श्रीलंका के त्रिंकोमाली में भगवती इंद्राक्षी का प्रसिद्ध मंदिर /Famous temple of Bhagwati Indrakshi in Trincomalee, Sri Lanka

श्रीलंका के त्रिंकोमाली में भगवती इंद्राक्षी का प्रसिद्ध मंदिर

श्रीलंका के त्रिंकोमाली (या तिरिकोणमलय) में भगवती इंद्राक्षी का प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे लंका-इंद्राक्षी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान श्रीलंका के पूर्वी किनारे पर स्थित है। मान्यता है कि माता सती के अंग बिखरने के बाद, इंद्राक्षी की पायल (एक पैर की अंगूठी) भी यहां गिरी थी। इसलिए यह स्थान एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है।
साथ ही, पटना और गया के इलाके में भी माता सती के शरीर के अंगों के विभिन्न भागों का पतन हुआ था और उन्हें शक्तिपीठ के रूप में स्थानीय पौराणिक और धार्मिक ट्रेडिशन में स्थान दिया गया है। गया का विश्वनाथ मंदिर और पटना का पटनेश्वरी मंदिर ऐसे कुछ प्रसिद्ध शक्तिपीठों में शामिल हैं।ये शक्तिपीठ स्थानों पर भगवती देवी के विभिन्न रूपों की पूजा और भक्ति की जाती है और यात्रियों का धार्मिक पर्वेश केन्द्र बनते हैं।

लंका-इंद्राक्षी शक्तिपीठ कथा के अनुसार,

 यहां मां भगवती का पायल (एक पैर की अंगूठी) गिरी थी। इस कथा का विवरण निम्नलिखित है:
कल्पांतर में देवी सती का जन्म हुआ था और वे महादेव (भगवान शिव) की पत्नी थीं। सती ने अपने पिता राजा दक्ष के घर में विश्व के सभी देवताओं की बड़ी यज्ञ का आयोजन किया था, लेकिन उन्हें अपने पति शिव को नहीं बुलाया था, जिससे उनका मान सम्मान नहीं किया गया था।
इस यज्ञ में जब भगवती सती ने अपने पिता के अपमान को सहन नहीं किया, तो उन्होंने अपने शरीर को आग में समाहित कर दिया। महादेव ने जब यह जाना तो उन्हें अत्यंत विषाद हुआ और उन्होंने भयंकर ताण्डव नृत्य किया, जिससे समस्त ब्रह्मांड को कांपने लगा।
देवताओं ने देखा कि इस ताण्डव नृत्य से विश्व का कल्याण हो रहा है, इसलिए उन्होंने भगवान विष्णु से निवेदन किया कि वे कुछ करें। भगवान विष्णु ने एकांत में बैठे हुए महादेव के शरीर को अपनी छाया से ढक लिया, जिससे उनका विराट शरीर बना।
इस बीच, भगवती सती के शरीर के अंग विभाजित हो गए और वे अंग विभाजित होकर 51 शक्तिपीठों में विभाजित हो गए, जिनमें से एक ही पैर की अंगूठी लंका-इंद्राक्षी में गिरी।
आज भी लंका-इंद्राक्षी मंदिर भक्तों का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है और यात्रियों के आगमन का केंद्र बना हुआ है। यहां भगवती इंद्राक्षी की पूजा-अर्चना की जाती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होने की कामना की जाती है।

भगवती इंद्राक्षी की महिमा के  10 महत्वपूर्ण तथ्य

लंका-इंद्राक्षी शक्तिपीठ एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है और भगवती इंद्राक्षी की महिमा के कारण यह भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। यहां आपको इस शक्तिपीठ के 10 महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानकारी मिलेगी:
1. स्थान: लंका-इंद्राक्षी शक्तिपीठ श्रीलंका के त्रिंकोमाली नगर में स्थित है।
2. नाम: इस शक्तिपीठ का प्रमुख देवी का नाम 'इंद्राक्षी' है, जिसका अर्थ है "ईंद्र की आंख"।
3. उत्पत्ति कथा: इस स्थान के साथ देवी सती के शरीर के अंग विभाजित होने की कथा जुड़ी हुई है। यहां से एक ही पैर की अंगूठी गिरी थी और इसे शक्तिपीठ के रूप में माना जाता है।
4. मंदिर: यहां लंका-इंद्राक्षी मंदिर स्थित है, जिसे यात्रियों के आगमन का केंद्र बनाया गया है।
5. धार्मिक महत्व: यह शक्तिपीठ भारतीय धर्मशास्त्रों में महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है और भगवती इंद्राक्षी की कृपा को प्राप्त करने के लिए विशेष महत्व रखता है।
6. पर्वतीय सौंदर्य: यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है और इसे पर्वतीय रेलीवे यात्रा के लिए भी जाना जाता है।
7. नृत्य मेला: लंका-इंद्राक्षी मंदिर में वार्षिक नृत्य मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें कई देवी-देवताओं के नृत्य और कला प्रदर्शन होते हैं।
8. पूजा अर्चना: यहां पर भगवती इंद्राक्षी की नियमित पूजा-अर्चना की जाती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होने के लिए उनकी आराधना की जाती है।
9. पारंपरिक कथा: लंका-इंद्राक्षी शक्तिपीठ को प्राचीन कथाओं में जिक्र किया गया है और उसकी महिमा को धार्मिक ट्रेडिशन में माना जाता है।
10. पर्वतीय यात्रा: इंद्राक्षी मंदिर तक पहुंचने के लिए एक पर्वतीय यात्रा की आवश्यकता होती है, जो यात्रियों के लिए एक आध्यात्मिक और पर्यावरणीय अनुभव प्रदान करती है।

लंका-इंद्राक्षी शक्तिपीठ के लिए विशेष मंत्र निम्नलिखित है:

"ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं इंद्राक्ष्यै नमः"
यह मंत्र भगवती इंद्राक्षी को प्रसन्न करने और उनकी कृपा को प्राप्त करने के लिए जाप किया जाता है। भक्तों को इस मंत्र का नियमित जाप करके भगवती की कृपा प्राप्त होती है और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
शक्तिपीठों के मंत्रों का जाप उन देवी-देवताओं के आशीर्वाद को प्राप्त करने और सुख-शांति के लिए किया जाता है। यदि आप इंद्राक्षी शक्तिपीठ के जाने वाले हैं या उससे संबंधित धार्मिक आयोजनों में शामिल होने जा रहे हैं, तो इस मंत्र का जाप करके आप भगवती के आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं।

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