उत्तर कांड रामायण का समापन

उत्तर कांड रामायण का समापन Conclusion of Uttar Kand Ramayana

उत्तरकांड (Uttarakanda): राम के राज्याभिषेक, सीता का धर्म परीक्षण, और उनके वनवास के दौरान हुए घटनाओं का समापन इस कांड में दिखाया गया है।
उत्तरकांड रामायण का अंतिम कांड है जो रामायण की कहानी को समाप्त करता है। यह कांड सीता के पुनर्मिलन, राम के राज्याभिषेक, सीता का धर्म परीक्षण और उनके वनवास के दौरान हुए घटनाओं को समाप्त करता है। 
इस कांड में, राम और सीता का पुनर्मिलन होता है जब उनका वनवास समाप्त होता है। उनके पुनर्मिलन के बाद, राम का राज्याभिषेक होता है और वह अयोध्या के राजा बनते हैं। लेकिन सीता का धर्म परीक्षण भी होता है, जिसमें उन्हें जलना पड़ता है। सीता अपनी विश्वासनीयता को प्रमाणित करने के लिए अग्नि में प्रविष्ट होती है, जहां वे अपने पति राम की पवित्रता को सिद्ध करती हैं।
उत्तरकांड में राम के राज्याभिषेक के बाद, उनके राज्याभिषेक के पश्चात् उनके राज्याभिषेक के पश्चात्, राम के शासन का वर्णन और वह उन्हें कैसे निभाते हैं, उसका वर्णन भी किया गया है। इसके बाद राम का विश्वामित्र द्वारा पुक्की भावना से सीता हरण किया जाता है, जिसके बाद राम द्वारा हनुमान और उसकी सेना की सहायता से सीता को उद्धार किया जाता है। उत्तरकांड में राम का स्वर्ग गमन भी वर्णित होता है।
इस कांड में रामायण की कहानी को समाप्त किया जाता है और यहां तक पहुँचकर रामायण की कहानी समाप्त होती है।

उत्तरकांड रामायण का अंतिम खंड

उत्तरकांड रामायण का अंतिम खंड है जो कथा को समाप्त करता है। इसमें राम का राज्याभिषेक और सीता का धर्म परीक्षण विशेष रूप से उभरते हैं। 
राम के राज्याभिषेक में, वह अयोध्या के राजा बनाये जाते हैं। उनका राज्याभिषेक उनके योग्यता और धर्म के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक होता है। यह भी दिखाता है कि राम कैसे अपने प्रजा की भलाई और कल्याण के लिए समर्पित हैं।
सीता का धर्म परीक्षण भी इस कांड में दिखाया गया है। इस परीक्षण में, सीता को अग्नि में प्रविष्ट करना पड़ता है ताकि वह अपनी पति राम की पवित्रता को सिद्ध कर सके। यह परीक्षण उसकी पतिव्रता और धर्म के प्रति उसकी निष्ठा को प्रमाणित करता है।
उत्तरकांड रामायण की यह घटनाएं रामायण की कथा को एक समाप्ति देती हैं और राम, सीता और उनके अन्य पात्रों की कहानी को समाप्त करती है।

उत्तर कांड रामायण का अंतिम खंड  के  महत्वपूर्ण तथ्यों 

  1. राम का राज्याभिषेक:** उत्तरकांड में राम अयोध्या के राजा बनाये जाते हैं। उनका राज्याभिषेक उनके धर्म, योग्यता और प्रजा के प्रति निष्ठा को दर्शाता है।
  2. सीता का धर्म परीक्षण:** सीता को अग्नि परीक्षा के द्वारा पति राम की पवित्रता को सिद्ध करना पड़ता है। वह अग्नि में प्रविष्ट होती है और अपनी पतिव्रता को प्रमाणित करती है।
  3. सीता का वापस आगमन:** उत्तरकांड में सीता अग्नि परीक्षा के बाद वापस आती है, लेकिन वे माता भूमि से उदासीन होती हैं और अपने प्राणों का त्याग करती हैं।
  4. राम का स्वर्ग गमन:** उत्तरकांड में दिखाया गया है कि राम और उनके भाई लक्ष्मण भगवान विष्णु के स्वर्ग को चले जाते हैं।
  5. विभिषण का राम के पक्ष में आना:** उत्तरकांड में विभीषण राम के पक्ष में आते हैं और उनकी सेना में शामिल होते हैं।
ये कुछ महत्वपूर्ण तथ्य हैं जो उत्तरकांड में दिखाए गए हैं।

राम का राज्याभिषेक

राम का राज्याभिषेक रामायण के उत्तरकांड में वर्णित है। राम का राज्याभिषेक उस समय हुआ जब उन्होंने अपने अयोध्या में राज्य की प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाली। 
राम का राज्याभिषेक उनके धर्म, योग्यता, और प्रजा के प्रति समर्पण का प्रतीक था। इस अवसर पर, राम ने राजदरबार को संबोधित किया, जहां उन्होंने अपने उद्देश्यों, नीतियों, और धर्म के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को व्यक्त किया। 
राज्याभिषेक के दौरान, उन्होंने अपने प्रजा को अपना समर्थन और संरक्षण देने का आश्वासन दिया और उनके नेतृत्व में सुख और समृद्धि की बधाई दी। यह भी दिखाया गया कि राम अपने राज्य को न्यायपूर्वक, समानता के साथ और धर्म के मार्ग पर चलाते थे।
राज्याभिषेक रामायण में राम के शांत, साहसी, और उदार चरित्र को दर्शाता है जो एक प्रेरणादायक राजा के गुणों को प्रस्तुत करता है।

सीता का धर्म परीक्षण

सीता का धर्म परीक्षण रामायण के उत्तरकांड में एक महत्वपूर्ण घटना है। इसमें सीता को पुनर्मिलन के बाद उसके पति राम द्वारा धर्म परीक्षण के लिए आग्नि में प्रवेश करना पड़ता है।
राम के राज्याभिषेक के बाद, कुछ लोगों ने सीता पर संदेह जताया कि वह लंका में रावण के गिरफ्त में थी और उसने उसके साथ रहकर उसकी स्त्रीत्व की साक्षात्कार की हो सकती है। इस पर सीता ने अपनी पतिव्रता और पवित्रता को सिद्ध करने के लिए राम की प्रतिज्ञा की।
इस परीक्षण में, सीता अग्नि में प्रविष्ट होती हैं और वहां से शुद्ध होकर उन्होंने अपनी पतिव्रता और पवित्रता का साक्षात्कार किया। अग्नि में प्रविष्ट होने के बाद, उनकी शुद्धि और पतिव्रता के साक्षात्कार ने राम की प्रतिशोध किया और उनकी पवित्रता को सिद्ध किया।
यह परीक्षण सीता की वफादारी, पतिव्रता, और उसकी निष्ठा को प्रमाणित करने का संदेश देता है। इससे सीता की महानता और धर्म के प्रति उसकी अटल निष्ठा का प्रमाण मिलता है।

सीता का वापस आगमन

सीता का वापस आगमन रामायण के उत्तरकांड में दिखाया गया है। इस घटना के पहले, सीता ने अग्नि परीक्षण पारित किया जिससे उसकी पवित्रता को सिद्ध किया गया। 
अग्नि परीक्षण के बाद, राम ने अपनी पत्नी सीता को स्वागत के लिए उसे वापस लाने का निर्णय लिया। इसके बाद लक्ष्मण ने हनुमान के साथ कहा कि उन्हें सीता को लाने के लिए जाना चाहिए। हनुमान ने दीर्घ यात्रा के बाद अशोक वन में सीता को ढूंढा और उसे राम के पास ले जाया।
सीता का वापस आगमन राम के लिए एक बड़ी खुशी का पल था। उसका वापस आना राम के लिए एक प्रकार से पत्नी के वापसी पर आश्वस्ति थी और उसके लिए सीता का वापस आगमन बहुत ही धार्मिक और समाज में सम्मानित था।

राम का स्वर्ग गमन

राम का स्वर्ग गमन उत्तरकांड में वर्णित है। राम के जीवन का एक अहम हिस्सा था उनके स्वर्ग गमन का वर्णन।
राम के शासनकाल में, उनकी प्रजा खुशहाल थी और उनके नेतृत्व में शांति और समृद्धि थी। हालांकि, उत्तरकांड में भगवान विष्णु के अवतार रूप में, राम के अवतार का कार्य समाप्त हो जाता है। 
ब्रह्मा और देवताओं के आदेश पर, राम ने अपने भूमिवासियों को अद्वितीय राजा के रूप में छोड़ने का निर्णय लिया और वे अपने स्वर्ग में वापस चले गए। उनका शरीर विष्णु लोक की ओर चला गया। राम का यह स्वर्ग गमन रामायण की कथा का अंत होता है।
इस घटना से समझा जाता है कि राम का मूल उद्देश्य उनके अवतार का समापन करना था, और वे भगवान विष्णु के लोक में वापस गए। इससे भगवान राम की लीलाएं और उनका धर्म परायण चरित्र प्रशंसा के लिए स्मरणीय रहते हैं।

विभिषण का राम के पक्ष में आना

विभीषण का राम के पक्ष में आना भगवान रामायण में एक महत्त्वपूर्ण घटना है। विभीषण रावण का भाई था और उनका राजदूत भी था। 
रावण ने सीता को हरण किया था और उसने लंका में उसे बंदी बनाया था। विभीषण ने रावण के अनर्गल और अन्यायी व्यवहार को देखा और उसे सहन नहीं किया। वह चाहता था कि धर्म और सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। 
विभीषण ने अपने भाई रावण को चेतावनी दी और सीता को मुक्त करने की सिफारिश की। वह ने रावण के अन्धकार को छोड़कर धर्म के प्रकाश में चला गया और राम के पास आकर उनकी शरण ली।
राम ने विभीषण को अपने पक्ष में स्वीकार किया और उन्हें भरोसा किया। विभीषण ने राम की सेना में शामिल होकर उसे रावण के खिलाफ मदद करने का संकल्प किया।
विभीषण का राम के पक्ष में आना उसकी वफादारी, धर्म-संकल्प, और न्याय के प्रति उसकी संकल्पितता को प्रमाणित करता है। इससे भी दिखाया जाता है कि धर्म और सत्य के मार्ग पर चलना हमेशा ही सम्माननीय होता है।

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