नलहरी शक्तिपीठ /Nalhari Shaktipeeth

नलहरी शक्तिपीठ 

पश्चिम बंगाल के बोलपुर में है नलहरी शक्तिपीठ, जहां माता का उदरनली गिरी थी। यहां की शक्ति कालिका तथा भैरव योगीश हैं।.
नलहाटी शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।
पश्चिम बंगाल राज्य के बोलपुर शांति निकेतन से 75 किलोमीटर तथा सैंथिया जंक्शन से 42 किलोमीटर दूर नलहरी रेलवे स्टेशन है, जहाँ से 3 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) में एक ऊँचे से टीले पर एक शक्तिपीठ है, जिसे 'नलहाटी शक्तिपीठ' कहते हैं।
यहाँ सती की "उदर नली" का पतन हुआ था (मतांतर से शिरोनली का निपात)।
यहाँ की सती 'कालिका' तथा भैरव 'योगीश' हैं।
।। ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नम: ।।
समाप्तसब प्रकार के कल्याण के लिये
“सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥”
नलहरी (अन्य नाम: नलहाटी) शक्तिपीठ एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है जो भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित है। यह स्थान मां दुर्गा के पूजन के लिए महत्वपूर्ण है और नलहरी शक्तिपीठ नाम से प्रसिद्ध है।
शक्तिपीठ (Shakti Peeth) हिंदू धर्म में मां दुर्गा के अलग-अलग भागों को संबोधित करने वाले 51 प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। नलहरी शक्तिपीठ की स्थिति की विशेषता यह है कि यहां मां के नखों का भाग माना जाता है।
कहानी के अनुसार, जब प्राचीन काल में प्रकृति ने शक्ति में प्रतिस्पर्धा की और लोग उसकी महत्ता को भुल गए, तो भगवान विष्णु ने विष्णुशक्ति के रूप में पुन: उत्पन्न होकर सभी देवी-देवताओं को जागृत किया। इसके बाद मां दुर्गा ने देवताओं को प्राण दिया और उनके रूप में विराजमान हो गई। इस क्रिया में मां दुर्गा के नखों का एक भाग पत्नी की उंगली के रूप में छलनी (grinding tool) में घुस गया, जिससे नलहरी शक्तिपीठ की स्थान स्थापना हुई।
नलहरी शक्तिपीठ का स्थान वर्तमान में भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित होता है। यहां मां दुर्गा के पूजन के अलावा, विभिन्न हिंदू त्योहारों पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है। प्रतिवर्ष नवरात्रि के दौरान भी यहां लाखों श्रद्धालु भक्त आते हैं और मां दुर्गा को भगवान शक्ति के रूप में पूजते हैं।
यह एक धार्मिक और पौराणिक स्थान होने के साथ-साथ भारतीय सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण स्थल है, जो लोगों के धार्मिक भावनाओं को उत्साहित करता है।

नलहरी (नलहाटी) शक्तिपीठ कथा,

 मां दुर्गा के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। यह कथा मां दुर्गा के एक विशेष रूप के उत्पत्ति से संबंधित है। नलहरी शक्तिपीठ के सम्बन्ध में कथा कुछ इस प्रकार है:
कथा के अनुसार, प्राचीन काल में देवी दुर्गा ने शक्ति के स्वरूप में अपने भक्तों को संरक्षण देने का संकल्प किया। एक दिन देवी दुर्गा की अधिष्ठात्री व अनन्त शक्ति माता अद्भुत लीलाएं देखने के लिए अपनी भक्तों को बुलाती हैं। देवी मां के दिव्य दर्शन प्राप्त करने के लिए उनके भक्त बड़ी उत्सुकता भरे दिव्य यात्रा के लिए निकल पड़ते हैं।
शक्ति माता की यात्रा में, भक्तों में से एक नामकरणमयी एक निम्न-मध्य वर्ग के व्यक्ति भी शामिल होता है। उसका नाम नलहरी था। नलहरी बड़ी ईमानदार, साधु और धार्मिक आदमी था। वह अपने आदर्शवादी और भक्ति भाव से विख्यात था। इसलिए, उसे देवी दुर्गा के दर्शन करने का विशेष मौका मिलता है।
यात्रा के दौरान, भक्त नलहरी बड़ी पूजा भावना से शक्तिपीठ पहुंचता है और मां दुर्गा की प्रतिमा के समीप खड़ा होता है। उसका मन पूर्ण भक्ति और श्रद्धा से भरा हुआ होता है। उसे अपने जीवन के सभी सुख-दुख को दुर्गामा के चरणों में अर्पित करते हुए विशेष पूजा अर्चना करते हुए देखा जाता है।
मां दुर्गा ने भक्त नलहरी की पूजा को स्वीकार किया और अपने विशेष आशीर्वाद से उन्हें सम्पूर्ण कल्याण प्रदान किया। भक्त नलहरी धन्य होकर अपने गांव लौटता है और लोगों को मां दुर्गा के कृपादृष्टि से प्रयोजन के बारे में बताता है।
इस रूप में, नलहरी (नलहाटी) शक्तिपीठ का नाम सम्पूर्ण देश में प्रसिद्ध हो जाता है और लोग वहां दर्शन करने आते हैं और मां दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने की उत्कंठा रखते हैं।

नलहरी (नलहाटी) शक्तिपीठ के बारे में 21 रोचक तथ्य:

1. नलहरी (नलहाटी) शक्तिपीठ भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के बांकुरा जिले में स्थित है।
2. यह शक्तिपीठ मां दुर्गा के प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों में से एक है।
3. नलहरी शक्तिपीठ को भी "नलहाटी" के नाम से जाना जाता है।
4. शक्तिपीठों को मां दुर्गा के शरीर के विभिन्न अंगों के अवशेषों के स्थान के रूप में माना जाता है। नलहरी शक्तिपीठ में मां के नखों के भाग की पूजा की जाती है।
5. नलहरी शक्तिपीठ भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों के लिए प्रसिद्ध है, जिसे देवी दुर्गा के पूजन तथा नवरात्रि के दौरान लाखों भक्त भ्रमण करते हैं।
6. नलहरी शक्तिपीठ के पूर्वी द्वार के निकट भूखंड के लोग नलहरी के नाम से जाने जाते हैं।
7. यह शक्तिपीठ भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के आसपासी राज्यों जैसे झारखंड, ओडिशा, बिहार और असम से भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।
8. नलहरी शक्तिपीठ के समीप एक छोटे सी झील (तालाब) का अस्तित्व है, जिसे "नलहाटी झील" कहा जाता है।
9. नलहरी शक्तिपीठ के पास कुछ अन्य प्रमुख तीर्थस्थल भी हैं, जैसे राजरेश्वरी मंदिर, चंचल गौड़ेश्वर मंदिर, और शिव भवानी मंदिर।
10. यहां के मंदिर में आधुनिक विशेषता और शिल्पकारी शैली का निर्माण होता है, जो भारतीय कला और संस्कृति के प्रतीक हैं।
11. नलहरी शक्तिपीठ के प्रांसंगिक महत्व को ध्यान में रखते हुए, स्थानीय लोग यहां पर्व समारोह, मेले और धार्मिक उत्सवों को आयोजित करते हैं।
12. नलहरी शक्तिपीठ भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक होने के कारण यहां धार्मिक पर्ववार्ता और पर्वों पर भीड़ होती है।
13. नलहरी शक्तिपीठ के समीप स्थित नलहाटी झील और विश्राम व्यापारी दुकानें भी भ्रमणकारियों के लिए आकर्षक हैं।
14. नलहरी शक्तिपीठ के पास स्थित आकर्षणीय स्थलों में से एक चंचल गौ
ड़ेश्वर मंदिर है, जिसे मां चंचल और गौड़ेश्वर भगवान के लिए प्रसिद्ध किया जाता है।
15. नलहरी शक्तिपीठ के पास कुछ सुंदर वन्यजीवन स्थल भी हैं, जो भ्रमणकारियों के लिए खास आकर्षण हैं।
16. नलहरी शक्तिपीठ में आने वाले भक्तों के लिए अनुकूल स्थानीय प्रतिवेश्यों, धार्मिक वस्तुओं और धार्मिक उपहारों की व्यापारी गलियां हैं।
17. नलहरी (नलहाटी) शक्तिपीठ के पास गोबिंदपुर गांव और अनंतपुर गांव के छोटे सी बाजारें भी हैं, जहां स्थानीय शिल्पकारी उत्पाद खरीदने का अवसर मिलता है।
18. नलहरी शक्तिपीठ अपनी सुंदर वास्तुशिल्प के लिए भी जाना जाता है, जो स्थानीय संस्कृति का प्रतीक है।
19. यह शक्तिपीठ पूर्वी और पश्चिमी रेलवे के साथ रेल जुड़ाव रखता है, जिससे इसे रेल द्वारा भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।
20. नलहरी शक्तिपीठ के पास बंगला वस्त्र और परंपरागत गांवी संस्कृति के आकर्षक रंगीन वस्त्र भी खरीदा जा सकता है।
21. नलहरी (नलहाटी) शक्तिपीठ भारतीय इतिहास, धरोहर और धार्मिक विरासत का महत्वपूर्ण तथ्य है, जिसे देवी दुर्गा के भक्तों के बीच उत्साहित करता है।

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