"माता दुर्गा: शक्ति की अवतारी देवी"

"माता दुर्गा: शक्ति की अवतारी देवी" (Mata Durga: The Incarnation of Power)

भारतीय हिंदू धर्म के प्रमुख देवी देवता में से एक हैं। वह दुर्गा पूजा के दौरान भक्तों द्वारा बड़ी भक्ति और उत्साह के साथ पूजी जाती हैं। दुर्गा जी को शक्ति की देवी, जगत जननी और शक्ति के साकार रूप के रूप में पूजा जाता है।
विभिन्न पौराणिक कथाओं में माता दुर्गा का विवरण अलग-अलग है, लेकिन सबके अनुसार, महिषासुर नामक एक राक्षस ने देवताओं को बांधकर उन्हें सताया था। देवताओं ने अपनी असमर्थता के कारण एकत्र होकर माता पार्वती से सहायता माँगी थी। उन्होंने देवी दुर्गा के रूप में प्रकट होकर महिषासुर को विनाश किया और देवताओं को उनकी आजादी दिलाई थी।
माता दुर्गा का एक महत्वपूर्ण अवतार 'नवरात्रि' के दौरान मनाया जाता है। नवरात्रि, भारतीय कैलेंडर के अनुसार नौ दिनों का त्योहार है जिसके दौरान माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि भक्तों के लिए पवित्र और उत्साहभरा समय है जिसमें लोग माता दुर्गा के चरणों में अर्चना करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।
माता दुर्गा के रूपों में प्रमुख हैं मां काली, मां चंडी, मां ब्रह्माचारिणी, मां स्कंदमाता, मां कूष्मांडा, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री। हर एक रूप ने अपने शक्तिशाली और करुणामयी स्वरूप के लिए प्रसिद्ध हैं और भक्तों की समस्याओं का निवारण करने में सक्षम हैं।
भारतीय संस्कृति में माता दुर्गा की पूजा एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, और उन्हें बहुत श्रद्धा और भक्ति से पूजा जाता है। इस पूजा के दौरान, लोग धार्मिक गाने, भजन गाने, आरती करने और दुर्गा चालीसा का पाठ करते हैं। 

 माता दुर्गा के 15 महत्वपूर्ण तथ्य

  1. माता दुर्गा, देवी शक्ति के प्रतीक हैं जिन्हें 'जगत जननी' भी कहा जाता है।
  2. विभिन्न पौराणिक कथाओं में माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों का वर्णन किया गया है, जैसे काली, चंडी, ब्रह्माचारिणी, सिद्धिदात्री आदि।
  3. माता दुर्गा के नौ दिनों के त्योहार 'नवरात्रि' को भारत भर में उत्साह से मनाया जाता है।
  4. दुर्गा पूजा को शरद नवरात्रि के नौ दिनों में महाष्टमी तिथि को सम्पूर्ण करते हुए श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है।
  5. माता दुर्गा के शक्तिशाली वाहन हैं शेर, सिंह, वृषभ, बैल आदि।
  6. दुर्गा पूजा के दौरान, दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है, जिसमें उनके विभिन्न रूपों की महिमा का वर्णन होता है।
  7. दुर्गा पूजा भारत में विशेष रूप से बंगाल, असम, ओडिशा, बिहार, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में मनाया जाता है।
  8. माता दुर्गा के मंदिर भारत भर में विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं, जिनमें 'वैष्णो देवी' का मंदिर जम्मू और कश्मीर में सबसे प्रसिद्ध है।
  9. माता दुर्गा का उपासना करने के लिए 'दुर्गा सप्तशती' नामक पौराणिक पाठ को सुनने और पढ़ने का महत्व है।
  10. नवरात्रि के नौ दिनों में, माता दुर्गा के नौ रूपों के साथ उनका पूजन किया जाता है: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।
  11. दुर्गा पूजा में देवी दुर्गा के मूर्ति पर विभिन्न वस्त्र और आभूषणों की सजावट की जाती है।
  12. दुर्गा पूजा में देवी के सप्तशती का पाठ करने के लिए धार्मिक प्रसाद भी बांटा जाता है, जो खिचड़ी, हलवा, पूरी और कलकंद से मिलता है।
  13. दुर्गा पूजा के दौरान, पंडालों में विभिन्न शास्त्रीय संगीत और नृत्य आयोजित किए जाते हैं।
  14. नवरात्रि के दौरान, दुर्गा पूजा के लिए बहुत सारी संगठनाएं, समाज, और नगरिक समूहों द्वारा विशेष भंडार और सोने के मूर्तियों का सम्मान किया जाता है।
  15. दुर्गा पूजा के दौरान, लोग धार्मिक प्रवचन, कवि सम्मेलन, और सामाजिक कार्यक्रमों में भी भाग लेते हैं, जिससे समाज को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोन से संबंधित जानकारी मिलती है।

एक पौराणिक कथा में दुर्गा के विष्णु को वरदान प्राप्त करने की कथा 

कथा: शुम्भ और निशुम्भ वध
एक समय की बात है, महिषासुर राक्षसों के राजा थे जो अपनी बहुतत्व के कारण अधिक शक्तिशाली बन गए थे। वे स्वर्ग और पृथ्वी का भयानक आतंक बन गए थे और देवताओं को पराजित करके स्वयं को अमर बना लिया था। देवता और लोग उनसे बहुत परेशान थे और अपनी रक्षा के लिए माँ दुर्गा का सहायता चाहते थे।
वह दिन आया जब महिषासुर का वध करने के लिए माँ दुर्गा विश्वकर्मा के बनाए गए असंख्यक सिद्धाकार द्वारा सज्जित एक अद्भुत और अमर सेना संगठित करके विद्युत् वाहन पे उतरीं। उनकी सेना में देवता, ऋषि-मुनि और नाग-यक्ष-राक्षस समेत बहुतांश देवी-देवताओं ने भी सम्मिलित हो गए थे।
महिषासुर ने देखा कि एक भयानक सेना उसके सामने आ रही है, लेकिन वह अपनी शक्ति में इतना मग्न हो गया था कि उसने उन्हें नहीं रोक सका। वह अपनी असीम शक्ति के बल पर देवी को लड़ने का निर्णय लिया।
युद्ध में दुर्गा ने महिषासुर के सभी सैन्य वीरों को विजयी बना दिया और अंत में स्वयं दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया।इस लड़ाई में महिषासुर विश्वकर्मा द्वारा रचे गए एक दिव्याकार शक्तिशाली अस्त्र की मदद से दुर्गा ने महिषासुर को आक्रमण किया और उसे उसके शुल्क युद्ध में विनाश कर दिया।
देवी दुर्गा की विजय के बाद, देवता और लोग उन्हें पूजन करने लगे और उन्हें माँ दुर्गा और महिषासुरमर्दिनी के नाम से पुकारने लगे। दुर्गा पूजा इसी कथा के स्मरण में मनाई जाती है और इस त्योहार को खासतौर से नवरात्रि के दौरान बहुत उत्साह से मनाया जाता है।

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