शांता और राजा रोमपद

शांता और राजा रोमपद Shanta and Raja Rompad

शांता एक महाकाव्य है, जिसे राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने रचा था। इस महाकाव्य का प्रथम प्रकाशन सन् 1931 में हुआ था। यह वैदर्भी काव्यात्मक गीति शैली में है और इसे द्विवेदी युग की सर्वश्रेष्ठ रचना माना जाता है। साकेत में भगवान रामकथा का चित्रण है, लेकिन इसके केंद्र में लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला है। इस महाकाव्य में उर्मिला और लक्ष्मण के दाम्पत्य जीवन के हृदयस्पर्शी प्रसंग और उर्मिला की विरह दशा का अत्यन्त मार्मिक चित्रण किया गया है। इसके साथ ही कैकेयी के पश्चात्ताप को दर्शाकर उसके चरित्र का मनोवैज्ञानिक और उज्ज्वल पक्ष प्रस्तुत किया गया है।

ऋषि श्रृंग और पुत्रेष्टि यज्ञ

ऋषि श्रृंग वाल्मीकि रामायण में वर्णित हैं। उन्होंने महाराज दशरथ के पुत्र प्राप्ति के लिए अश्वमेध यज्ञ और पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाए थे  ऋष्यशृंग के माथे पर एक सींग (शृंग) था, जिसके कारण उनका नाम ऋषि श्रृंग पड़ा था। उनका विवाह अंगदेश के राजा रोमपद की पुत्री शान्ता से हुआ था, जो वास्तव में राजा दशरथजी की पुत्री थीं

शांता का जन्म्रहस्य 

शांता, भगवान राम की बड़ी बहन थीं। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, उन्होंने राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री श्री राम को जन्म दिया था। शांता अत्यंत सुंदर और सुशील कन्या थीं, जो वेद, कला, और शिल्प में पारंगत थी। उनका विवाह ऋषि विभाण्डक के पुत्र श्रृंगी ऋषि से हुआ था। इस प्रकार, शांता अंगदेश की राजकुमारी बन गई शांता, वाल्मीकि रामायण में वर्णित हैं। उन्होंने राजा दशरथ की पुत्री श्री राम को जन्म दिया था। उनका विवाह ऋषि शृंगी से हुआ था। ऋषि शृंगी राजा दशरथ के दामाद और प्रभु श्री राम के जीजा थे। 

शांता की कथा

शांता, वाल्मीकि रामायण में वर्णित हैं। उन्होंने राजा दशरथ की पुत्री श्री राम को जन्म दिया था। शांता अत्यंत सुंदर और सुशील कन्या थीं, जो वेद, कला, और शिल्प में पारंगत थी। उनका विवाह ऋषि विभाण्डक के पुत्र श्रृंगी ऋषि से हुआ था। इस प्रकार, शांता अंगदेश की राजकुमारी बन गई। 

राम की बड़ी बहन

भगवान राम की बड़ी बहन का नाम शांता था। वाल्मीकि रामायण में उनका वर्णन नहीं है, लेकिन अन्य रामायणों में उनके बारे में जानकारी है। शांता राजा दशरथ और रानी कौशल्या की पुत्री थीं और उनकी बड़ी बहन भी थीं। उनका विवाह ऋषि श्रृंगी से हुआ था। ऋषि श्रृंगी ने राजा दशरथ के यहां पुत्रेष्टि यज्ञ किया था, जिसके परिणामस्वरूप राजा दशरथ के चार पुत्र हुए थे. शांता की बड़ी बहन का पालन-पोषण राजा दशरथ और उनकी पत्नी वर्षिणी ने किया, जो महारानी कौशल्या की बहन अर्थात राम की मौसी थीं।

दशरथ की आयु – अनिश्चित

राजा दशरथ, वाल्मीकि रामायण के अनुसार, अयोध्या के रघुवंशी राजा थे। उनके जीवन का विवरण निम्नलिखित है:
उनकी तीन पत्नियाँ थीं: कौशल्या, सुमित्रा, और कैकेयी।
उनके पांच पुत्र-पुत्रियाँ थीं: राम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न, और शान्ता (ऋष्यशृंग की पत्नी)।
उन्होंने पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया था, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें उनके चार पुत्र हुए थे।
उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण पल था, जब उन्होंने अपनी पत्नी कैकेयी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए ऋष्यशृंग को यज्ञ की अध्यक्षता करने के लिए आमंत्रित किया था।
इस प्रकार, राजा दशरथ का जीवन उनके पुत्रों की प्राप्ति के लिए धर्म के प्रति समर्पित था

रामायण: शांता 

रामायण में, राजा दशरथ और देवी कौशल्या की एक बड़ी बेटी थी, जिनका नाम था शांता। वे बाल्यकाल में ही गोत्रों के अनुसार विवाह के बिना ही गोत्रों को परम्परागत रूप से चलाती रहीं। शांता का उल्लेख रामायण में कम है, लेकिन वे रामजी की बड़ी बहन थीं। उन्होंने अपनी बेटी को आश्रम में छोड़ दिया था, जहां उसका पालन-पोषण महर्षि वाल्मीकि ने किया था।

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