राम रक्षा स्तोत्र पाठ के फायदे कब पढ़ना है राम रक्षा स्तोत्र जानिए

राम रक्षा स्तोत्र पाठ के फायदे  कब पढ़ना है राम रक्षा स्तोत्र जानिए 

रामरक्षा- स्तोत्र का अर्थ है

वह स्तोत्र या स्तुति जिसके द्वारा भगवान् श्रीराम से भक्त अपनी रक्षा की प्रार्थना करता है।रामरक्षा-स्तोत्र का प्रत्येक श्लोक मंत्र सदृश अर्थात् मन्त्र के समान महत्वपूर्ण, प्रभावपूर्ण एवं लाभदायक है। इसके श्लोक सरल हैं इसलिए सहज ही याद हो जाते हैं और किसी भी समय किसी भी श्लोक का सामान्य शुचिता(सामान्य पवित्रता) से पाठ अथवा स्मरण करने से कल्याण होता है।इस स्तोत्र के श्लोकों की भाषा आसान होने से हम उनका बहुधा उच्चारण एवं उपयोग करते रहते हैं।

कब पढ़ना है राम रक्षा स्तोत्र

  • रोज़ाना - बहुत से भक्त रोज़ाना इसे पढ़ते हैं, या फिर एक बार दिन में इसका पाठ करते हैं, सामान्यत: सुबह या शाम के समय.
  • विशेष पर्वों या तिथियों पर - विशेष तिथियों, पर्वों, व्रतों जैसे धार्मिक और आध्यात्मिक अवसरों पर इसे पढ़ना भी लोगों के लिए अच्छा माना जाता है, जैसे कि रामनवमी, नवरात्रि, दशहरा, और रामायण मास.
  • नए आरंभों के समय - नए कार्यों, यात्राओं, या महत्वपूर्ण जीवन के पड़ावों की शुरुआत में इसे पढ़ना भी आम है, ताकि इससे शुभ आरंभ हो सके.
  • संकट और कठिनाईयों के समय - जब कोई व्यक्ति किसी संकट, मुश्किल, या चुनौती का सामना कर रहा है, तो वह इसे पढ़कर भगवान से सहायता मांगता है.
  • साधना के रूप में - यह एक आध्यात्मिक साधना के रूप में भी किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति अपनी आत्मा के साथ अधिक जुड़ सकता है.

श्री राम रक्षा स्तोत्र का महत्‍व

  1. राम रक्षा स्त्रोत का पाठ जातक की सभी तरह की विपत्तियों से रक्षा करता है।
  2. इसका पाठ करने से मनुष्य भय रहित हो जाता है।
  3. इसके नित्य पाठ से कष्ट दूर होते हैं।
  4. जो इसका रोज़ाना पाठ करता है वह दीर्घायु, सुखी, संततिवान, विजयी और विनयसंपन्न होता है।
  5. इसके शुभ प्रभाव से व्यक्ति के चारों और सुरक्षा कवच बनता है, जिससे हर प्रकार की विपत्ति से रक्षा होती है।
  6. कहा जाता है इसके पाठ से भगवान राम के साथ पवनपुत्र हनुमान भी प्रसन्न होते हैं।

वैदिक और पौराणिक मंत्र

वैदिक और पौराणिक मंत्र इतने शक्तिशाली व प्रभावी हैं कि रोगी को मृत्यु के मुंह से निकाल सकते हैं। मंत्र विद्या हिंदू धर्म की महान खोज है। मंत्रों का प्रयोग विश्व में सभी सम्प्रदाय के लोग प्रारंभ कर चुके हैं। जैसे पानी से अधिक शक्ति उसकी भाप में होती है उस वाष्प से कितने बड़े-बड़े उद्योग कारखाने चलते हैं। इस पंच तत्व का सबसे सूक्ष्म तत्व आकाश होता है और वह परम शक्तिशाली तत्व हैं और हमारे मंत्रों का आकाश तत्व से संबंध होता है। मंत्र आकाश तत्व से परम निकट संबंध रखते हैं। मंत्रों का काम शरीर में स्थित शक्ति केंद्रों को जगाना है।
मंत्र चिकित्सा में हम अपने देव को एक विधि से ही पुकारते हैं, जिससे हमारे शरीर के चक्र जाग जाते हैं और हम निरोग होते हैं। इस चिकित्सा में पवित्रता, गुरु आराधना, यज्ञ, उपवास, तीर्थ ये सारी क्रियाएं तन एवं मन को शक्ति प्रदान करती हैं। विष्णु सहस्त्र नाम के पाठ से ज्वर यानि बुखार का नाश होता है, रोगी के द्वारा न हो सकें तो विद्वान धर्मनिष्ठ से पाठ कराना चाहिए।महान आयुर्वेद के जनक ने अपने ग्रंथ चरक संहिता में बुखार की चिकित्सा के बारे में कहा है- ‘‘विष्णु रं स्तुवन्नामसहस्त्रेण ज्वरान् सर्वनपोहति।’’
मंत्रों का प्रयोग आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए। रोगी के सिर पर अपना दाहिना हाथ रखकर स्वास्थ्य लाभ के लिए इस मंत्र का जाप करें।
अच्युतानंद गोबिंद नामोच्चारणभेषजात’।
नश्यन्ति सकलारोगा: सत्यं सत्यं वदाम्यहम्।’’
भावार्थ- 
हे! अच्युत, हे! अनन्त, हे! गोविंद नाम के उच्चारण से अनेक रोग नष्ट होते हैं। मैं सत्य कहता हूं मैं सत्य कहता हूं ऐसी क्रिया से रोग नाश करना होता है।

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