मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ तिब्बत एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल / Manas-Dakshayani Shaktipeeth Tibet a famous religious place
मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ तिब्बत एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल
मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ तिब्बत के कैलाश पर्वत के मानसा के पास स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह शक्तिपीठ हिंदू धर्म में मां सती के शरीर के अंगों का अवशेष स्थान माना जाता है। मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ भारतीय धार्मिक परंपरा में अहम स्थान रखता है और यात्रियों के लिए धार्मिक एवं पर्वतारोहणीय यात्रा का लोकप्रिय स्थान है।कैलाश पर्वत तिब्बत के उत्तर पश्चिमी हिस्से में स्थित है और हिंदू धर्म के साथ साथ बौद्ध और जैन धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण स्थल है। कैलाश पर्वत को हिंदू धर्म में भगवान शिव की निवास स्थल के रूप में पूजा जाता है और इसे धार्मिक यात्रियों के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है।
मानसा शक्तिपीठ भी इस यात्रा के दौरान भ्रमण करने वाले यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण स्थल है। इसे मां सती के शरीर के विभिन्न अंगों का अवशेष स्थान माना जाता है और यहां भक्तजन भगवती का वंदना और पूजा-अर्चना करते हैं। यहां भगवती की शक्ति को समर्पित एक पवित्र मंदिर भी स्थित है।मानसा, शिव की पत्नी माता सती के दुहन होने के कारण भी महत्वपूर्ण है, और इसे शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। यहां परंपरागत तौर पर धार्मिक अनुष्ठान, पूजा, और पर्वतारोहणीय यात्रा आयोजित की जाती है जो धार्मिक एवं आध्यात्मिक आत्मा को प्राप्त करने में मदद करती है।
मानसा शक्तिपीठ भी इस यात्रा के दौरान भ्रमण करने वाले यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण स्थल है। इसे मां सती के शरीर के विभिन्न अंगों का अवशेष स्थान माना जाता है और यहां भक्तजन भगवती का वंदना और पूजा-अर्चना करते हैं। यहां भगवती की शक्ति को समर्पित एक पवित्र मंदिर भी स्थित है।मानसा, शिव की पत्नी माता सती के दुहन होने के कारण भी महत्वपूर्ण है, और इसे शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। यहां परंपरागत तौर पर धार्मिक अनुष्ठान, पूजा, और पर्वतारोहणीय यात्रा आयोजित की जाती है जो धार्मिक एवं आध्यात्मिक आत्मा को प्राप्त करने में मदद करती है।
मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ कथा
हिंदू परंपराओं में प्रसिद्ध है और इसमें मां सती और भगवान शिव के अत्यंत गंभीर और उदार विषय हैं। निम्नलिखित है मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ की कथा का संक्षेपित सारांश:
कथा का वर्णन करने से पहले, हम जान लें कि मां सती भगवान शिव की पत्नी थीं। उन्होंने अपने पिता राजा दक्ष के घर में एक बड़ा यज्ञ करवाने की इच्छा की थी, लेकिन उस यज्ञ में जब उन्हें विशेष रूप से नहीं बुलाया गया तो उनके मन में दुख हुआ। इस पर उन्होंने यज्ञ को उद्दीप्त करके खुद को बलि देने का निर्णय किया। जब भगवान शिव यह जानकर उनके संयम और पराक्रम का सम्मान करने गए तो उन्हें उसके पिता राजा दक्ष द्वारा अपमानित किया गया। विष्णु भगवान के समाधान से युद्ध हुआ और इसमें भगवान शिव के युद्ध भाग में मां सती ने आत्महत्या कर ली।भगवान शिव के वज्रायुध से नष्ट होने के कारण भगवती की मृत्यु के बाद, भगवान शिव ने उन्हें अपने कंधों पर ले लिया और त्रिपुरासुर का वध करने के लिए तांडव नृत्य किया। भगवती के शरीर के अंगों के विभिन्न भाग भी विभाजित हुए और उन्हें शक्तिपीठों के रूप में स्थापित किया गया। मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ भी उन्हीं अंगों का एक स्थान है, जो तिब्बत के कैलाश पर्वत में स्थित है।इस प्रकार, मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ भगवती मां सती की महान कथा के रूप में जाना जाता है और यहां भक्तजन उन्हें समर्पित भक्ति और पूजा करते हैं। यह स्थान धार्मिक एवं आध्यात्मिक यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है और भगवती की कृपा को प्राप्त करने का एक शुभ स्थान माना जाता है।
2. महत्व: मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ हिंदू धर्म में मां सती के शरीर के अंगों के अवशेष स्थान माना जाता है। इसे शक्तिपीठों में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है।
3. धार्मिक अनुष्ठान: यहां परंपरागत तौर पर धार्मिक अनुष्ठान, पूजा, और पर्वतारोहणीय यात्रा आयोजित की जाती है जो धार्मिक एवं आध्यात्मिक आत्मा को प्राप्त करने में मदद करती है।
4. मां सती का त्याग: मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ की कथा में दर्शाया गया है कि मां सती ने अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में न बुलाने पर अपनी जान की अर्पणा की थी।
5. भगवान शिव का तांडव: भगवान शिव ने मां सती के मृत्यु के बाद उन्हें अपने कंधों पर ले लिया और त्रिपुरासुर का वध करने के लिए तांडव नृत्य किया।
6. शक्तिपीठ: मां सती के शरीर के अंगों के विभिन्न भाग भगवान शिव के तांडव के कारण विभाजित हो गए और उन्हें शक्तिपीठों के रूप में स्थापित किया गया।
7. भगवती का वंदना: मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ में भगवती की शक्ति को समर्पित एक पवित्र मंदिर स्थित है, जहां भक्तजन उन्हें वंदना करते हैं।
8. ब्रह्माण्ड की शिवलिंग: कैलाश पर्वत जिस स्थान पर स्थित है, उसे ब्रह्माण्ड की शिवलिंग के रूप में जाना जाता है और भगवान शिव के प्रतिष्ठान का स्थान माना जाता है।
9. यात्रा का मार्ग: मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ को पहुंचने के लिए यात्रियों को भारतीय और तिब्बती सीमा पर बीच कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
10. भौगोलिक रूपरेखा: मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ तिब्बत के नजदीकी भौगोलिक रूपरेखा के कारण इसे कई भारतीय और विदेशी यात्री द्वारा चुना जाता है।
यहां परंपरागत और आध्यात्मिक रूप से मान्यता होने के कारण, मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ तिब्बत धार्मिक यात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है जो उन्हें मां सती और भगवान शिव के श्रेष्ठता की भावना में भागीदार बनाता है।
कथा का वर्णन करने से पहले, हम जान लें कि मां सती भगवान शिव की पत्नी थीं। उन्होंने अपने पिता राजा दक्ष के घर में एक बड़ा यज्ञ करवाने की इच्छा की थी, लेकिन उस यज्ञ में जब उन्हें विशेष रूप से नहीं बुलाया गया तो उनके मन में दुख हुआ। इस पर उन्होंने यज्ञ को उद्दीप्त करके खुद को बलि देने का निर्णय किया। जब भगवान शिव यह जानकर उनके संयम और पराक्रम का सम्मान करने गए तो उन्हें उसके पिता राजा दक्ष द्वारा अपमानित किया गया। विष्णु भगवान के समाधान से युद्ध हुआ और इसमें भगवान शिव के युद्ध भाग में मां सती ने आत्महत्या कर ली।भगवान शिव के वज्रायुध से नष्ट होने के कारण भगवती की मृत्यु के बाद, भगवान शिव ने उन्हें अपने कंधों पर ले लिया और त्रिपुरासुर का वध करने के लिए तांडव नृत्य किया। भगवती के शरीर के अंगों के विभिन्न भाग भी विभाजित हुए और उन्हें शक्तिपीठों के रूप में स्थापित किया गया। मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ भी उन्हीं अंगों का एक स्थान है, जो तिब्बत के कैलाश पर्वत में स्थित है।इस प्रकार, मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ भगवती मां सती की महान कथा के रूप में जाना जाता है और यहां भक्तजन उन्हें समर्पित भक्ति और पूजा करते हैं। यह स्थान धार्मिक एवं आध्यात्मिक यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है और भगवती की कृपा को प्राप्त करने का एक शुभ स्थान माना जाता है।
मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ तिब्बत के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
1. स्थान: मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ तिब्बत के कैलाश पर्वत के निकट एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह यात्रियों के लिए धार्मिक और पर्वतारोहणीय यात्रा का लोकप्रिय स्थान है।2. महत्व: मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ हिंदू धर्म में मां सती के शरीर के अंगों के अवशेष स्थान माना जाता है। इसे शक्तिपीठों में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है।
3. धार्मिक अनुष्ठान: यहां परंपरागत तौर पर धार्मिक अनुष्ठान, पूजा, और पर्वतारोहणीय यात्रा आयोजित की जाती है जो धार्मिक एवं आध्यात्मिक आत्मा को प्राप्त करने में मदद करती है।
4. मां सती का त्याग: मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ की कथा में दर्शाया गया है कि मां सती ने अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में न बुलाने पर अपनी जान की अर्पणा की थी।
5. भगवान शिव का तांडव: भगवान शिव ने मां सती के मृत्यु के बाद उन्हें अपने कंधों पर ले लिया और त्रिपुरासुर का वध करने के लिए तांडव नृत्य किया।
6. शक्तिपीठ: मां सती के शरीर के अंगों के विभिन्न भाग भगवान शिव के तांडव के कारण विभाजित हो गए और उन्हें शक्तिपीठों के रूप में स्थापित किया गया।
7. भगवती का वंदना: मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ में भगवती की शक्ति को समर्पित एक पवित्र मंदिर स्थित है, जहां भक्तजन उन्हें वंदना करते हैं।
8. ब्रह्माण्ड की शिवलिंग: कैलाश पर्वत जिस स्थान पर स्थित है, उसे ब्रह्माण्ड की शिवलिंग के रूप में जाना जाता है और भगवान शिव के प्रतिष्ठान का स्थान माना जाता है।
9. यात्रा का मार्ग: मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ को पहुंचने के लिए यात्रियों को भारतीय और तिब्बती सीमा पर बीच कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
10. भौगोलिक रूपरेखा: मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ तिब्बत के नजदीकी भौगोलिक रूपरेखा के कारण इसे कई भारतीय और विदेशी यात्री द्वारा चुना जाता है।
यहां परंपरागत और आध्यात्मिक रूप से मान्यता होने के कारण, मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ तिब्बत धार्मिक यात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है जो उन्हें मां सती और भगवान शिव के श्रेष्ठता की भावना में भागीदार बनाता है।
मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ तिब्बत के लिए एक मंत्र (mantra)
जिसे भक्तजन भगवती मां सती के समर्पण के लिए जाप करते हैं। यहां निम्नलिखित मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ मंत्र दिया गया है:
"ॐ नमः शक्ति देव्यै मानस-दाक्षायण्यै नमः"
इस मंत्र का अर्थ है, "हे शक्ति देवी मां सती, हम आपको नमस्कार करते हैं।"
भक्तजन इस मंत्र का जाप करते हैं और मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ पर उनकी भक्ति और आराधना करते हैं। इस मंत्र का जाप करने से उन्हें मां सती के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है और उनकी यात्रा में सफलता मिलती है।
यह एक प्रसिद्ध मंत्र है जिसे धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-अर्चना के दौरान भक्तजन उपयोग करते हैं। इस मंत्र के जाप से मन को शांति और सकारात्मकता मिलती है और भक्तजन भगवती के समीप अनुभव करते हैं।
कृपया ध्यान दें कि मंत्र का उच्चारण संयमित और पूर्ण श्रद्धा भाव से करें ताकि इसके शक्ति का अनुभव हो सके।
"ॐ नमः शक्ति देव्यै मानस-दाक्षायण्यै नमः"
इस मंत्र का अर्थ है, "हे शक्ति देवी मां सती, हम आपको नमस्कार करते हैं।"
भक्तजन इस मंत्र का जाप करते हैं और मानस-दाक्षायणी शक्तिपीठ पर उनकी भक्ति और आराधना करते हैं। इस मंत्र का जाप करने से उन्हें मां सती के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है और उनकी यात्रा में सफलता मिलती है।
यह एक प्रसिद्ध मंत्र है जिसे धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-अर्चना के दौरान भक्तजन उपयोग करते हैं। इस मंत्र के जाप से मन को शांति और सकारात्मकता मिलती है और भक्तजन भगवती के समीप अनुभव करते हैं।
कृपया ध्यान दें कि मंत्र का उच्चारण संयमित और पूर्ण श्रद्धा भाव से करें ताकि इसके शक्ति का अनुभव हो सके।
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