जानिये क्यों कहते हैं भगवान विष्णु को 'नारायण' और 'हरि' !!/ Why Lord Vishnu is called 'Narayan' and 'Hari'

जानिये क्यों कहते हैं भगवान विष्णु को 'नारायण' और 'हरि' !!

पालनहार भगवान विष्णु के सबसे बड़े भक्त नारद मुनि उन्हें नारायण कहकर ही बुलाते हैं। इसके अलावा उन्हें अनन्तनरायण, लक्ष्मीनारायण, शेषनारायण इन सभी नामों से भी बुलाया जाता रहा है। पर मूल बात यह है कि इन सभी नामों में नारायण जुड़ा रहा है। जानिये क्यों... 

प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार, जल भगवान विष्णु के पैरों से पैदा हुआ था और इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया की भगवान विष्णु के पैर से बाहर आई गंगा नदी का नाम 'विष्णुपदोदकी' के नाम से जाना जाता है।

इसके अलावा, जल 'नीर' या 'नर' नाम से जाना जाता है और भगवान विष्णु भी पानी में रहते हैं, इसलिए, 'नर' से उनका नाम नारायण बना, इसका मतलब है पानी के अंदर रहने वाले भगवान ।

भगवान विष्णु को 'हरि' नाम से भी जाना जाता है हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, हरि का मतलब हरने वाला या चुराने वाला इसलिए कहा जाता है। 'हरि हरति पापणि' इसका मतलब है हरि भगवान हैं, जो जीवन से पाप और समस्याओं को समाप्त करते हैं।

🕉🚩भगवान विष्णु 
    'परमेश्वर' के तीन मुख्य रूपों में से एक रूप हैं। भगवान विष्णु सृष्टि के पालनहार हैं। संपूर्ण विश्व श्रीविष्णु की शक्ति से ही संचालित है। वे निर्गुण, निराकार तथा सगुण साकार सभी रूपों में व्याप्त हैं।
ईश्वर के ताप के बाद जब जल की उत्पत्ति हुई तो सर्वप्रथम भगवान विष्णु का सगुण रूप प्रकट हुआ। विष्णु की सहचारिणी लक्ष्मी है। विष्णु की नाभी से ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई। आदित्य वर्ग के देवताओं में विष्णु श्रेष्ठ हैं। और भी कई विष्णु हैं।

🕉🚩विष्णु का अर्थ :-
      विष्णु के दो अर्थ है- पहला विश्व का अणु और दूसरा जो विश्व के कण-कण में व्याप्त है।
🕉🚩विष्णु की लीला :- 
    भगवान विष्णु के वैसे तो 24 अवतार है किंतु मुख्यत: 10 अवतार को मान्यता है। विष्णु ने मधु केटभ का वध किया था। सागर मंथन के दौरान उन्होंने ही मोहिनी का रूप धरा था। विष्णु द्वारा असुरेन्द्र जालन्धर की स्त्री वृन्दा का सतीत्व अपहरण किया गया था।
🕉🚩विष्णु का स्वरूप :-
    क्षीर सागर में शेषनाग पर विराजमान भगवान विष्णु अपने चार हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण किए होते हैं। उनके शंख को 'पाञ्चजन्य' कहा जाता है। चक्र को 'सुदर्शन', गदा को 'कौमोदकी' और मणि को 'कौस्तुभ' कहते हैं। किरीट, कुण्डलों से विभूषित, वनमाला तथा कौस्तुभमणि को धारण करने वाले, कमल नेत्र वाले भगवान श्रीविष्णु देवी लक्ष्मी के साथ निवास करते हैं।
🕉🚩विष्णु मंत्र :-
    पहला मंत्र- ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि। 
दूसरा मंत्र- ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
#शम्भू

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