तुंगनाथ महादेव मंदिर के पीछे एक महाकाव्य और कथा संबंधित है / There is an epic and legend related behind Tungnath Mahadev Temple.

तुंगनाथ महादेव मंदिर के पीछे एक महाकाव्य और कथा संबंधित है

तुंगनाथ महादेव मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक स्थल है। यह हिमालय की पर्वत श्रृंग में स्थित है और पंच केदारों में से एक है, जिन्हें प्रमुख शिव मंदिरों की श्रृंगरूपी माना जाता है।
तुंगनाथ मंदिर का निर्माण भगवान शिव को समर्पित है और इसे वानर सेना के अनुसार कपिल मुनि ने स्थापित किया था। मंदिर दुनिया की सबसे ऊँची स्थिति में स्थित है, जिसे 3680 मीटर (12,073 फुट) की ऊँचाई पर स्थानित किया गया है। यह मंदिर चामोली जिले के रूद्रप्रयाग जिले में टूरिस्ट स्थल के रूप में मशहूर है।
तुंगनाथ मंदिर को छह महीनों के लिए खोला जाता है, अप्रैल माह से नवम्बर माह तक। इसके अलावा, यह पर्यटन से अवरोधित होने वाले मौसम की स्थिति पर भी निर्भर करता है, जैसे हिमपात, बर्फबारी आदि।
तुंगनाथ मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है, और वहां जाने के लिए यात्री यातायात, हेलीकॉप्टर सेवाएं और ट्रेकिंग
 यात्रा का उपयोग कर सकते हैं। इसके आसपास कई अन्य प्राकृतिक सुंदरता स्थल भी हैं, जो इसे एक पूर्ण पर्यटन स्थल बनाते हैं।

तुंगनाथ महादेव मंदिर के पीछे एक कथा 

तुंगनाथ महादेव मंदिर के पीछे एक महाकाव्य और कथा संबंधित है, जिसे हिन्दू पौराणिक कथाओं में वर्णित किया जाता है। यह कथा महाभारत में प्रस्थानिक पर्व के रूप में मिलती है।

कथा के अनुसार, पांडव वंश के अभिमन्यु और उत्तरा के अलावा, पांडवों के बाद का पीठाधीश्वर थे। महाभारत के युद्ध के बाद, जब पांडव सम्राट युधिष्ठिर ने यात्रा पर निकलने का निर्णय लिया, तो उन्होंने अपने साथ अपनी पत्नीयों के साथ तुंगनाथ जाने का निर्णय लिया।उनकी यात्रा में उनके पीछे उनके पुत्र मेघनाद (इंद्रजित) भी थे। रास्ते में, वन में आत्मीय रूप से चरणों में शिवजी ने परिभ्रमण किया था और उन्होंने राजा युधिष्ठिर को वरदान दिया कि वह अपने अराध्य शिव के रूप में विश्राम करेंगे।तुंगनाथ में पहुंचने पर, उत्तरा ने देखा कि उनके पति अभिमन्यु और पुत्र मेघनाद की मृत्यु हो चुकी है। वे दोनों युद्ध में मारे गए थे। उत्तरा ने शिवजी से अपने पति और पुत्र की आत्मा की शांति की प्रार्थना की और शिवजी ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार करके उनके द्वारा दिया गया आशीर्वाद उन्हें दिया। इसके बाद, शिवजी ने अभिमन्यु और मेघनाद की आत्मा को शांति प्राप्त करने के लिए तुंगनाथ को वनरों को सौंपा।
इस प्रकार, तुंगनाथ महादेव मंदिर कथा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और यह श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक महत्व रखता है।

तुंगनाथ महादेव मंदिर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य हैं:

  1. ऊँचाई: तुंगनाथ मंदिर दुनिया की सबसे ऊँची शिव मंदिरों में से एक है। यह 3680 मीटर (12,073 फुट) की ऊँचाई पर स्थित है।
  2. पंच केदारों में से एक: तुंगनाथ मंदिर पंच केदारों में से एक है, जिन्हें प्रमुख शिव मंदिरों की श्रृंगरूपी माना जाता है। इन पांच मंदिरों में केदारनाथ, मध्यमहेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ और काल्पेश्वर हैं।
  3. धार्मिक महत्व: तुंगनाथ मंदिर को महाभारत की कथाओं में उल्लेखित किया गया है और यह हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। इसे शिव भक्तों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
  4. प्राकृतिक सौंदर्य: मंदिर का स्थान तुंगनाथ पर्वत श्रृंग पर स्थित है, जिसका आसपास घने वन, ध्यान केंद्र, नदियाँ, और हिमालयी दृश्य महान सौंदर्य से भरपूर है। यहाँ के प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेना यात्रियों के लिए एक अनूठा अनुभव होता है।
  5. पहुंच: तुंगनाथ मंदिर पहाड़ी क्षेत्र में स्थित होने के कारण, यहाँ पहुंचने के लिए यात्रा की आवश्यकता होती है। यात्री यातायात, हेलीकॉप्टर सेवाएं और ट्रेकिंग के माध्यम से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
  6. मंदिर का समय: तुंगनाथ मंदिर को अप्रैल से नवम्बर तक खोला जाता है। यहाँ पर्यटन से अवरुद्ध होने वाले मौसम के कारण विश्राम काल में मंदिर बंद रहता है।
तुंगनाथ महादेव मंदिर उत्तराखंड के धार्मिक और प्राकृतिक संपदा का महत्वपूर्ण स्थान है और शिव भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।

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