दुर्गा माता के 9 नाम

दुर्गा माता के 9 नाम 

हिंदू धर्म में नवरात्रि के नौ दिनों के अलग-अलग रूपों को संदर्भित करते हैं। इन नौ नामों को नवदुर्गा (NavDurga) के नाम से भी जाना जाता है। निम्नलिखित हैं दुर्गा माता के 9 नाम:
1. शैलपुत्री (Shailputri): इस रूप में माँ दुर्गा को हिमाचल प्रदेश के बीतेर के राजकुमारी शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है।
2. ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini): इस रूप में मां दुर्गा को तपस्विनी ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है।
3. चंद्रघंटा (Chandraghanta): इस रूप में माँ दुर्गा को श्वेत वस्त्र धारण करने वाली चंद्रघंटा के रूप में पूजा जाता है।
4. कूष्मांडा (Kushmanda): इस रूप में मां दुर्गा को उन्हें उत्पन्न करने वाली कूष्मांडा के रूप में पूजा जाता है।
5. स्कंदमाता (Skandamata): इस रूप में माँ दुर्गा को स्कंद (कार्तिकेय) की माँ के रूप में पूजा जाता है।
6. कात्यायनी (Katyayani): इस रूप में माँ दुर्गा को ऋषि कात्यायन के आश्रय लेने वाली कात्यायनी के रूप में पूजा जाता है।
7. कालरात्रि (Kalaratri): इस रूप में मां दुर्गा को श्वेत वस्त्र धारण करने वाली कालरात्रि के रूप में पूजा जाता है।
8. महागौरी (Mahagauri): इस रूप में माँ दुर्गा को चांदी के सफेद रंग की त्वचा धारण करने वाली महागौरी के रूप में पूजा जाता है।
9. सिद्धिदात्री (Siddhidatri): इस रूप में मां दुर्गा को सिद्धि की दात्री के रूप में पूजा जाता है, जो सभी देवी-देवताओं को सिद्धि प्रदान करती है।
ये नौ नाम दुर्गा माता के नवरात्रि के नौ दिनों में पूजे जाते हैं। नवरात्रि के इन दिनों में हिंदू समुदाय दुर्गा माता की पूजा और अर्चना करते हैं और इन नौ रूपों की आराधना करते हैं।

दुर्गा माता के 9 नामों के मंत्र और उनके अर्थ निम्नलिखित हैं:

1. शैलपुत्री (Shailputri):
मंत्र: ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
अर्थ: यह मंत्र शैलपुत्री देवी की आराधना के लिए है। इस मंत्र का अर्थ है - "हे शैलपुत्री देवी, हम आपको नमस्कार करते हैं॥"
2. ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini):
मंत्र: ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
अर्थ: यह मंत्र ब्रह्मचारिणी देवी की आराधना के लिए है। इस मंत्र का अर्थ है - "हे ब्रह्मचारिणी देवी, हम आपको नमस्कार करते हैं॥"
3. चंद्रघंटा (Chandraghanta):
मंत्र: ॐ देवी चंद्रघण्टायै नमः॥
अर्थ: यह मंत्र चंद्रघण्टा देवी की आराधना के लिए है। इस मंत्र का अर्थ है - "हे चंद्रघण्टा देवी, हम आपको नमस्कार करते हैं॥"
4. कूष्मांडा (Kushmanda):
मंत्र: ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
अर्थ: यह मंत्र कूष्माण्डा देवी की आराधना के लिए है। इस मंत्र का अर्थ है - "हे कूष्माण्डा देवी, हम आपको नमस्कार करते हैं॥"
5. स्कंदमाता (Skandamata):
मंत्र: ॐ देवी स्कंदमातायै नमः॥
अर्थ: यह मंत्र स्कंदमाता देवी की आराधना के लिए है। इस मंत्र का अर्थ है - "हे स्कंदमाता देवी, हम आपको नमस्कार करते हैं॥"
6. कात्यायनी (Katyayani):
मंत्र: ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
अर्थ: यह मंत्र कात्यायनी देवी की आराधना के लिए है। इस मंत्र का अर्थ है - "हे कात्यायनी देवी, हम आपको नमस्कार करते हैं॥"
7. कालरात्रि (Kalaratri):
मंत्र: ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥
अर्थ: यह मंत्र कालरात्रि देवी की आराधना के लिए है। इस मंत्र का अर्थ है - "हे कालरात्रि देवी, हम आपको नमस्कार करते हैं॥"
8. महागौरी (Mahagauri):
मंत्र: ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
अर्थ: यह मंत्र महागौरी देवी की आराधना के लिए है। इस मंत्र का अर्थ है - "हे महागौरी देवी, हम आपको नमस्कार करते हैं॥"
9. सिद्धिदात्री (Siddhidatri):
मंत्र: ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥
अर्थ: यह मंत्र सिद्धिदात्री देवी की आराधना के लिए है। इस मंत्र का अर्थ है - "हे सिद्धिदात्री देवी, हम आपको नमस्कार करते हैं॥"
ये मंत्र दुर्गा माता के नवरात्रि के नौ दिनों में इन नौ रूपों की पूजा और अर्चना के दौरान उपयोग किए जाते हैं। भक्तजन इन मंत्रों के जाप से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से समस्त संकटों का नाश होता है।

मां दुर्गा के नौ रूपों के महत्वऔर उनके आवतार की कहानी को बताती

दुर्गा माता के 9 नामों का कथा नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से पढ़ा जाता है। यह कथा मां दुर्गा के नौ रूपों के महत्व और उनके आवतार की कहानी को बताती है। नवरात्रि के पहले नौ दिनों में दुर्गा माता के हर एक रूप के बारे में विस्तार से कथा सुनाई जाती है।
पूर्वकथा:
पुरातन काल में, दुर्गा माता की पूजा बड़ी श्रद्धा और भक्ति से की जाती थी। एक समय, देवता और दानव दोनों लोकों में दुर्गा माता के दर्शन के लिए आग्रह करने लगे। दानव राजा महिषासुर ब्रह्मा का वर प्राप्त करके अजेय बन गया था और वह अपनी शक्ति से देवता और मनुष्यों को भी निगल रहा था। उसकी दुर्बलता देखकर देवता बहुत परेशान हो गए और उन्होंने विष्णु भगवान् से सहायता मांगी। भगवान् विष्णु ने उन्हें समझाया कि महिषासुर का वध करने के लिए दुर्गा माता एक उत्कृष्ट शक्ति हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए भी उन्हें आग्रह करना चाहिए।

1. शैलपुत्री (Shailputri) कथा:

पहले दिन, माता पार्वती के रूप में वह धरती पर अज्ञात रूप से उत्पन्न हुईं। उनके पिता हिमवान्त राजा के गृहस्थ बने बीतर नामक राजकुमारी थीं। एक दिन, वह अपने मित्रों के साथ खेल रही थीं, जिसके दौरान वे महेश्वर शंकर को देखीं और उनके मंदिर के आगे पहुंच गईं।
उनके आगमन के कारण उनके मित्र उन्हें बाघी घोषित कर दिया। इससे राजकुमारी बीतर बहुत ही दुखी हो गईं। उन्होंने अपने प्राणों के बल पर वाक्य दिया कि "मैं पूरे विश्व को धरती बनने का व्रत नहीं बंध सकती।" उनके इस संकल्प के कारण उन्हें "शैलपुत्री" कहा गया। उसी दिन से यह नाम उनके लिए प्रचलित हो गया और उन्हें शक्ति देवी के रूप में पूजा जाने लगा। वे भगवान शंकर की पत्नी बनकर उनके साथ शिवलिंग पर अपने विवाह का भोजन करती हैं।इसी प्रकार, बाकी आठ रूपों की भी कथाएं होती हैं, जिन्हें विभिन्न विधियों से पूजा जाता है, और नवरात्रि के नौ दिनों में दु
र्गा माता के नौ रूपों की भक्ति की जाती है। नवरात्रि के दौरान इन रूपों की कथाएं सुनकर भक्तजन उन्हें अपने जीवन में शक्ति, समृद्धि, शांति और सुख की प्राप्ति के लिए प्रेरित करते हैं।

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