माता सीता जी की तीन बहनें

माता सीता जी की तीन बहनें  Mother Sita's three sisters

  1. उर्मिला: वाल्मीकि रामायण में उर्मिला सीता जी की छोटी बहन थी।
  2. मांडवी: उनकी दूसरी बहन का नाम मांडवी था।
  3. श्रुतकीर्ति: तीसरी बहन का नाम श्रुतकीर्ति था।

उर्मिला की कथा मुख्य रूप से रामायण के युद्ध कांड में

उर्मिला, जिन्हें वाल्मीकि रामायण में भव्य प्रतीति और प्रेमी स्वभाव के साथ वर्णित किया गया है, भगवान राम और सीता की बहन थीं। उर्मिला की कथा मुख्य रूप से रामायण के युद्ध कांड में प्रकट होती है। जब भगवान राम अपने बाणों से रावण को मार देते हैं और युद्ध समाप्त होता है, तो राम का अधिकांश समय अद्भुत युद्ध क्षमता और वीरता के प्रदर्शन में बितता है। इसी समय उर्मिला की प्रेम और त्याग की दृष्टि भी प्रकट होती है। रामायण के अनुसार, उर्मिला ने जब तक राम, सीता, और लक्ष्मण युद्ध कर रहे थे, तब तक वह वानरों और राक्षसों के संगीनों के लिए सूत्रधार का कार्य करती रहीं। इसके बाद, उर्मिला ने अपने पति लक्ष्मण की सहायता के लिए एक विशेष क्रिया की। जब राम, सीता और लक्ष्मण अयोध्या को वापस लौटने के लिए निकले, तो उर्मिला ने अपने पति लक्ष्मण के लिए एक व्रत अदा किया। वहने ने अपनी सारी नींद को त्याग दिया ताकि वह लक्ष्मण की सुरक्षा कर सके। इस प्रेम और त्याग के साथ, उर्मिला ने वीर्यमान रामायण का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बना दिया।

 उर्मिला: उर्मिला जनकनंदिनी 

सीता की छोटी बहन थीं और सीता के विवाह के समय ही दशरथ और सुमित्रा के पुत्र लक्ष्मण को ब्याही गई थीं। उर्मिला जी ने वनवास के दौरान भी अपने पति के साथ रहने की जिद की, परंतु लक्ष्मण ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि अयोध्या के राज्य को और माताओं को उनकी आवश्यकता है। उर्मिला जी के लिए यह बहुत कठिन समय था, ऐसे में जबकि वह नववधू थी और उसके दांपत्य जीवन की तो अभी शुरुआत ही हुई थी। लक्ष्मण के वनवास जाने के बाद उर्मिला जी के पिता अयोध्या आए और उर्मिला को मायके चलने का अनुरोध करने लगे, ताकि मां और सखियों के सान्निध्य में उर्मिला का पति वियोग का दुःख कुछ कम हो सके। परन्तु उर्मिला ने अपने मायके मिथिला जाने से इनकार करते हुए कहा कि पति की आज्ञा अनुसार पति के परिजनों के साथ रहना और दुख में उनका साथ न छोड़ना ही अब उसका धर्म है। यह उर्मिला का अखंड पतिव्रत धर्म था।                                    

श्रुतकीर्ति: श्रुतकीर्ति राजा कुशध

श्रुतकीर्ति, वाल्मीकि रामायण में महाराजा जनक के भाई कुशध्वज की पुत्री थीं और उनकी माता रानी चंद्रभागा थीं। उनकी एक बड़ी बहन माण्डवी थी। इनका विवाह राजा दशरथ के पुत्र शत्रुघ्न से हुआ था। इनके दो पुत्र हुए - सुबाहु और शत्रुघाती
माण्डवी: माण्डवी दशरथ पुत्र भरत की पत्नी थीं। माण्डवी राजा जनक के छोटे भाई कुशध्वज की बेटियां थीं।
उर्मिला की निर्णयक कदर 
उर्मिला, भारतीय महाकाव्य रामायण में एक महत्वपूर्ण चरित्र है। वह जनकपुर के राजा जनक की दूसरी बेटी थीं और उनकी माता रानी सुनयना थीं। सीता उनकी बड़ी बहन थीं। वह राम के अनुज लक्ष्मण की पत्नी थीं। उर्मिला जी को नागलक्ष्मी या क्षीरसागरा का अंशावतार माना जाता है। माता उर्मिला को रामायण के मूक पात्रों में से एक माना जाता है, परंतु उनका योगदान सीता तुल्य ही माना जाता है। उर्मिला जी ने 14 वर्षों तक अयोध्या में रहकर माता सुमित्रा की सेवा की थी। और माता सुमित्रा को अपने पुत्र लक्ष्मण की कमी महसूस नहीं होने दी थी। उर्मिला जी की पतिव्रत धर्म की प्रतिक हैं। एक पत्नी को पति के धर्मसंकट में कैसे साथ निभाना चाहिए, पत्नी का क्या धर्म होता है, उर्मिला जी साक्षात इसका प्रमाण है। उर्मिला जी ने 14 वर्षों तक अयोध्या में रहकर माता सुमित्रा की सेवा की थी। और माता सुमित्रा को अपने पुत्र लक्ष्मण की कमी महसूस नहीं होने दी थी।

राम का वंशजों का आरंभ

भगवान राम के वंशजों की वंशावली बहुत प्राचीन है और वाल्मीकि रामायण में वर्णित है। यह वंशावली ब्रह्माजी से लेकर भगवान राम तक के जन्म की कहानी को दर्शाती है:
  1. ब्रह्माजी से मरीचि: ब्रह्माजी के पुत्र मरीचि का जन्म हुआ।
  2. मरीचि से कश्यप: मरीचि के पुत्र कश्यप हुए।
  3. कश्यप से विवस्वान: कश्यप के पुत्र विवस्वान हुए। विवस्वान से पुत्र वैवस्वत मनु हुए।
  4. वैवस्वत मनु के 10 पुत्र: इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम (नाभाग), अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति, और पृषध।
  5. भगवान राम का जन्म इक्ष्वाकु के कुल में हुआ: भगवान राम विष्णु के 7वें अवतार माने जाते हैं। उनका जन्म अयोध्या में त्रेया युग में हुआ था। भगवान राम के वंशजों की इस वंशावली में विविध धर्मिक और सांस्कृतिक घटनाओं का वर्णन है, जो उनके जीवन के महत्वपूर्ण हैं

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