कैकेयी के 2 वरदान भारत का राज्याभिषेक, भगवान राम का वनवास

कैकेयी को राजा दशरथ ने दो वरदान दिए थे जो बाद में रामायण के कुछ घटनाओं का कारण बने। ये दो वरदान थे

एक प्रतिष्ठा वरदान

कैकेयी ने पहले वरदान में राजा दशरथ से यह प्रार्थना की थी कि उसका पुत्र भगवान राम अयोध्या का राजा बने और उसे 14 वर्षों के वनवास में भेजा जाए। यह वरदान राम की प्रवृत्ति, धर्म, और नीति के प्रति अपने पूरे जीवन में समर्पित रहने का कारण बना।

दूसरा वरदान

कैकेयी ने दूसरे वरदान में राजा दशरथ से यह इच्छा की थी कि उसका पुत्र भरत राम के अनुयायी बने और वह अयोध्या का राजा बने। इस वरदान ने कैकेयी के पुत्र भरत को राजधानी अयोध्या का युवा राजा बनने का अवसर दिया, लेकिन इसका परिणाम हुआ कि राम वनवास गए और भरत ने अपने पादुकों को अयोध्या के राजा के पद पर स्थापित किया। राम का पुनरागमन होने पर भरत ने उन्हें राजा के पद पर पुनर्स्थापित किया।

इन वरदानों के कारण, कैकेयी का नाम रामायण महाकाव्य में विवादित है, और उन्हें विशेष रूप से राम की विचारधारा को लेकर उनके साथी पुत्र के प्रति उनके विशेष प्रेम के लिए जाना जाता है।

कैकेयी के 2 वरदान क्या थे व क्यों उसने भगवान श्रीराम को वन में भेजा

कैकेयी अयोध्या नरेश दशरथ की दूसरी व सबसे प्रिय पत्नी थी (Ram vanvas katha)। वह कैकय देश की राजकुमारी व अश्वपति की पुत्री थी (Bhagwan Ram ko 14 varsh ka vanvas kyu mila)। जब राजा दशरथ उनसे विवाह करके अयोध्या ले आये थे तब वह अपने बचपन की मित्र व दासी मंथरा को भी अपने मायके से साथ ले आई थी। राजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थी लेकिन उनमे से कैकेयी के सबसे ज्यादा सुंदर व युद्धकला में निपुण होने के कारण वह उनकी सबसे प्रिय पत्नी थी 
रानी कैकेयी के पास सब कुछ होते हुए भी उन्होंने भविष्य में कुछ ऐसे कर्म किये जिससे उनका नाम हमेशा के लिए मिट्टी में मिल गया (Ram ko vanvas kisne bheja)। उन्होंने भगवान राम के राजभिषेक के समय राजा दशरथ से दो ऐसे कठोर वर मांग लिए जो राजा दशरथ को अपने प्राण देकर पूरे करने पड़े (Why Ram went to vanvas in Hindi)। आखिर रानी कैकेयी ने वह दो वचन क्यों मांगे व इसके पीछे उनका क्या उद्देश्य था, आज हम इसी के बारें में चर्चा करेंगे 

कैकेयी को दो वचन मिलना

एक बार राजा दशरथ देवताओं की सहायता करने असुरों से युद्ध करने गए थे तब उस युद्ध में रानी कैकेयी उनके रथ की सारथि बनी थी। जब राजा दशरथ युद्ध में चोटिल होकर मुर्छित हो गए तब रानी कैकेयी ने अपनी सूझ बूझ से रथ को एक सुरक्षित स्थल पर ले जाकर राजा दशरथ का उपचार किया। रानी कैकेयी के कृत्य से राजा दशरथ इतने ज्यादा प्रसन हुए थे कि उन्होंने कैकेयी से 2 मनचाहे वर मांगने को कहा। कैकेयी ने उन्हें समय आने पर मांगने का कहकर बात टाल दी।

कैकेयी का अयोध्या पर प्रभाव 

चूँकि रानी कैकेयी राजा दशरथ की सबसे प्रिय पत्नी थी इसलिये उनका प्रभाव बाकि दोनों रानियों से अधिक था। उसकी बात अयोध्या में राजा दशरथ के सिवा कोई नही टाल सकता था। समय बीतने पर तीनों रानियों के पुत्र हुए जिसमे बड़ी रानी कौशल्या को श्रीराम, कैकेयी को भरत व सबसे छोटी रानी को लक्ष्मण व शत्रुघ्न पुत्र रूप में प्राप्त हुयें।
हालाँकि कैकेयी का पुत्र भरत था लेकिन वह सभी से बराबर स्नेह करती थी। राम के सबसे बड़े होने के कारण सबका स्नेह उनके प्रति ज्यादा था। कैकेयी भी चारों को माता समान स्नेह दिया करती थी। फिर एक दिन चारों पुत्र महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में शिक्षा लेने चले गए।

भरत व शत्रुघ्न का कैकय जाना

शिक्षा ग्रहण करने के बाद जब सभी भाई अयोध्या वापस आयें तो चारों भाइयों के बीच आपसी स्नेह देखकर सब खुश थे। अब पूरा सूर्यवंशी परिवार हंसी खुशी राजसी आनंद उठा रहा था। फिर एक दिन रानी कैकेयी के मायके से संदेश आया कि उनके पिता अश्वपति की तबियत खराब रहती हैं व वे अपने पोत्र भरत से मिलना चाहते है। इसलिये कैकेयी ने अपने पुत्र भरत व शत्रुघ्न को कैकय देश भेज दिया।

राजा दशरथ के द्वारा राम के राज्याभिषेक का निर्णय

एक दिन राजा दशरथ अयोध्या के कुल गुरु वशिष्ठ से बैठे विचार-विमर्श कर रहे थे तब उन्होंने स्वयं के बूढ़ा होने व राम के राज्याभिषेक की बात उन्हें कही (Bhagwan Ram ka Rajyabhishek in Hindi)। गुरु वशिष्ठ भी इस पर सहमत हो गए व अगले दिन राम के राज्याभिषेक की घोषणा पूरी अयोध्या में कर दी गयी। जब कैकेयी की प्रमुख दासी मंथरा को इसकी सूचना मिली तो वह अत्यंत क्रोधित हो उठी।

मंथरा के द्वारा रानी कैकेयी को भड़काना 

श्रीराम के राज्याभिषेक की घोषणा पूरे नगर में हो चुकी थी व कैकेयी को भी इसका पता चल गया था (Kekai ki dasi ka kya naam tha)। चूँकि धर्म के अनुसार राजा का सबसे बड़ा पुत्र ही राज्य के सिंहासन पर बैठता है तो रानी कैकेयी को भी इसमें कोई आश्चर्य नही हुआ। राम का भी माता कैकेयी के प्रति अपार स्नेह था इसलिये कैकेयी एक दम निश्चिंत थी किंतु मंथरा ने आकर कैकेयी के मन में विष घोलने का काम किया
मंथरा की बातों में आकर कैकेयी यह सोचने पर विवश हो गयी कि अभी तक वह अयोध्या की रानी थी व दशरथ की प्रिय पत्नी होने के कारण अयोध्या में सबसे ज्यादा उसी का प्रभाव था और कौशल्या व सुमित्रा का कम किंतु जब राम राजा बन जायेगा तब तीनों रानियाँ राजमाता बन जाएगी। कौशल्या राजा की माता होने के कारण प्रमुख होंगी व कैकेयी का प्रभाव कम हो जायेगा।
कैकेयी बचपन से राजसी कुल के मुख्य धारा में पली बढ़ी थी जहाँ पहले वह कैकय देश की राजकुमारी थी तो अब अयोध्या की प्रमुख रानी किंतु अब उसे राजा की सौतेली माँ बनकर अपना प्रभाव का कम दिखना बिल्कुल सहन नही हो रहा था। साथ में उसे अपने पुत्र भरत के राजा बन जाने पर स्वयं के मान सम्मान में बढ़ोत्तरी का लालच हुआ। चूँकि भरत राम से छोटे थे इसलिये कैकेयी ने उसके राजा बनने की बात कभी सोची भी नही थी लेकिन कुटील मंथरा की योजना ने कैकेयी का मन बदल दिया था।
मंथरा के अनुसार यदि कैकेयी राजा दशरथ के द्वार दिए गए दो वश्नों को अभी मांग ले तो उसका रास्ता एक दम साफ हो सकता था। यह दो वचन थे
भरत को अयोध्या का राज सिंहासन देना (Bharat ka Rajyabhishek)
भगवान श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास (Bhagwan Ram ka vanvas)
कैकेयी के द्वारा इन दोनों वरों को मांगने का भी एक उद्देश्य था। पहले वर के अनुसार भरत सीधे अयोध्या के नरेश बन जाते व कैकेयी प्रमुख राजमाता बनती। तो वही दूसरे वर को मांगने का उसका उद्देश्य अयोध्या में पनप सकते विद्रोह को दबाना था।
चूँकि राम अयोध्या की जनता के सबसे प्रिय राजकुमार थे व अयोध्यावासी उन पर अपनी जान छिडकते थे। भगवान राम के आदर्श व गुणों की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी व सभी उन्हें ही राजा देखना चाहते थे। यदि राम वही रहते तो अयोध्या की प्रजा विद्रोह कर सकती थी व कैकेयी को डर था कि राम इस विद्रोह का लाभ उठाकर भरत को अपदस्थ कर सकते हैं।
इसलिये कैकेयी ने राजा दशरथ से राम को 14 वर्षों तक वन में भेजने को भी कहा ताकि इतने समय तक विद्रोह दब जायेगा। साथ ही राम के इतने समय तक प्रजा से दूर रहने के कारण वह उन्हें भूल जाएगी व भरत को भी अपना राज्य स्थिर करने में सहायता मिल जाएगी।

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