भगवान राम की बहन

भगवान राम की बहन sister of lord ram

भगवान राम की एक बहन थी, जिनका नाम शांता था। वे भगवान राम की सगी बहन थीं और उनका विवाह भारतीय इतिहास में महत्त्वपूर्ण है। शांता का पति ऋषि जबालि थे। उन्होंने जीवनभर ब्रह्मचर्य का व्रत लिया था और शांता ने भी अपने पति के साथ इस व्रत का पालन किया था।
शांता का विवाह भगवान राम के अयोध्या में उनके विवाह समय में हुआ था। इस विवाह में भगवान राम और उनकी भक्ति में विश्वास रखने वाले ऋषि मुनियों ने भाग लिया था।
शांता के बारे में अधिक जानकारी महाभारत महाकाव्य में भी मिलती है, जहां उनका उल्लेख किया गया है। वे एक पत्नी और बहन के रूप में धर्मपत्नी के रूप में प्रस्तुत की गई हैं।
इस प्रकार, भगवान राम की बहन शांता धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति थीं, जिन्होंने अपने जीवन में धर्म और संस्कृति के मूल्यों को बहुत महत्त्व दिया।

भगवान राम की माता 

भगवान राम की माता का नाम कौसल्या था। वे भगवान दशरथ की पत्नी थीं और भगवान राम के जन्म के समय उन्हें पांच तत्वों की देवी मां भगवती ने दिया था। कौसल्या भगवान राम की माँ होने के साथ ही उनकी शक्ति, साहस और धर्म के प्रतीक भी थीं।

भगवान राम के पिता

भगवान राम के पिता का नाम राजा दशरथ था। वे अयोध्या के राजा थे और राम, लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न के पिता थे। रामायण महाकाव्य में उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, और उनके प्रेम और समर्पण की कहानी बहुत प्रसिद्ध है।

भगवान राम की पत्नी

भगवान राम की पत्नी का नाम सीता (Sita) था। भारतीय पौराणिक कथाओं और रामायण महाकाव्य में भगवान राम की पत्नी के रूप में सीता का उल्लेख होता है। सीता रामायण की मुख्य पात्री थीं और वे रामचंद्र भगवान की प्रिय पत्नी मानी जाती हैं। उन्होंने अपने पति राम और उनके भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या छोड़कर वनवास में बिताया था और रावण नामक राक्षस द्वारा हरण किया गया था। परंतु बाद में भगवान राम ने सीता को रावण से मुक्ति दिलाई और उन्हें अयोध्या वापस ले गए।

राम के पुत्र - लव और कुश

भगवान राम के पुत्र का नाम लव और कुश था। वे अयोध्या के राजा श्रीराम और माता सीता के बच्चे थे। उनकी कथाएं भगवद गीता और रामायण में उल्लेखित हैं। यह दोनों ही प्रियेर माने जाते हैं। क्या और जानना चाहिए?
रामायण में भगवान राम के पुत्रों का उल्लेख लव और कुश के नाम से होता है। यह दोनों भगवान राम और माता सीता के पुत्र थे।
लव और कुश का जन्म वाल्मीकि ऋषि के आश्रम में हुआ था। उनकी माता सीता अयोध्या से विरक्त हो चुकी थीं और उन्होंने अपने पुत्रों को ऋषि के पास छोड़ दिया था। वाल्मीकि ऋषि ने उन्हें पालकपोषण किया और उन्हें धार्मिक शिक्षा दी।
लव और कुश बड़े होकर अयोध्या में गए और यहां गाया गीता में भगवान राम के बारे में गाना गाया। राम ने उनकी गायकी सुनी और जब पता चला कि यह उनके ही पुत्र हैं, तो वे अपने पुत्रों को अपने साथ ले गए।
लव और कुश ने अपने पिता राम की संतान के रूप में बहुत गर्वित और प्रेमी बच्चे के रूप में जीवन यापन किया। उनकी कहानी भी रामायण के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में जानी जाती है।

भगवान राम का वनवास 

भगवान राम का वनवास हिंदू धर्म के महाकाव्य, रामायण, में वर्णित है। रामायण में बताया गया है कि भगवान राम, अपने पिता राजा दशरथ के वचनों का पालन करते हुए, अपने पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों के लिए वनवास के लिए निकले।
राम, सीता, और लक्ष्मण का वनवास वन में बहुत संघर्षपूर्ण था। उन्होंने विभिन्न वनों में घूमा, जैसे चित्रकूट, पंचवटी, धनुषकोटि आदि। इस अवधि में, रावण नामक राक्षस राजा ने सीता को हरण कर लिया था, जिसके बाद राम और लक्ष्मण ने हनुमान जैसे साथी की मदद से उन्हें खोजने का निर्णय लिया।
रामायण में राम के वनवास का कई महत्त्वपूर्ण घटनाओं और परिस्थितियों के साथ महत्त्व है। उनका वनवास उनकी धर्म के प्रति निष्ठा, त्याग, और धैर्य का प्रतीक माना जाता है। यह भगवान राम की अद्भुतता, साहस, और उनके अनुयायियों के प्रति निष्ठा का प्रदर्शन करता है।

राम का वनवास कथा

रामायण में, राम का वनवास बहुत उदात्त और महत्त्वपूर्ण कथा है। राम का वनवास उनके पिता राजा दशरथ के एक वचनबद्ध प्रतिज्ञा के कारण हुआ था। राजा दशरथ ने अपनी दो विवाहित पुत्रियों के भरोसे करके उन्हें मांग लिया था कि उनमें से एक भी पुत्र अगले राजा बनने का अधिकार नहीं रखेगा।
राम, दशरथ के बड़े पुत्र, उस समय अयोध्या के युवा राजा के रूप में तैयार थे। लेकिन दशरथ की कैकयी ने उसके लिए दो वरदान मांगा था और उसने वह मौका इस्तेमाल करके राम को वनवास भेजने का अनुरोध किया।
राम, सीता और उनके भाई लक्ष्मण ने इस अन्याय को स्वीकार किया और 14 वर्षों के लिए वन में निवास करने का निर्णय किया। राम, सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास के दौरान अनेक अनुभवों को जीवन्त किया और विभिन्न महान राक्षसों से युद्ध किया।
इस कथा में, राम की धर्म की पालना, परिवार के प्रति कटुता का सामना, और उनकी तपस्या और विवेकपूर्ण निर्णयों का प्रदर्शन होता है। रामायण की यह पहली कथा बहुत ही प्रसिद्ध है और लोगों को धार्मिक और नैतिक शिक्षाएं देने में सहायक है।

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