चिंता दूर करने के लिए, एवं उनको नष्ट करने के शत्रु के मन में भय बैठने के लिए अचूक मंत्र

चिंता दूर करने के लिए, एवं उनको नष्ट करने के शत्रु के मन में भय बैठने के लिए अचूक मंत्र


प्रातः काल स्नान आदि से निवृत्त होकर शुद्ध आसन बिछा कर भगवती मां की मूर्ति के सामने बैठ जायें। अपने पास पुष्प, धूप, दीप, फल, जल, मौली आदि रख लें। आसन पर बैठ कर मौली बांधे, साथ में मंत्र का उच्चारण करें :-

ॐ सर्व मङ्गल माङ्गल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके, 
शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी, नारायणी नमोऽस्तुते !!

अर्थात् - 
हे सम्पूर्ण मङ्गलरूपिणी, हे शिवे, हे सम्पूर्ण अर्थ के साधन करने वाली ! हे शरण देने वाली, हे तीन नेत्रों वाली, हे गौरी, हे नारायणी, आपको नमस्कार है।

मौली बंधवाने के पश्चात् चन्दन या भस्म का तिलक लगा लें एवं निम्न मन्त्र का जाप करें :-

चन्दस्य महत पुण्यं
पवित्र पाप नाशनम्

आपदा हरते नित्यं लक्ष्मी तिष्ठति सर्वदा ।

गंगा के पूजन के पश्चात् जल को चारों दिशा के पूजन के लिए निम्न मंत्र से छिड़कें :-


ॐ अवसर्पन्तु ते भूता ये भूताः भुवि संस्थिता, 
ये चात्र विघ्न कर्तारस्ते गच्छन्तु शिवाज्ञया,

अपक्रामन्तु भूतानि पिशाचा सर्वती दिशाय ।
सर्वेषाम विरोधेन शुभ कर्म समारभे ॥

गणपति पूजन के लिए निम्न मन्त्र पढ़ें :-

ॐ भूर्भुवः स्वः सिद्धि बुद्धि सहित, 
श्री गणपते इस गच्छ तिष्ठ सुप्रतिष्ठ, 
वरदोभवः ॐ एषो अर्घा श्री भगवद्, 
गणपतये नमः पुष्पं, चन्दनं, समर्पयामि ।
भगवद् गणपतये नमः, 
धूप दीपं प्रदर्शयामि भगवद् गणपतिये नमः

भगवती मां की प्रसन्नता के लिए नवरात्रों में अष्टमी या नवमी को कन्याओं का पूजन एवं खाना खिलाने का विधान है। कन्याओं की संख्या 9 हो तो ठीक है, उनकी आयु 2 वर्ष से कम तथा 10 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। दो बालक भी होने चाहिए क्योंकि शास्त्रों में दुर्गा के साथ भैरव तथा हनुमान जी का पूजन भी आवश्यक माना गया है ।

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