मां सुगंधा शक्तिपीठ का इतिहास के बारे में /About the history of Maa Sugandha Shaktipeeth

मां सुगंधा शक्तिपीठ का इतिहास के बारे में

मां सुगंधा शक्तिपीठ को बांग्लादेश में एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता है। यह शक्तिपीठ असम की मां सुगंधा के साथ संबंधित है, जो एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यह असम के शिकारपुर नगर के पास स्थित है, जो बरिसाल से करीब 20 किमी दूर है।
मां सुगंधा शक्तिपीठ का इतिहास मिश्रित है और इसके बारे में विभिन्न पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। कहते हैं कि इसी स्थान पर मां की नासिका गिरी थी और इससे इसे 'सुगंधा' शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। भक्तों के लिए यहां भगवानी की आराधना और पूजा का अवसर होता है। यहां प्रतिवर्ष नवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भीड़ आती है और धार्मिक उत्सव मनाया जाता है।
यह स्थान भारतीय धर्म के आचार-विचार और धार्मिक एतिहासिकता के लिए भी महत्वपूर्ण है और लोग इसे आध्यात्मिक अनुभव करने के लिए यात्रा करते हैं। यहां आने वाले भक्तों को मां सुगंधा की कृपा मिलती है और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।अभिवाद्य। मां सुगंधा और मां सुनंदा के शक्तिपीठों की कथा भारतीय पौराणिक कथाओं में स्थान बनाती है। यहां मैं आपको उनकी कथाओं का संक्षेपित वर्णन प्रदान कर रहा हूं:

**मां सुगंधा की कथा:**

असम के शक्तिपीठ मां सुगंधा की कथा में कहा जाता है कि इस स्थान पर देवी की नासिका (नाक) गिरी थी। इससे मूल रूप से इस स्थान का नाम 'सुगंधा' पड़ा। इसी नासिका के अवशेष और उसकी शक्ति के आधार पर मां सुगंधा का मंदिर बना है। यहां देवी की पूजा और आराधना विशेष भक्तों द्वारा की जाती है और इसे असम में प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।

**मां सुनंदा की कथा:**

अंध्र प्रदेश के शक्तिपीठ मां सुनंदा की कथा के अनुसार, देवी के दोनों चारणों के अवशेष इस स्थान पर गिरे थे। यहां भी उनके शक्ति के आधार पर मां सुनंदा का मंदिर स्थापित है। भक्तों को यहां आकर देवी की पूजा और आराधना करने का अवसर मिलता है। मां सुनंदा के मंदिर का यह स्थान अंध्र प्रदेश में शक्तिपीठों के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है।
ये थे संक्षेप में मां सुगंधा और मां सुनंदा के शक्तिपीठों की कथाएं। इन दिव्य स्थलों के महत्व और कथाओं को समझकर लोग विशेष अवसरों पर यहां देवी की आराधना और दर्शन करने आते हैं।

मां सुगंधा और मां सुनंदा के 21 रोचक तथ्य

1. मां सुगंधा का शक्तिपीठ असम में शिकारपुर नगर में स्थित है।
2. मां सुनंदा का शक्तिपीठ अंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में स्थित है।
3. दोनों शक्तिपीठ नासिका (नाक) के अवशेषों पर आधारित हैं।
4. अनुसंधानों से मिला है कि इन शक्तिपीठों का इतिहास काफी प्राचीन है और इन्हें महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है।
5. यहां कई पर्व और त्योहारों पर भक्तों के आगमन का उत्सव मनाया जाता है।
6. इन शक्तिपीठों को भगवानी दुर्गा या शक्ति के रूप में पूजा जाता है।
7. भक्तों को यहां जाकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने का विशेष महत्व है।
8. इन शक्तिपीठों को संसार के 51 शक्तिपीठों में गिना जाता है।
9. मां सुगंधा और मां सुनंदा के चरणों के चारण-अवशेष इन मंदिरों में स्थापित हैं।
10. यहां प्रतिवर्ष नवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भीड़ आती है और धार्मिक उत्सव मनाया जाता है।
11. इन शक्तिपीठों का स्थानीय इतिहास, कथा और पौराणिक महत्व इन्हें विशेष बनाता है।
12. मां सुगंधा और मां सुनंदा के मंदिर के पास सुंदर वातावरण और नजदीकी नदी के किनारे खूबसूरत दृश्य होते हैं
13. भक्तों को यहां पूजा और आराधना के लिए अगर्भगृह और यज्ञशाला उपलब्ध होती है।
14. दर्शनार्थियों को इन शक्तिपीठों के प्रतीक रूपी मूर्तियों का दर्शन करने का अवसर मिलता है।
15. यहां कुछ पवित्र पुस्तकालय भी होते हैं जिनमें धार्मिक ग्रंथों का संग्रह होता है।
16. इन शक्तिपीठों को प्रतिवर्ष महानवमी के अवसर पर सजाया जाता है और उत्सवी तौर पर मनाया जाता है।
17. भक्तों के अलावा, यहां तैराकों के लिए भी कुछ विशेष ट्रैक और जंगल सफारी स्थल होते हैं।
18. इन शक्तिपीठों में कुछ पवित्र झीलें भी होती हैं, जो यात्रियों के दर्शनीय स्थलों में शामिल होती हैं।
19. इन शक्तिपीठों को अपनी मातृभूमि और भगवानी के प्रति श्रद्धा रखने वाले लोगों के बीच अपार आकर्षण होता है
20. यहां आने वाले भक्तों को धर्मिक और आध्यात्मिक संतों के भजन-कीर्तन का भी आनंद मिलता है।
21. यहां कुछ परंपरागत धार्मिक आचार-विचार और धार्मिक समारोह भी मनाए जाते हैं, जो इन शक्तिपीठों का भक्तों के बीच एक विशेष संबंध बनाते हैं।
ये थे कुछ रोचक तथ्य मां सुगंधा और मां सुनंदा के शक्तिपीठों के बारे में। इन्हें पढ़कर आपको इन दिव्य स्थलों के महत्व और पौराणिक महत्व का अनुमान होगा।

मां सुगंधा और मां सुनंदा के शक्तिपीठ में विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है,

 जिन्हें भक्त अपने इच्छाओं की पूर्ति के लिए करते हैं। ये मंत्र प्राचीनता से सिद्ध हैं और उनका जाप शक्तिपीठ की शक्ति को प्राप्त करने में सहायक होता है। हालांकि, इन मंत्रों का जाप अनुष्ठानिक होता है, और मंदिर या तीर्थस्थल पर यात्रा करने से पहले धार्मिक गुरु के मार्गदर्शन में किया जाना चाहिए।
मां सुगंधा के शक्तिपीठ का मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
मां सुनंदा के शक्तिपीठ का मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वासुदेव्यै नमः।
कृपया ध्यान दें कि मंत्रों का जाप शुद्धता, आदर, और ध्यान से किया जाना चाहिए। इन मंत्रों का उच्चारण करते समय विचारों को शुद्ध रखना और विश्वास के साथ काम करना चाहिए। अधिक शक्तिशाली और फलदायक परिणाम प्राप्त करने के लिए ध्यान से और नियमित रूप से इन मंत्रों का जाप करना अनिवार्य है।

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