निम्नलिखित है माँ दुर्गा की स्तुति हिंदी में अर्थ सहित: / Following is Maa Durga Stuti in Hindi with meaning:

निम्नलिखित है माँ दुर्गा की स्तुति हिंदी में अर्थ सहित:

दुर्गा स्तुति (Durga Stuti) पढ़ने से माँ दुर्गा के प्रति भक्ति और शक्ति के अनुभव में वृद्धि होती है। निम्नलिखित है माँ दुर्गा के स्तुति का एक छोटा सा अंश। आप इसे पढ़ सकते हैं या माँ दुर्गा के अन्य स्तुति पाठों का अध्ययन कर सकते हैं।
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते॥

नमस्ते जगतां मातरे विश्वरूपे संस्थिते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मातर्नाहीन धन गहनन पुनि तेरो जगत नाहीं।
भानु की जोति तेरी जगमगत सब भुजग बाहीं॥

प्रगतियों के पाठ पढ़ाए तुझको याचक मिटे भयभीत।
दुर्गा दुर्गा माँ दुर्गा माँ तू ही दुर्गा भवानी॥
भुजा चार छहों जग भारी। चंद्रमा को रण में हारी॥
धूप समान गहनन लहराये। चारों दिशा से भयहारी॥

माँ तू ही दुर्गा भवानी। जग विचित्र माँ तू ही दुर्गा भवानी॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
दुर्गा दुर्गा माँ दुर्गा माँ तू ही दुर्गा भवानी॥

आपको यह स्तुति माँ दुर्गा को समर्पित है और उनकी कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए पढ़ा जा सकता है। ध्यान रखें कि स्तुति पढ़ते समय आपके मन, शरीर और आत्मा में श्रद्धा और भक्ति का भाव होना चाहिए।

माँ दुर्गा की स्तुति हिंदी में अर्थ सहित:

सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते॥

अर्थ: तुझे हर शुभमंगलों का सर्वोच्च अधिपति, सबके सब वांछा-पूर्ति के लिए शक्तिशालिनी और सबकी शरण, तुझको हे त्र्यम्बके, गौरी, नारायणि! मेरा नमन है।
नमस्ते जगतां मातरे विश्वरूपे संस्थिते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

अर्थ: जगत की माता, सम्पूर्ण जगत के साकार स्वरूप वाली देवी, तुझको नमस्कार है, तुझको नमस्कार है, तुझको नमस्कार है, मैं तुझको पुनः नमस्कार करता हूं।
मातर्नाहीन धन गहनन पुनि तेरो जगत नाहीं।
भानु की जोति तेरी जगमगत सब भुजग बाहीं॥

अर्थ: हे माँ, तेरे पास धन, धान्य, और संपत्ति की कोई सीमा नहीं है, तेरे बिना संसार में कुछ भी नहीं है। तेरी ज्योति के समान तुझकी दिव्यता द्वारा समस्त जगत चमकता है और सभी सांपों को तू अपने भुजाओं में संभालती है।
प्रगतियों के पाठ पढ़ाए तुझको याचक मिटे भयभीत।
दुर्गा दुर्गा माँ दुर्गा माँ तू ही दुर्गा भवानी॥

अर्थ: जिनके पाठ विद्या की प्रगति के लिए पढ़ाया जाता है, वे तुझके सामर्थ्य के आगे अपने सभी भय और संकटों को छोड़ देते हैं। तू ही दुर्गा, तू ही भवानी, तू ही सबका रक्षक है।
भुजा चार छहों जग भारी। चंद्रमा को रण में हारी॥
धूप समान गहनन लहराये। चारों दिशा से भयहारी॥

अर्थ: चारों ओर फैली हुई चार भुजाओं द्वारा तू सम्पूर्ण जगत का भार समय पर उठाती है। चंद्रमा को भी तुझसे लड़ने में हार झेलनी पड़ती है। तेरी चमक सूर्य की किरणों के समान होती है और तू चारों दिशाओं से भय उत्पन्न करने वाली है।
माँ तू ही दुर्गा भवानी। जग विचित्र माँ तू ही दुर्गा भवानी॥
अर्थ: तू ही दुर्गा, तू ही भवानी, तू ही जगत की
रहस्यमयी माँ है। तू ही दुर्गा, तू ही भवानी, तुझमें ही विश्वास रखते हैं सभी भक्तों का।
या देवी सर्वभूतेषु माँ रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

अर्थ: जो देवी सम्पूर्ण प्राणियों में माँ के स्वरूप में स्थित है। तुझको नमस्कार है, तुझको नमस्कार है, तुझको नमस्कार है, मैं तुझको पुनः नमस्कार करता हूं।
दुर्गा दुर्गा माँ दुर्गा माँ तू ही दुर्गा भवानी॥

अर्थ: हे माँ दुर्गा, तू ही दुर्गा, तू ही भवानी, तुझको हे माँ दुर्गा, मेरा नमन है।
यह स्तुति माँ दुर्गा की महिमा का वर्णन करती है और उन्हें समर्पित है। इसे पाठ करके आप दुर्गा माता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। ध्यान रखें कि स्तुति को पढ़ते समय आपके मन, शरीर और आत्मा में श्रद्धा और भक्ति का भाव होना चाहिए।

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