नवरात्रि के आठवां दिन माता महागौरी विशेष पूजा, भजन, कथा का पाठ और ध्यान
नवरात्रि के आठवां दिन माता महागौरी का पूजन किया जाता है। माता महागौरी नवरात्रि की नौवें दिन की देवी हैं।
माता महागौरी की दिव्य स्वरुप बिलकुल श्वेत कपड़े में शुद्ध और पवित्र होती हैं। उनके चार हाथ होते हैं, दो हाथ मुद्रा में रहते हैं, और दूसरे दो हाथ त्रिशूल और दमरू लिए होते हैं। माता महागौरी भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने की क्षमता रखती हैं और उन्हें सभी प्रकार के भय और दुःख से मुक्ति प्रदान करती हैं।
नवरात्रि के आठवां दिन, भक्त शुभहारंग और सुपारियों के साथ माता महागौरी का पूजन करते हैं। ध्यान, मन्त्र जाप, भजन, आरती और भक्ति भाव से पूजा करने से मां महागौरी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण करती हैं।नवरात्रि के आठवां दिन माता महागौरी की कृपा से भरा होता हैं और भक्तों को सफलता, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती हैं। इस दिन को ध्यान से भजन, पूजा, और भक्ति से बिताएं, और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।
नवरात्रि के आठवां दिन को माता गौरी का खास महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के रूप में माता गौरी की पूजा की जाती है। गौरी कथा के माध्यम से इस दिवस का महत्व और पूजा विधि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। नीचे दी गई गौरी कथा आपको इस दिन की विशेषता के बारे में बताएगी:
कथा:
एक समय की बात है, एक साधु अपने आश्रम में तपस्या कर रहा था। उसकी भक्ति और तप को देखकर भगवान ब्रह्मा खुश हुए और उसे वरदान देने के लिए प्रकट हुए। साधु ने ब्रह्मा से पूछा, "भगवन, मैं आपसे क्या वरदान चाहता हूँ?"भगवान ब्रह्मा ने कहा, "तुम चाहो जो भी मांगो, मैं तुम्हें वरदान दूंगा।"
साधु ने विचार किया और फिर कहा, "मुझे एक ऐसी पत्नी दीजिए, जो मेरे साथ सांझा भविष्य बन सके, मेरे धर्म का पालन करे और मेरे साथ अध्यात्मिक साधना में सहायता करे।"भगवान ब्रह्मा ने साधु की प्रार्थना स्वीकार करते हुए कहा, "तथास्तु। तुम्हारी प्रार्थना पूरी होगी।"
तभी साधु के सामने एक सुंदरी दिव्य स्त्री प्रकट हुई, जिसका चेहरा सुन्दर और आकर्षक था। वह स्त्री गौरी देवी थी। उन्होंने साधु से कहा, "मैं तुम्हारी पत्नी बनने के लिए आई हूँ। मैं तुम्हारे साथ आनंद, सुख और शांति भरी जीवन व्यतीत करने के लिए आई हूँ।"साधु खुशी से भरा हुआ था और उन्होंने गौरी देवी से विवाह की रस्मों के साथ अपनी अध्यात्मिक साधना में सहायता करने का आशीर्वाद दिया।इस प्रकार, नवरात्रि के आठवां दिन माता गौरी का वर्णन किया जाता है और भक्तों के द्वारा उनकी पूजा की जाती है। इस दिन भक्तों को अध्यात्मिक साधना में सफलता और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। भक्त गौरी माता को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा, भजन, कथा का पाठ, और ध्यान करते हैं।
नवरात्रि केआठवां दिन माता गौरी का पूजन करने की विधि
सामग्री:- माता गौरी की मूर्ति या फोटो
- फूल, अखंड दिया, धूप, चम्पा, गुग्घुल, दूध, जल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गुड़)
- कुमकुम, हल्दी, अच्छा, गंगाजल, फूल माला, रोली, चावल, कलश
- पूजा के लिए विशेष वस्त्र
- सबसे पहले, एक शुभ मुहूर्त में पूजा के लिए तैयार हो जाएं। अपने मन को शुद्ध और स्थिर रखने के लिए ध्यान करें।
- माता गौरी की मूर्ति या फोटो को सुंदर फूलों से सजाकर पूजन स्थल पर स्थान दें। उनके चरणों में सरस्वती वस्त्र रखें।
- पूजा की शुरुआत गणेश वंदना के साथ करें। गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए भक्ति भाव से मन्त्र जाप करें।
- फिर माता गौरी को पांचों पंचामृत से स्नान कराएं। उनके स्नान के लिए गंगाजल और शुद्ध जल का उपयोग करें।
- स्नान के बाद मूर्ति को सुखाने के लिए वस्त्र से ढँकें। उन्हें कुमकुम और हल्दी से अलंकृत करें।
- पुष्पांजलि और धूप दें। दीपक जलाकर आरती करें और मन्त्रों के साथ देवी मां का भजन गाएं।
- फिर दूध, फूल माला, अखंड दिया, और प्रसाद चढ़ाएं।
- पूजा के बाद आरती करें और मां गौरी का आशीर्वाद लें।
- आरती के बाद भोजन का प्रसाद बांटें और उसे सभी परिवार के सदस्यों के साथ साझा करें।
यहां दी गई पूजा विधि आम तौर पर अनुसरण की जाती है, लेकिन आपको अपनी विशेष धार्मिक प्रक्रिया के अनुसार भी आप्त पूजा विधि अपना सकते हैं। पूजा के दौरान भक्ति और भाव से मन्त्र जाप, ध्यान, और भजन करना बहुत महत्वपूर्ण है। माता गौरी का आशीर्वाद आपके जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का साथी बने।
नवरात्रि के आठवां दिन माता गौरी का मंत्र और उसका अर्थ निम्नलिखित है:
मां गौरी का मंत्र:"ॐ देवी गौरी मातायै नमः॥"
मंत्र का अर्थ:
इस मंत्र में "ॐ" एक प्राचीन और पवित्र बीज मंत्र है जो अनंत शक्ति की प्रतीक है। "देवी" शब्द देवी माँ का संक्षेप्त रूप है। "गौरी" नाम उनके एक अन्य प्रसिद्ध नाम है जो उनकी सुन्दरता और प्रेम से संबंधित है। "मातायै" शब्द उन्हें मां के रूप में संदर्भित करता है। "नमः" नामांतरण शब्द है जो भक्ति और नमस्कार का अर्थ है। इस मंत्र के द्वारा हम मां गौरी की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
मां गौरी का आठवां दिन नवरात्रि में विशेष महत्व रखता है और उनके पूजन से भक्तों को सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मंत्र जाप के द्वारा हम उन्हें समर्पित रहते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसे नवरात्रि के आठवां दिन भजन, ध्यान, और पूजा के समय जाप कर सकते हैं।
नवरात्रि के आठवां दिन माता गौरी की भक्ति करने के लिए आप निम्नलिखित भजन
- भजन: "अम्बे तू है जगदम्बे काली"
इस भजन में मां गौरी की महिमा और शक्ति का गान किया गया है। यह भजन नवरात्रि के उत्सव में प्रसिद्ध है और भक्तों द्वारा आराधना किया जाता है।
- भजन: "मेरे घर आना माँ"
इस भजन में भक्त अपनी भगवान माँ को आमंत्रित करते हैं और उन्हें अपने घर आने की निमंत्रण देते हैं। यह भजन भक्तों के द्वारा पसंद किया जाता है और नवरात्रि के अवसर पर सुना जाता है।
- भजन: "जय अम्बे गौरी"
इस भजन में मां गौरी की विजयी रूप में पूजा की जाती है। भक्तों द्वारा इसे गाया जाता है और उन्हें भगवान मां की कृपा के लिए आह्वान किया जाता है।
- भजन: "नौ दिनों दानी दुर्गा"
इस भजन में देवी दुर्गा के नौ नामों का गान किया गया है, जो उनकी महिमा और शक्ति को वर्णित करते हैं। भक्तों द्वारा इस भजन को नवरात्रि में सुना जाता है।
- भजन: "मेरी सुनलो गौरी बिना"
इस भजन में भक्त अपनी माँ गौरी से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विनती करते हैं। यह भजन भक्तों के द्वारा पसंद किया जाता है और नवरात्रि में सुना जाता है।
ये भजन आप नवरात्रि के आठवां दिन माता गौरी की आराधना करने के लिए गाया जा सकते हैं। इन भजनों के माध्यम से आप उनकी भक्ति कर सकते हैं और उनके आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं।
नवरात्रि के आठवां दिन माता गौरी के विषय में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य (facts) निम्नलिखित हैं
- माता गौरी का स्वरूप: माता गौरी को देवी पार्वती के रूप में भी जाना जाता है। वे भगवान शिव की पत्नी हैं और परम शक्ति की प्रतीक हैं। उन्हें सफेद वस्त्र और हर से सजाया जाता है। उनके चेहरे पर शांति और करुणा की मूर्ति होती है।
- गौरी पूजा का महत्व: नवरात्रि के आठवां दिन, माता गौरी की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन उन्हें प्रसन्न करने से भक्तों को सुख, समृद्धि, और सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।
- दिव्य विवाह: भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य विवाह को आठवां दिन मनाया जाता है। इस दिन, उनके विवाह का महात्म्य भक्तों के द्वारा गाते जाते हैं और उन्हें आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- शक्ति और समर्पण: माता गौरी का स्वरूप शक्ति और समर्पण की प्रतीक है। उनकी पूजा से भक्तों को भगवान के प्रति समर्पण और सेवा की भावना प्राप्त होती है।
- दुर्गा सप्तशती के आरम्भ: नवरात्रि के आठवां दिन से दुर्गा सप्तशती का पाठ आरम्भ किया जाता है। दुर्गा सप्तशती देवी दुर्गा के असली रूप और महिमा को वर्णित करता है और भक्तों को सुरक्षा और शक्ति की प्राप्ति करने में मदद करता है।
ये थे कुछ माता गौरी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य जिनसे आप उनके विषय में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। नवरात्रि के इस विशेष दिन मां गौरी के ध्यान, पूजा, और भक्ति में लीन होकर आप उनके आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं।
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