मां काली को समर्पित है,कालीघाट मंदिर

मां काली को समर्पित है,कालीघाट मंदिर

कालीघाट मंदिर भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के कोलकाता (कलकत्ता) शहर में स्थित है। यह मंदिर मां काली को समर्पित है, जो हिंदू धर्म की देवी और दुर्गा माता के एक रूप मानी जाती हैं।कालीघाट मंदिर भारत में सबसे प्रसिद्ध मां काली के मंदिरों में से एक है, और यह पर्यटकों और भक्तों के बीच बहुत पसंद किया जाता है। इस मंदिर का निर्माण 1809 में किया गया था, और बाद में कई बार इसे सुधारा और विस्तार किया गया।मां काली का यह मंदिर निकटवर्ती गंगा नदी के किनारे बसा है। इसके भव्य गोपुरम और मां काली की प्रतिमा के चर्चा के लिए यहां प्रसिद्ध है। मंदिर के भीतर एक काली माता की प्रतिमा है, जिसे भक्तों ने भगवती काली या जगदंबा के नाम से पुकारा जाता है।
इस मंदिर में रोजाना अनेक भक्तों की भीड़ आती है जो मां काली के दर्शन करने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए आते हैं। विशेष अवसरों पर जैसे नवरात्रि, दुर्गा पूजा, काली पूजा और दीपावली जैसे त्योहारों पर भी मंदिर में भक्तों का आगमन होता है। इन अवसरों पर मंदिर और आसपास के इलाकों में दिव्यता और धार्मिक आत्माविकास का भाव महसूस होता है।कालीघाट मंदिर को भारतीय संस्कृति, पौराणिक इतिहास और धार्मिक आस्था के अद्भुत संगम के रूप में देखा जाता है और यह भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक स्थल के रूप में महत्वपूर्ण है।

कालीघाट मंदिर की कथा निम्नलिखित 

दृढ़ श्रद्धा और विश्वास से भरी एक कथा विद्वानों और भक्तों के बीच प्रचलित है। कहते हैं कि ब्रह्मा, विष्णु, और शिव ने एक समय पृथ्वी पर बड़े ही महत्वपूर्ण तापस्या की थी। उन्होंने तपस्या के दौरान एक अद्भुत शक्ति को प्राप्त कर लिया, जो असुरों को विनाश करने की क्षमता रखती थी।असुरों की शक्ति को देखकर देवताओं को चिंता हुई और उन्होंने देवी दुर्गा से सहायता मांगी। मां दुर्गा ने अपने अवतार के रूप में मां काली को प्रकट किया और असुरों का संहार किया। मां काली ने असुरों की सेना को विनाश किया और देवताओं को संरक्षण दिया। उनकी भयंकर रूप और विनाशकारी शक्ति के कारण उन्हें 'काली' के नाम से पुकारा जाने लगा।
इसके बाद, देवताओं ने मां काली को धन्यवाद दिया और उनसे यह बिनती की कि वे एक स्थान पर निवास करें, ताकि उनके भक्त उन्हें सदैव पूज सकें। इस प्रार्थना के बाद मां काली ने कालीघाट (काली का घाटी) में अपने विराजमान होने का निर्णय किया। वहां एक प्राचीन मंदिर का निर्माण हुआ जिसे कालीघाट मंदिर के रूप में जाना जाता है।कालीघाट मंदिर भारतीय धरोहर और धार्मिक महत्व के साथ एक खास स्थान है, जो हर साल लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। यह मां काली के भक्तों के लिए एक प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल है, जहां वे भक्ति और समर्पण भाव से देवी की पूजा करते हैं।

कालीघाट मंदिर में पूजा करने की विधि निम्नलिखित

ध्यान देने योग्य बात है कि पूजा की विधि भक्त के विशेष आदर्शों और प्राथमिकताओं के आधार पर थोड़ी बदल सकती है, लेकिन धर्मिक प्रक्रिया और नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण होता है।

पूजा की विधि:
  • साफ़ सफाई करें: पूजा शुरू करने से पहले, सभी उपकरणों, वस्त्रों, और पूजा स्थल को साफ़ करें।
  • दीपक जलाएं: पूजा के लिए एक दिया लेकर उसे घी या तेल से भरकर उसे जलाएं।
  • पूजा स्थल सजाएं: मां काली की मूर्ति के सामने एक चौकी या पूजा स्थल स्थापित करें। उसे सुंदरता से सजाएं और फूल, धूप, चंदन, रोली, अक्षता, बेल पत्र आदि से सजाएं।
  • पूजा सामग्री तैयार करें: मां काली की पूजा के लिए रोली, चावल, दूध, गंध, फूल, दीपक, धूप, नैवेद्य, आदि तैयार करें।
  • पूजा का आरम्भ: पूजा को अपने मन और आदर्शों से संबंधित ध्यान और श्रद्धा से शुरू करें। मां काली के चित्र या मूर्ति को देखकर आरती गाएं और उनकी पूजा करें।
  • मंत्र जप करें: मां काली के बीज मंत्र और ध्येय मंत्र का जप करें। "ॐ क्रीं कालिकायै नमः" और "ॐ क्रीं कालिकायै विद्महे स्माशानवासिन्यै धीमहि। तन्नो काली प्रचोदयात्।" जैसे मंत्र का जाप करें।
  • नैवेद्य चढ़ाएं: मां काली को फूल, फल, मिष्ठान, और प्रसाद के रूप में नैवेद्य चढ़ाएं।
  • आरती उतारें: धूप, दीपक, और पुष्पों की आरती उतारें और मां काली के समक्ष अर्पित करें।
  • प्रसाद वितरित करें: पूजा के बाद प्रसाद को भक्तों में बाँटें और उन्हें धन्यवाद दें।
  • पूजा समाप्ति: पूजा समाप्त करने से पहले मां काली को आशीर्वाद लें और भक्ति भाव से पूजा समाप्त करें।
यह आम तौर पर प्राकृतिक और साधारण पूजा की विधि है, लेकिन व्यक्तिगत आदर्शों और परंपरागत नियमों के अनुसार भक्त इसमें अपनी सम्पूर्णता कर सकते हैं।

कालीघाट मंदिर के 10 रोचक तथ्य

  • प्राचीनता: कालीघाट मंदिर बंगाल के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण इतिहास के अनुसार 1809 में हुआ था।
  • मां काली की मूर्ति: मां काली की मूर्ति भयंकर रूप में है, जिसमें उनके चार हाथ, शिर में चांदी के किरण, जीभ पर नीचे तलवार और श्वासगात्र में हुंकार के लिए निकट भारी भीषण दिखाई देते हैं।
  • भक्तों की भीड़: कालीघाट मंदिर एक विशेष धार्मिक स्थल है और साल भर में लाखों भक्त यहां आते हैं। विशेषकर नवरात्रि, दुर्गा पूजा, और काली पूजा के दिनों पर यहां भक्तों की भीड़ और धार्मिक आनंद का भाव अधिक रहता है।
  • धार्मिक महत्व: कालीघाट मंदिर भारतीय धरोहर के रूप में महत्वपूर्ण है। यहां आने वाले भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक आनंद मिलता है।
  • कलकत्ता शहर की पहचान: कालीघाट मंदिर को कोलकाता (कलकत्ता) शहर की पहचान माना जाता है। यह शहर के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और एक प्रमुख पर्यटक स्थल है।
  • चंडी पूजा: कालीघाट मंदिर में विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान चंडी पूजा का आयोजन किया जाता है। इस समय भक्त नौ दिनों तक नियमित रूप से मां काली की पूजा और भजन करते हैं।
  • दीपावली उत्सव: कालीघाट मंदिर में दीपावली उत्सव भी धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर मंदिर और आसपास के इलाकों में रंग-बिरंगी दीपावली के त्योहार का आनंद लिया जाता है।
  • जगत धात्री मेला: जगत धात्री मेला कालीघाट मंदिर के पास स्थित होता है, जिसे दुर्गा पूजा के दौरान आयोजित किया जाता है। यह मेला भक्तों को विशेष रूप से आकर्षित करता है।
  • निर्माण और सुधार: कालीघाट मंदिर ने अपने निर्माण के बाद से कई बार सुधार और विस्तार का सामना किया है।
  • धार्मिक धरोहर: कालीघाट मंदिर भारतीय संस्कृति, पौराणिक इतिहास, और धार्मिक धरोहर के रूप में माना जाता है। यह धरोहर दर्शनीयता के साथ एक साथ एक अद्भुत संगम है।

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