रामायण के रहस्यिकरण

रामायण के रहस्यिकरण। Mystification of Ramayana.

रामायण बहुत ही महत्वपूर्ण एवं गहरी कहानी है, जिसमें कई रहस्य हैं जो हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं। यहां कुछ रामायण से जुड़े रहस्य हैं:
  1. अश्वमेध यज्ञ: रामायण में अश्वमेध यज्ञ की विशेषता और इसका महत्त्व बताया गया है।
  2. हनुमान का अमर होना: हनुमान का अमर होना और उसके शक्तिशाली रहस्य।
  3. सीता का अग्निपरीक्षा: सीता का अग्निपरीक्षा एक ऐतिहासिक घटना है जिसे लेकर कई प्रश्न उठते हैं।
  4. लंका का नाश: लंका के विनाश का रहस्य और हनुमान द्वारा लंका में लगाई गई आग।
  5. राम के धनुष का विवाद: रामायण में राम के धनुष का स्वयंवर में विवाद और उसकी भूमिका।
  6. राम का बनवास: राम, सीता और लक्ष्मण का 14 वर्षों तक वनवास में रहना और उससे जुड़े रहस्य।
  7. हनुमान चालीसा का महत्त्व: हनुमान चालीसा में छिपे रहस्य और उसका महत्त्व।
  8. रामायण में उपयोग किए गए ब्रह्मास्त्र और शस्त्रों का रहस्य: रामायण में उपयोग किए गए अस्त्र-शस्त्रों का रहस्य.
  9. रावण का वरदान: रावण को ब्रह्मा से मिले वरदान का रहस्य और उसका परिणाम।
  10. श्रीराम का जन्म और जन्मकथा का रहस्य: श्रीराम के जन्म की कथा और उससे जुड़े रहस्य।
  11. रामायण के अनेक पाठ: रामायण में छिपे गये अनेक पाठ और संदेश।
ये रहस्य हैं जिन्हें विशेषज्ञों ने अध्ययन किया है, और इनका गहरा अध्ययन करते समय यह स्पष्ट नहीं होता कि वे सिर्फ कथाएं हैं या कुछ और।

रामायण के इसे  रहस्य जिनसे आप हैं अनजान

रामायण की शांता

वास्तव में, भगवान राम की एक बहन थीं, जिनका नाम शांता था। शांता का विवाह ऋषि ऋष्यशृंग के साथ हुआ था। वे और ऋष्यशृंग एक समय में राजा दशरथ के आश्रम में रहते थे। शांता भगवान राम की बहन के रूप में ज्यादा प्रसिद्ध नहीं हैं, क्योंकि उनका कथात्मक महत्व अधिक नहीं है। फिर भी, यह एक महत्वपूर्ण जानकारी है जो रामायण में सम्मिलित है।

लक्ष्मण जी मृत्यु दण्ड मिला

दुर्वाशा ऋषि के आगमन पर श्री राम के वचन बंधन के कारण लक्ष्मण जी को मृत्यु दण्ड मिला तब राजदरबार में हनुमान जी के परामर्श पर श्री राम ने मृत्युदण्ड के स्थान पर लक्ष्मण जी का त्याग किया । परंतु लक्ष्मण जी ने बड़े भाई के वचन का मान रखने के लिए सरयू नदी में जलसमाधि ले ली थी ।

33 करोड़ देवी देवता नहीं कुल 33 देवता

वेदांतिक परंपरा के अनुसार, सनातन धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं का जिक्र नहीं होता है। यहां तक कि वेदों में भी 33 करोड़ देवी-देवताओं का कोई वर्णन नहीं है।
वास्तव में, वेदों और पुराणों में कई देवताओं के विभिन्न अवतारों, स्वरूपों, और शक्तियों का वर्णन है, लेकिन उनकी संख्या 33 करोड़ नहीं है।
"त्रयस्त्रिंशत्" (33) देवताओं का उल्लेख वेदों में मिलता है, जो इन्द्र, अग्नि, वरुण, सूर्य, चंद्रमा, वायु, इत्यादि कुछ प्रमुख देवताओं को संकेतित करता है। यह अंग्रेजी में "Thirty-Three Gods" के रूप में अनुवादित किया जा सकता है, लेकिन यह 33 करोड़ देवी-देवताओं का संदर्भ नहीं है।
संस्कृति में, अनेक देवताओं और उनकी प्रतिष्ठा में विश्वास अनुष्ठान किया जाता है, लेकिन 33 करोड़ देवी-देवताओं का यह संदर्भ वैदिक या पुराणिक प्रमाणों में नहीं मिलता।

कुंभकरण की नींदी शक्ति

कुंभकर्ण, हिंदू धर्म के महाकाव्य रामायण में रावण के तीनों भाईयों में से एक थे। वे ब्रह्मा के वरदान से अपने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर सकते थे और उन्हें नींद का वरदान भी मिला था।
कुंभकर्ण की विशेषता थी कि वे अत्यधिक शक्तिशाली थे लेकिन वे किसी भी संघर्ष के दौरान उनकी सोच और अनुभव में थोड़ी असुरी होती थी, इसलिए भगवान राम द्वारा वानर सेना के साथ युद्ध करने के दौरान कुंभकर्ण ने रावण के समक्ष आपत्ति की थी। रावण के आदेश पर, कुंभकर्ण ने युद्ध में शामिल होने का फैसला किया था।
कुंभकर्ण को जब रावण ने युद्ध के लिए बुलाया, तो उन्होंने नींद का वरदान लिया था और ब्रह्मास्त्र के प्रयोग के बाद उन्हें युद्ध के बाद तीन घड़ी का समय मिला था जिसे वे नींद में बिताते थे। इसलिए, उन्हें प्रतिदिन केवल छः महीने की नींद ही मिलती थी। इस रूप में, उनकी शक्ति को बढ़ाने के लिए उन्होंने यह किया था।
कुंभकर्ण की यह कथा रामायण में एक रहस्यमय और महत्वपूर्ण घटना है, जो उनके विशेष वरदानों और अनूठी शक्तियों को दर्शाती है।
जैसा हम जानते हैं कि, कुंभकरण 6 महीने तक लगातार सोता था तथा 1 दिन खाने के लिए उठता था| दरअसल एक बार कुंभकरण के यज्ञ से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा प्रकट हो उसे वर मांगने को कहा| यह देख कर इंद्रदेव परेशान हो उठे| उन्होंने सोचा कहीं यह इंद्रासन ना मांग ले| इंद्रदेव ने माता सरस्वती से प्रार्थना करके कहा कि आप उसके जीवा पर बैठ जाए| फलस्वरूप कुंभकरण इंद्रासन के बदले निद्रासन मांग लिया|

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