भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने का प्रतीक्रियात्मक तरीका /Reactive way of offering Belpatra to Lord Shiva

भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने का प्रतीक्रियात्मक तरीका 

 भगवान शिव को बेलपत्र (Bel Patra) चढ़ाने का प्रतीक्रियात्मक तरीका निम्नानुसार है:
1. पहले सबसे पहले, पूजा के लिए पवित्र स्थान तैयार करें, जहां आप बेलपत्र चढ़ाने की विधि का पालन करेंगे। इस जगह पर एक पूजा थाली, एक बैजनाथ दीपक (जो पहले से रोशन किया हुआ हो), बेलपत्र, जल, चावल, कुमकुम, फूल, धूप, पंचामृत (गाय का दूध, दही, शहद, घी और तुलसी का रस मिश्रण) आदि तैयार करें।
2. स्नान करके साफ कपड़े पहनें और शुद्ध मन और हृदय के साथ भगवान शिव की ध्यान धारण करें।
3. अपनी आँखें बंद करें और उच्च स्वर में 'ॐ नमः शिवाय' का जप करें। इससे पहले आप भगवान शिव को अपने मन में नमस्कार कर सकते हैं और उनसे अपनी मनोकामनाएं मांग सकते हैं।
4. अब, बेलपत्र को एक पूजा थाली में रखें और उसे शिवलिंग के सामने रखें।
5. धूप और दीपक जलाएं और पंचामृत के साथ शिवलिंग को स्नान कराएं।
6. अब बेलपत्र को ध्यान से उठाएं और अपने मन में भगवान शिव को श्रद्धांजलि देकर मंत्रोच्चार करें, जैसे "ॐ नमः शिवाय" या "शिवाय नमः"।
7. आप बेलपत्र को शिवलिंग के आसपास सर्वत्र घूमा सकते हैं या उसे शिवलिंग के ऊपर स्थानित कर सकते हैं।
8. बेलपत्र को शिवलिंग के साथ मिलाने के बाद, आप पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शिव को पुन: नमस्कार करें।
ध्यान दें कि यहां बताई गई प्रक्रिया एक आम प्रक्रिया है और विभिन्न संप्रदायों में थोड़े विभिन्न हो सकते हैं। अपने संप्रदाय या परिवारिक अनुसार आप अपनी पूजा की विधि को बदल सकते हैं।

मान्यता के अनुसार, भगवान शिव के बेलपत्र के संबंध में एक कथा प्रसिद्ध

 निम्नलिखित भगवान शिव की कथा बेलपत्र के संबंध में है:कथा शुरू होती है एक गांव में जहां एक ब्राह्मण बसते थे। यह ब्राह्मण बहुत ही भक्तिमय और धार्मिक थे। उन्होंने हमेशा भगवान शिव की पूजा-अर्चना की और उनका व्रत रखा करते थे।एक दिन, ब्राह्मण अपने गांव के पास ही बसे हुए एक पुराने वृक्ष के नीचे एक शिवलिंग की पूजा कर रहे थे। उन्होंने पूजा के लिए बेलपत्र की आवश्यकता महसूस की। तभी उन्होंने देखा कि एक अद्भुत स्वरूप धारण कर रहे साधु वहां पहुंच गए हैं।ब्राह्मण ने उन्हें नमस्कार किया और उनसे बेलपत्र का विनिमय करने का अनुरोध किया। साधु ने ब्राह्मण को बेलपत्र दिया, लेकिन उसने कहा कि यह बेलपत्र केवल शिवलिंग की पूजा के लिए ही उपयोग करें, अन्य किसी उपयोग के लिए नहीं।ब्राह्मण ने आज ही शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाकर पूजा की और उसे बहुत ही श्रद्धा और भक्ति के साथ विनम्रता के साथ नमस्कार किया। उसने अपनी पूजा की और भगवान शिव की आराधना की।दिन बिताते बिताते, ब्राह्मण की संख्या में बड़ी वृद्धि होने लगी और उसके घर धन और सुख की कमी नहीं थी। सब लोग उनके घर आकर उनसे सलाह लेने लगे।एक दिन, देश में भूखमरी आ गई और गांव के लोगों को भोजन के लिए कुछ नहीं मिला। लोग ब्राह्मण के पास आए और उनसे कहा कि भगवान शिव ने उन्हें दी हुई वरदानों को वापस ले लिया है। लोग ब्राह्मण से यह कहकर अपेक्षा करने लगे कि वे भगवान शिव को प्रसन्न करें और उन्हें फिर से वरदान दिलवाएं।ब्राह्मण ने बेलपत्र के साथ शिवलिंग की पूजा की और भगवान शिव को नमस्कार किया। अपनी पूजा के बाद, उन्होंने भगवान शिव को अपनी प्रार्थना सुनाई कि वे अपने भक्तों की मदद करें और उन्हें फिर से वरदान दें।भगवान शिव ने ब्राह्मण की प्रार्थना स्वीकराकर उन्हें आशीर्वाद दिया। तत्पश्चात्, भगवान शिव ने अपने भक्तों की भूखमरी दूर की और उन्हें प्रसन्न किया। उन्होंने एकाएक से उस स्थान पर अनेक आहार सामग्री उत्पन्न कर दी, जिससे ग्रामीण लोगों ने खाना खाया और उनकी भूख शांत हुई।
इस कथा से स्पष्ट होता है कि भगवान शिव बेलपत्र को अत्यधिक प्रिय करते हैं और जिन भक्तों की पूजा में उसे चढ़ाया जाता है, उन्हें वरदान प्राप्त होता है। इसलिए, भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

टिप्पणियाँ