भगवान राम के बारे में

 भगवान राम के बारे में  about lord ram

भगवान राम हिन्दू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं। वे विष्णु भगवान के सातवें अवतार माने जाते हैं। रामायण में उनकी कथा बताई गई है, जो भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है।
भगवान राम का जन्म आयोध्या में हुआ था। उनके पिता का नाम राजा दशरथ था और माता का नाम कौशल्या था। राम का जन्म विष्णु भगवान के द्वारा लीलावतार के रूप में हुआ था, जिनका मुख्य उद्देश्य था अधर्म का नाश करना और धर्म की स्थापना करना।
रामायण में राम की महानता, उनके परिवार और समाज में उनकी भूमिका, उनके पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण, और भक्त हनुमान जैसे महान चरित्रों की कहानी है। रामायण भक्ति, धर्म, समर्पण, और न्याय के महत्त्वपूर्ण संदेशों को लेकर प्रसिद्ध है। राम का चरित्र और उनकी शिक्षाएं हमें धर्म, संयम, और सच्चे मानवता की ओर आग्रह करती हैं।

राम भगवान का जन्म 

श्रीराम का जन्म सूर्यवंश में हुआ इन्हें रामचंद्र भी कहते हैं, रामायण के अनुसार,महाराज दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, सीता के पति व लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता थे।
भगवान राम का जन्म अयोध्या नगरी में हुआ था। उनके पिता का नाम राजा दशरथ था और माता का नाम कौशल्या था। भगवान राम ने त्रेता युग में अपनी अवतार ली थी।
वेदों और पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में भगवान राम का जन्म हुआ था ताकि वे अधर्म का नाश करें और धर्म को स्थापित करें। राम की कथा और उनकी लीलाएं 'रामायण' में विस्तार से वर्णित हैं, जो एक महान काव्य और धार्मिक ग्रंथ है।
भगवान राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी (नवरात्रि का नवमी दिवस) को हुआ था, जिसे हिंदू धर्म में 'राम नवमी' के रूप में मनाया जाता है। रामायण में उनके जीवन के कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम वर्णित हैं, जो हमें धर्म, नैतिकता, और जीवन के मूल्यों के बारे में सिखाते हैं।

भगवान राम के पिता और माता का नाम

भगवान राम के पिता का नाम राजा दशरथ था और माता का नाम रानी कौशल्या था। राजा दशरथ अयोध्या के राजा थे और वे एक प्रसिद्ध और समृद्धि शाली राजा थे। उनकी पत्नी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया था।

भगवान राम की पत्नी का नाम

भगवान राम की पत्नी का नाम सीता था। सीता रामायण महाकाव्य में महत्वपूर्ण चरित्र थीं। उनका अपहरण और रावण के प्रति उनकी वफादारी की कहानी बहुत प्रसिद्ध है। उनकी साधारणत: जानी जाने वाली गुणवत्ता, संयम, और पतिव्रता भक्ति का प्रतीक मानी जाती है।

भगवान राम के पुत्रों के नाम

भगवान राम के पुत्रों के नाम लव और कुश थे। रामायण में, इनकी कहानी सुनाई गई है जो राम और सीता के वनवास के दौरान उनके आश्रम में जन्म हुई थी। इन दोनों बालकों ने बड़ी प्रेम और समर्पण से अपने माता-पिता की सेवा की थी। उन्होंने अपने पिता के बड़े गुणों को विस्मृत नहीं किया और उन्हें पहचाना भी था, जो की बाद में राम के साथ मिलने के समय हुआ।

भगवान राम के भ्राता के नाम

भगवान राम के चार भ्राता थे। उनके भ्राता के नाम थे:
  • भरत: भरत राम का चोटा भाई था। उनका प्रतिष्ठान्वित वंश प्रतिष्ठा महल में हुआ था। राम के वनवास के दौरान, जब राम अयोध्या छोड़ गए थे, तो भरत ने उनकी पादुका (नलीनी) को लेकर राजगद्दी नहीं स्वीकार की थी, बल्कि उन्होंने चाहा था कि राम ही राजा बनें।
  • लक्ष्मण: लक्ष्मण राम के महान सहायक और उनके सबसे निष्ठावान भाई थे। वे राम के साथ उनके वनवास के दौरान रहे और उनकी सेवा में हमेशा तत्पर रहे।
  • शत्रुघ्न: शत्रुघ्न भी राम के छोटे भाई थे और वे भरत के साथ अयोध्या का प्रशासन करते रहे जब राम वनवास में थे।
ये तीनों भाई राम के साथ गहरे बंधुत्व और प्रेम के साथ जुड़े रहे और उनके जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भगवान राम के मित्रों  प्रमुख  मित्र

भगवान राम के मित्रों में कई महत्त्वपूर्ण चरित्र थे। उनके मित्रों में प्रमुख थे:
  1. हनुमान: हनुमान भगवान राम के परम भक्त और सेवक थे। उन्होंने राम की सेवा में अपना सब कुछ समर्पित किया और उन्हें महान भक्ति और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।
  2. सुग्रीव: सुग्रीव भी भगवान राम के विश्वासपात्री मित्रों में थे। वे किष्किंधा के राजा थे और राम की सहायता में आए थे।
  3. जटायु: जटायु एक गरुड़ वंशी गरुड़ (गरुड़ का भाई) थे और वे राम की सीता को रावण के अपहरण से बचाने की कोशिश करते हुए युद्ध करते हुए मृत्यु को प्राप्त हुए थे।
इनमें से हनुमान और सुग्रीव भगवान राम के प्रमुख मित्रों में से हैं, जिन्होंने उनकी यात्रा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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