भगवान शिव भस्म क्यों लगाते हैं /Why does Lord Shiva apply ashes

भगवान शिव भस्म क्यों लगाते हैं

धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव को मृत्यु का स्वामी माना गया है. इसीलिए शव से शिव नाम बना. उनके अनुसार शरीर नश्वर है और इसे एक दिन इस भस्म की तरह शरीर राख हो जाना है. जीवन के इसी पड़ाव का भगवान शिव सम्मान करते हैं और इस सम्मान को वो खुदपर भस्म लगाकर जताते हैं.
धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव को मृत्यु का स्वामी माना जाता है और शरीर को नश्वर और अनित्य माना जाता है। इस प्रकार, उनकी भक्ति में शरीर के मानवीयता और अभिमान का नाश होने का संकेत दिया जाता है। यही कारण है कि शिव के भक्त भस्म को शरीर पर लगाकर उनके सम्मान का अभिव्यक्ति करते हैं।

शिव के भक्त यह मानते हैं कि जीवन मृत्यु की ओर प्रगट होता है और मृत्यु के पश्चात शरीर का नष्ट होना अवश्य है। उनके अनुसार, इस नाशवानता के अवसर पर भगवान शिव अपने शरीर को भस्म की तरह बदल देते हैं, जिससे उनकी महाकाल स्वरूपता और मृत्युजय स्वरूपता का प्रतीक बनता है। इस तरीके से, भस्म को शिव के नाम से जोड़ा जाता है और यह उनके आदेश का पालन करने का एक विधी है।यह भक्तिमय विश्वास और अभिमान के अभाव के साथ एक आध्यात्मिक अर्थ रखता है, जो जीवन की अनित्यता और मृत्यु की प्राकृतिकता को स्मरण कराता है। यह शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण साधना है जो उन्हें आध्यात्मिक जीवन के आदर्शों का सम्मान करने और उनके अतीत और भविष्य को समान दृष्टि से देखने में सहायता करती है।भगवान शिव भस्म (अशेष) अपने शरीर पर लगाते हैं क्योंकि यह हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण संकेत है। भस्म एक पवित्र वस्त्र होता है जो मुख्य रूप से अग्नि के द्वारा प्राप्त किए जाने वाले धूलि या विभिन्न यज्ञों के अवशेषों से बनाया जाता है।शिव भगवान के भक्तों के अनुसार, भस्म को धारण करने से उनका विभूति अर्थात् आत्मग्लोरी और आध्यात्मिकता का संकेत होता है। यह भस्म मस्तिष्क को शुद्ध करता है और शरीर की मृत्यु को जीवन में तब्दील करता है, जिससे भक्त जीवन की मानवीयता और आध्यात्मिक उद्दीपना का अनुभव करते हैं।

इसके अलावा, भस्म को लगाने से शिव के भक्त अहंकार और अभिमान से मुक्त होते हैं और अपने आप को समर्पित करते हैं। यह उनके लिए एक चिन्ह है कि मानवीय शरीर का नाश होने के बावजूद आत्मा अजर और अमर होती है। भस्म को अग्नि द्वारा उत्पन्न किया जाता है, जो परमेश्वर का प्रतीक है, और इसलिए भस्म शिव
 के प्रतिष्ठान माना जाता है।एक धार्मिक अर्थ के साथ-साथ भस्म का उपयोग भक्ति और आध्यात्मिकता के प्रतीक के रूप में भी होता है। भस्म के रूप में धारण किया जाने वाला तीस्रा नेत्र भी शिव के विशेष संबंधों को दर्शाने का संकेत करता है, जो उनकी नेत्री देवी पार्वती के साथ होते हैं।
यद्यपि यह धार्मिक मान्यताएं हैं और व्यक्ति की आस्था और विश्वास पर निर्भर करती हैं, लेकिन विभिन्न संस्कृति और परंपराओं में भस्म का उपयोग अपनी अपनी विशेषताओं और मान्यताओं के अनुसार भी विभाजित हो सकता है।

20 तथ्य जो भगवान शिव के भस्म धारण के संबंध में महत्वपूर्ण हैं:

1. भस्म भगवान शिव के प्रतीक हैं और उनके आदेशों का पालन करने का एक विधि है.
2. भस्म को धारण करने से शिव के भक्तों की मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है.
3. भस्म को धारण करने से शरीर के अहंकार और अभिमान का नाश होता है.
4. भस्म को लगाने से शिव के भक्त अपने आप को समर्पित करते हैं.
5. भस्म के रूप में धारण किया जाने वाला तीस्रा नेत्र शिव के संबंध को दर्शाता है.
6. भस्म मस्तिष्क को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक उन्नति को प्रोत्साहित करता है.
7. भस्म को लगाने से भक्त आत्मग्लोरी और आध्यात्मिकता का अनुभव करते हैं.
8. भस्म को धारण करने से भक्त अपने अंतरंग भेदों को पहचानते हैं और संयमित होते हैं.
9. भस्म शिव के नाम से जुड़ा होता है और उनकी महाकाल स्वरूपता का प्रतीक बनता है.
10. भस्म को धारण करने से भक्त की आत्मा अमर होती है और शरीर के नष्ट होने की यात्रा में उनकी सहायता करती है.
11. भस्म शिव के अग्नि-स्वरूपता को प्रतिष्ठित करता है.
12. भस्म को लगाने से शरीर में नष्ट होने वाली मलिनता और पापों का नाश होता है.
13. भस्म शिव के भक्तों के लिए आध्यात्मिक और आधिकारिक संकेत है.
14. भस्म को धारण करने से भक्त अपने जीवन में दिव्यता और अलौकिकता का अनुभव करते हैं.
15. भस्म शिव के नाम की जीवन मार्ग पर ध्यान केंद्रित करने की अनुभूति कराता है.
16. भस्म को धारण करने से शरीर की शुद्धि होती है और आत्मिक शुद्धि के पथ को प्रशस्त करता है.
17. भस्म शिव के विराट स्वरूप और सर्वव्यापकता का प्रतीक है.
18. भस्म को धारण करने से शरीर की आग्नेय शक्ति जाग्रत होती है.
19. भस्म को धारण करने से भक्त अपने जीवन को संयोजित करते हैं और संयोग के अवसरों को पहचानते हैं.
20. भस्म शिव के अभिमान के नाश का प्रतीक है और अहंकार के बाध्यता से मुक्ति दिलाता है.

ये तथ्य भगवान शिव के भस्म धारण के प्रमुख महत्व को दर्शाते हैं और इन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक संस्कृति में मान्यता प्राप्त है। यह धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है और इन्हें अपनी आस्था और विश्वास पर निर्भर करके समझा जाना चाहिए।



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