कामाख्या मंदिर की प्राचीन कथा /Ancient story of Kamakhya temple

कामाख्या मंदिर की प्राचीन कथा

कामाख्या मंदिर भारत के असम राज्य में स्थित है और गुवाहाटी शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर असम के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और भारत में पंचसक्ति पीठों में से एक प्रमुख स्थान है।
कामाख्या मंदिर मां कामाख्या को समर्पित है, जिन्हें देवी शक्ति का एक रूप माना जाता है। यह मंदिर वैष्णव, शाक्त और तांत्रिक संस्कृति के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
मंदिर का निर्माण पूर्वकालीन काल में हुआ था और वर्तमान रूप में यह पंथान की भारतीय वास्तुशास्त्र शैली में बना है। मंदिर का प्राचीन इतिहास भारतीय मिथकों और पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है।
मंदिर के प्राचीन इतिहास, वास्तुशिल्प, और धार्मिक महत्व के कारण, कामाख्या मंदिर धार्मिक पर्वों और मेलों के लिए एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। विश्वस्तरीय दुर्गा पूजा और अंबुबाची मेला जैसे पर्वों के दौरान, यहां लाखों श्रद्धालुओं का आगमन होता है।भगवान मां कामाख्या के अतिरिक्त, गुवाहाटी में भी कई अन्य पर्यटन स्थल हैं, जिनमें असाम के भव्य नदी उद्यान, उमानंदा देवी मंदिर, काजीरंगा नेशनल पार्क और हाओई पत्थर नेशनल पार्क शामिल हैं। यहां के स्थानीय संस्कृति, परंपरा और खास व्यंजनों का भी आनंद लिया जा सकता है।

कामाख्या मंदिर को घिरे अनेक प्राचीन कथाएं और पौराणिक 

एक महत्वपूर्ण कथा जो मंदिर से जुड़ी हुई है, वह है मां कामाख्या के गर्भधारण (conception) का कथा। इस कथा के अनुसार:ब्रह्मा ने एक समय पृथ्वी के रक्षा के लिए देवी दुर्गा का आह्वान किया था। देवी दुर्गा ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर भयंकर युद्ध के दौरान दैत्य राक्षस शुम्ब और निशुम्ब का वध किया और धरती की रक्षा की। इस युद्ध के दौरान देवी दुर्गा का एक सभासद सम्राट इंद्र ने उनके शरणागत होने का फायदा उठाया और उन्हें देवी के साथ विवाह करने का इच्छुक हो गया।
देवी दुर्गा ने इसे स्वीकार नहीं किया और विवाह के विरोध में एक सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें विश्व के सभी देवताओं को बुलाया गया। इस सम्मेलन में सभी देवताएं और देवीयों ने अपने-अपने रूपों में प्रकट होकर मां कामाख्या का जन्म लिया।कामाख्या माता ने देवी दुर्गा के रूप में प्रकट होकर सभी देवताओं को वध कर दिया और इंद्र को विशेष रूप से पीठ से उत्तरायण काल में उनकी विजयी रूप से भेज दिया। इसके बाद भगवती कामाख्या ने स्वयं को शिव की अर्धांगिनी बनाया और उनसे विवाह कर लिया।

इस प्रकार, मां कामाख्या का गर्भधारण कथा मंदिर में विशेष महत्व रखती है और इसे दर्शाने वाले श्रद्धालु इस कथा के महत्वाकांक्षी भक्त होते हैं।

कामाख्या मंदिर (गुवाहाटी, असम, भारत) के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य 

1. स्थान: कामाख्या मंदिर भारत के असम राज्य के गुवाहाटी शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित है।
2. पुरानी कालीन मंदिर: कामाख्या मंदिर पुरानी कालीन मंदिरों में से एक है, और भारतीय वास्तुशास्त्र शैली में बना हुआ है।
3. देवी कामाख्या: मां कामाख्या को देवी शक्ति का एक रूप माना जाता है। यह मंदिर वैष्णव, शाक्त और तांत्रिक संस्कृति के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
4. गर्भगृह: मंदिर के गर्भगृह में पूजा के लिए भगवानी के प्रतिमा स्थान है। यहां प्रसाद भोगने का अवसर होता है, और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
5. अंबुबाची मेला: वर्ष में एक बार आयोजित होने वाले अंबुबाची मेले को मां कामाख्या की शक्ति की उत्सवात्मक प्रतीक्षा के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार अप्रैल-मई में मनाया जाता है और लाखों श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं।
6. शक्ति पीठ: कामाख्या मंदिर भारत में पंचसक्ति पीठों में से एक है। यहां जगदम्बा देवी के प्रसिद्ध शक्ति पीठ का स्थान है।
7. धार्मिक महत्व: कामाख्या मंदिर हिंदू धर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां भक्तों के लिए धार्मिक अनुष्ठान, पूजा, और प्रवचन का आयोजन किया जाता है।
8. भौगोलिक आकृति: कामाख्या मंदिर भौगोलिक रूप में गर्भाधार (yoni) की आकृति रखता है, जिसे योनिपीठ के रूप में जाना जाता है। इसलिए यह स्थान तांत्रिक संस्कृति में भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
9. सांप्रदायिकता: कामाख्या मंदिर में भारतीय संस्कृति की सांप्रदायिकता का अनुभव किया जा सकता है। यहां वैष्णव, शाक्त, और शैव संप्रदायों के लोग एकत्र होते हैं और धार्मिक उत्सव मिलान करते हैं।
10. प्राकृतिक सौंदर्य: कामाख्या मंदिर असम के प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है। यह विशाल पहाड़ी क्षेत्र
 में स्थित है और वहां से देखने वाले व्यक्ति को आत्म-परिवर्तन के लिए प्रेरित करता है।
ये थे कुछ महत्वपूर्ण तथ्य कामाख्या मंदिर के बारे में। यह स्थान भारत के धार्मिक और पर्वतीय संस्कृति के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जो श्रद्धालुओं को अपनी भक्ति और आध्यात्मिकता में समृद्धि प्रदान करता है।

कामाख्या मंदिर के मंत्र और चालीसा भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।

 यहां पर मां कामाख्या की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कुछ मंत्र और चालीसा दिए जा रहे
**कामाख्या मंत्र:**
ॐ कामाख्यायै विद्महे कन्याकुमार्यै धीमहि।
तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्॥
**चालीसा:**
जय जय जगतारिणी देवी अम्बे।
जय भवानी जगदम्बे॥
हे कामाख्या जय भवानी।
मां कामाख्या जय भवानी॥
निज चरणन में निशदिन रहूं।
तारक भवदुःख पग प्रहारी हूं॥
हे कामाख्या जय भवानी।
मां कामाख्या जय भवानी॥
शुम्भ निशुम्भ वध तारा तुम बीनी।
दो भुज चारु चतुर्भुज सहज कीनी॥
हे कामाख्या जय भवानी।
मां कामाख्या जय भवानी॥
तुम ही राक्षस भयंकर बचाई।
अमर पुरी का धरोहर सजाई॥
हे कामाख्या जय भवानी।
मां कामाख्या जय भवानी॥
कृपा करो अम्बे महारानी।
जन की विनती सुनो भवानी॥
हे कामाख्या जय भवानी।
मां कामाख्या जय भवानी॥

**ध्यान मंत्र:**

अमोघ वर्षिष्ठ करेति मां कामाख्या विचित्रेति।
कान्ति विद्युल्लतेति विश्वमाता जगत्प्रसूतिके॥
यह मंत्र और चालीसा मां कामाख्या की पूजा और भक्ति में उपयोग किए जाते हैं। भगवती कामाख्या के इन मंत्रों का जाप करने से भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त होता है और समस्त दुःखों से मुक्ति मिलती है।

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