नवरात्रों में मां पूर्णागिरि धाम भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान /Maa Purnagiri Dham is an important place for devotees during Navratras

नवरात्रों में मां पूर्णागिरि धाम भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान

नवरात्रों में मां पूर्णागिरि धाम (Maa Purnagiri Dham) उत्तराखंड, भारत में स्थित है, और यह एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है जो नवरात्रि के अवसर पर भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। यहां नवरात्रों के दौरान भक्तों का एक विशेष रेला चलता है जो मां पूर्णागिरि के दर्शन के लिए उमड़ जाता है।
यह रेला भक्तों के लिए सुविधाजनक बनाया गया है ताकि वे आसानी से पूर्णागिरि धाम जा सकें और मां के दर्शन कर सकें। नवरात्रि के इस पवित्र अवसर पर, हजारों भक्त इस रेले में सामिल होते हैं और मां की कृपा के लिए उन्हें यात्रा करने का अवसर मिलता है।मां पूर्णागिरि धाम नवरात्रों के दौरान धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों का भी अच्छा आयोजन किया जाता है। भक्तों के लिए यह धाम एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, और इसे नवरात्रि के अवसर पर ज्यादा से ज्यादा भक्तों के साथ भगवानी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यात्रा करने का एक अच्छा मौका होता है।

नवरात्रों में मां पूर्णागिरि धाम (Maa Purnagiri Dham) की कथा 

भगवानी मां दुर्गा के अवतार के रूप में मानी जाती है। यह कथा नवरात्रि के उत्सव के दौरान भक्तों के बीच सुनाई जाती है और उन्हें मां पूर्णागिरि की महिमा के बारे में बताती है।
कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक बहुत बड़ा राक्षस राजा भूपाल नामक राक्षस राजा था। वह देवी दुर्गा का शक्ति और वीरता का विश्वास नहीं करता था और अपने बदले में देवी को नष्ट करने की कोशिश करता था।
एक दिन, देवी दुर्गा ने मां पूर्णागिरि के रूप में प्रकट होकर भूपाल के साम्राज्य में आविष्कार किया। देवी ने भूपाल के साम्राज्य में अधिकार करने का दावा किया और भूपाल को चुनौती दी कि वह उसे हरा सके।
भूपाल, दुर्गा के वीरता को नजरअंदाज करते हुए, उसे हराने के लिए सैन्य साथ लेकर उसके पीछे जा पहुंचा। लेकिन मां पूर्णागिरि की कृपा से, भूपाल की सेना द्वारा देवी को विजयी नहीं किया गया।
इसके बाद, भूपाल ने खुद मां पूर्णागिरि के पास गया और उनकी चरणों में शरण ली। मां पूर्णागिरि ने भूपाल के भक्ति और शरणागति को प्रसन्नता से स्वीकार किया और उसे आशीर्वाद दिया।
इस कथा के प्रसंग में, मां पूर्णागिरि के धार्मिक महत्व और उनके भक्तों के प्रति आशीर्वाद का संदेश समाहित होता है। नवरात्रि के अवसर पर, भक्त इस कथा को सुनकर मां पूर्णागिरि के दर्शन करने के लिए प्रेरित होते हैं और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का अवसर प्राप्त करते हैं।

नवरात्रों में मां पूर्णागिरि धाम के पूजन की विधि निम्नलिखित रूप से 

1. सफ़ाई और शुद्धिकरण: पूजा शुरू करने से पहले, पूजा स्थल को साफ़ करें और उसे शुद्ध करें। धार्मिक दृष्टिकोन से, शुद्धता महत्वपूर्ण है।
2. कलश स्थापना: पूजा स्थल पर एक कलश स्थापित करें। इसके लिए एक कलश में गंगाजल या शुद्ध जल भरें और उसमें सुपारी, कुंकुम, नारियल, फूल आदि डालें। कलश के ऊपर एक कलश चौड़ास पट्टी रखें और उसमें सुपारी, दालचीनी, इलायची, लौंग, कुंकुम, गंगाजल डालें। फिर कलश के मुख पर एक कलश की ओट रखें। इसे कलश स्थापना कहा जाता है और इसे पूजनीय माना जाता है।
3. मूर्ति स्थापना: मां पूर्णागिरि की मूर्ति को पूजा स्थल पर स्थापित करें। मूर्ति के सामने एक आसन या रखें जिस पर आप पूजा करेंगे।
4. आरती: पूजा का विधान पूरा होने के बाद, मां पूर्णागिरि की आरती करें। आरती में दीपक जलाएं, फूल चढ़ाएं, और भजनों के साथ मां की आराधना करें।
5. प्रसाद वितरण: पूजा के बाद मां पूर्णागिरि को प्रसाद के रूप में मिठाई या फल चढ़ाएं और उसे भक्तों के बीच बांटें।यह थी मां पूर्णागिरि धाम की पूजा की एक साधारण विधि। ध्यान दें कि पूजा की विधि भक्तों के स्थानीय रूढ़िवाद और संप्रदायों के अनुसार थोड़ी भिन्न हो सकती है, इसलिए यदि आपके पास संबंधित स्थानीय पंडित या धार्मिक विशेषज्ञ हो, तो उनसे विधि का सुनिश्चित करना बेहतर होगा।

नवरात्रों में मां पूर्णागिरि धाम के बारे में 21 रोचक तथ्य:

1. मां पूर्णागिरि धाम उत्तराखंड, भारत में स्थित है और यह नवरात्रों के दौरान भक्तों के लिए एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है।
2. धाम के नाम का अर्थ होता है "पूर्ण की अधिष्ठान" जो मां दुर्गा के एक अवतार के रूप में जाना जाता है।
3. मां पूर्णागिरि धाम का मुख्य मंदिर हिमालय की पहाड़ियों पर स्थित है और यहां से प्राकृतिक सौंदर्य की अद्भुत विधाएं देखी जा सकती हैं।
4. यह धाम भक्तों के लिए निर्माण की दृष्टि से बहुत प्राचीन है और इसका इतिहास लगभग 2000 साल पुराना है।
5. मां पूर्णागिरि का मंदिर भारतीय मिथक और पौराणिक कथाओं में भी उल्लेखित है।
6. धाम के बाहरी सीमा भारतीय सेना द्वारा नियंत्रित की जाती है और यह एक सैन्य कवच के तहत आता है।
7. मां पूर्णागिरि मंदिर के पास हनुमान मंदिर भी है जिसे भक्त बजरंगबली के रूप में जानते हैं।
8. यहां प्रतिवर्ष नवरात्रि के अवसर पर भक्तों का एक विशेष रेला भी चलता है, जिसमें हजारों भक्त शामिल होते हैं।
9. नवरात्रि के दौरान यहां धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों का भी अच्छा आयोजन किया जाता है।
10. मां पूर्णागिरि के धाम के पास नीला तलाब भी है जिसे संतों और भक्तों के द्वारा अभिवादन का स्थान माना जाता है।
11. इस धाम के चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य से भरी घाटियाँ और घने जंगल हैं, जिन्हें देखने के लिए यहां आने वाले भक्तों को आनंद मिलता है।
12. मां पूर्णागिरि के धाम में बहुत सारे आकर्षणीय स्थल हैं, जिनमें पंथान का तलाब, भैरव बाबा का मंदिर, और गुफा शामिल हैं।
13. मां पूर्णागिरि धाम में नियमित रूप से अन्न दान किया जाता है और भक्तों को प्रसाद के रूप में खिलाया जाता है।
14. यह धाम स्थानीय शिल्प कला के लिए भी प्रसिद्ध है, और धाम के निकट स्थित गांवों में स्थानीय हस्तशिल्प उत्पादों की खरीदारी की जा सकती है।
15. मां पूर्णागिरि धाम के निकट वन्यजीवन सफारी का भी आनंद लिया जा सकता है, जिसमें जंगली जानवरों और पक्षियों के समृद्ध विचार किए जा सकते हैं।
16. इस धाम में चढ़ाई के लिए चार मार्ग हैं, जिनमें से सबसे लोकप्रिय मार्ग पूर्णागिरि मंदिर से 3.5 किलोमीटर दूर स्थित है।
17. मां पूर्णागिरि के धाम में साल भर में कई त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें शिवरात्रि, नवरात्रि, दशहरा, होली, और दीपावली शामिल हैं।
18. धाम के पास एक रस्ता है, जिसे "विश्वास की मार्ग" नामकी यहां का सड़क नामकरण किया गया है।
19. नवरात्रि के अवसर पर, पूर्णागिरि धाम में हजारों भक्त आते हैं और मां के दर्शन करते हैं।
20. यहां के भक्तों के बीच पूर्णागिरि मेला भी आयोजित किया जाता है जिसमें स्थानीय कलाकारों द्वारा नृत्य और संगीत का आयोजन किया जाता है।
21. नवरात्रि के अवसर पर मां पूर्णागिरि धाम विशेष भोजन भी बनाते हैं, जो भक्तों को प्रसाद के रूप में खिलाया जाता है।

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