाद, जब भरत को पता चला कि राम, सीता, और लक्ष्मण वन में हैं, तो उन्होंने राम से मिलने का इच्छुक होकर उन्हें लौटने के लिए आमंत्रित किया।राजा दशरथ की पत्नी के स्वर्गवास के बाद, भरत ने राजगद्दी की प्रतीक्षा न करते हुए राम को अयोध्या में वापस राजा बनने के लिए निमंत्रण दिया। हालांकि, राम ने अपने पिता के वचन का पालन करते हुए भरत को राजगद्दी सम्पन्न कर दी और उन्होंने अपने पदवी के चीटे को भरत के पास सौंप दिया। भरत ने भगवान राम के चरणों में श्रद्धा और सम्मान भरी भावना से नमन किया और भगवान राम ने भरत को अपने श्रीविग्रह (पादुका) का धारण करने का आदेश दिया।भगवान राम और भरत के मिलाप का यह भाग रामायण का एक महत्वपूर्ण संदेश है, जो भाईचारे और प्रेम की महत्वपूर्ण उपास्यता को प्रतिष्ठित करता है।

भगवान राम और भरत का मिलाप कथा 

रामायण के आदि कांड (Adi Kanda) में विस्तार से वर्णित है। यह कथा रामायण के प्रसिद्ध पाठ "बाल कांड" के अंतर्गत आती है।
कथा के अनुसार, राजा दशरथ अयोध्या के महाराज थे और उनकी तीन पत्नियाँ थीं - कौसल्या, कैकेयी, और सुमित्रा। भगवान राम, कौसल्या के पुत्र थे और भरत, कैकेयी के पुत्र थे। राजा दशरथ ने राम को ही अपने उत्तराधिकारी और राज्य का उत्तराधिकारी नामित किया था।
कैकेयी, जो भरत की मां थी, ने एक दिन राजा दशरथ को भ्रमित करने के लिए एक विशेष वरदान मांगा। यह विचार में कि भरत ही राजगद्दी का उत्तराधिकारी बने, भरत की मां ने भगवान राम को वनवास जाने के लिए कहा।
राजा दशरथ राम के वनवास जाने का फैसला करते हैं, और राम, सीता, और लक्ष्मण सभी वन में चले जाते हैं।
वनवास के दो साल बाद, भरत को पता चलता है कि राम, सीता, और लक्ष्मण वन में हैं और उन्हें बड़े प्यार और आदर से याद किया जाता है। भरत बहुत दुखी होते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि राजगद्दी का अधिकार उन्हें नहीं है और उनके भाई राम को ही राजा बना था।
भरत राम से मिलने के लिए वन में जाते हैं और वहां पहुंचकर उनके पास गए। भरत अपने भाई राम के पादुका (श्रीविग्रह) को अपने सिर पर रखकर उनके पास बैठते हैं और राम से कहते हैं कि वह राजगद्दी का पालन नहीं कर सकते, और उन्हें अपने राज्य की वापसी कर देनी चाहिए। लेकिन राम राज्य का धर्म पालन करने के लिए इनकार करते हैं और कहते हैं कि वे अपने पिता के वचन के पक्ष में खड़े होंगे।
इस प्रकार, भगवान राम और भरत का मिलाप होता है और वे भाईचारे और प्रेम की मिसाल स्थापित करते हैं। भरत राम के पादुका का धारण कर अयोध्या लौटते हैं और वहां पर राजा के रूप में राजगद्दी का पालन करते हैं, जबकि भगवान राम वनवास में रहकर अपने धर्म का पालन करते हैं।
यह कथा भारतीय संस्कृति में भाईचारे, प्रेम, और धर्म की महत्वपूर्ण शिक्षाएं देने के लिए जानी जाती है

कुछ रोचक तथ्य (facts) भगवान राम और भरत के मिलाप कथा के बारे में हैं:

1. मिलाप की घटना: भगवान राम के अयोध्या छोड़ने के बाद, उनके भाई भरत ने उन्हें वनवास वापस लौटने के लिए निमंत्रण दिया। भरत राम को अपने श्रीविग्रह (पादुका) का धारण करने का आदेश देते हैं।
2. प्रेम और सम्मान: भरत और राम के बीच मिलाप कथा में प्रेम और सम्मान का अद्भुत प्रदर्शन है। भरत भाई के प्रति राम की प्रेम भरी भावना और उनके प्रति विशेष सम्मान का वर्णन किया गया है।
3. धर्म की पालना: राम ने राजगद्दी का पालन नहीं किया, क्योंकि उन्हें उनके पिता के वचन के पक्ष में खड़े होने का संकल्प था। धर्म की पालना और पितृ भक्ति के लिए राम की प्रशस्ति की गई है।
4. भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण: भगवान राम और भरत का मिलाप भारतीय संस्कृति में भाईचारे और प्रेम के महत्व को समझाने वाली प्रसिद्ध कथाओं में से एक है।
5. भगवान राम के पादुका: भरत ने भगवान राम के चरणों में श्रद्धा और सम्मान भरी भावना से नमन किया और उन्हें अपने श्रीविग्रह (पादुका) का धारण करने के लिए आदेश दिया।
6. भरत की आग्रह: भरत ने राम को अपने राज्य का पालन करने के लिए आग्रह किया था, लेकिन राम ने धर्म की पालना के लिए वनवास जाने का निर्णय किया।
7. राम के अयोध्या वापसी: भरत के प्रेम और सम्मान के बाद, भगवान राम ने वनवास पूरा करके अयोध्या को वापस लौटा और उन्हें राजा बनाया।
8. राजा बनाने की तैयारी: भगवान राम ने राजा बनने की तैयारी नहीं की, क्योंकि उन्हें केवल धर्म का पालन करने का संकल्प था। भरत ने राजगद्दी की प्रतीक्षा की और अपने भाई के प्रति उत्साह दिखाया।
यह रामायण के अधिकांश संस्करणों में दर्शाया गया भाग है और इसका मुख्य सन्देश है कि भाईचारे, प्रेम, और धर्म की प्रशंसा करना एक समृद्धि की भावना है और यह भारतीय संस्कृति में बड़ा महत्व रखता है।

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