राजा दशरथ को श्राप दिया मृत्यु का रानी कैकई ने राजा दशरथ से वनवास मांगा राम के लिए जानिए

राजा दशरथ को श्राप दिया मृत्यु का रानी कैकई ने  राजा दशरथ से वनवास मांगा राम के लिए जानिए 

राजा दशरथ रघु वंश के थे और अपने वचनों के लिए पक्के थे । राजा दशरथ धनुर्विद्या में पारंगत थे ,एक बार वो जंगल मे शिकार करने गए और शब्द वेदी धनुर्विद्या के माध्यम से शिकार खोज रहे थे  

राजा दशरथ को श्राप दिया मृत्यु का रामायण के अनुसार

महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण के अनुसार राजा दशरथ जब युवावस्था में थे तो उन्हें ‘शब्दभेदी’ बाण विद्या का ज्ञान प्राप्त था। यह एक ऐसी विद्या थी जिसकी मदद से बंद आंखों से भी केवल एक आवाज़ सुनने से सही निशाने पर बाण चलाया जा सकता था। इस विद्या का प्रयोग राजा दशरथ द्वारा जंगल में जानवरों के शिकार के लिए किया जाता था। एक दिन वे शिकार के मकसद से ही जंगल में गए। उस दिन भारी वर्षा हो रही थी। वे सरयू नदी के निकट पहुंचे और तभी उन्हें एक हाथी के पानी पीने की आवाज़ सुनाई दी। उन्होंने अपने शब्दभेदी ज्ञान से उस दिशा में तीर छोड़ा लेकिन अगले ही पल किसी मनुष्य के दर्द से चिल्लाने की आवाज़ सुनाई दी। यह आवाज़ सुनते ही राजा दशरथ उस दिशा में तेज़ी से दौड़े और वहां जाकर उन्होंने खून से लथपथ एक युवक को नदी के किनारे दर्द से तड़पते हुए पाया। दरअसल दशरथ द्वारा चलाया गया बाण उस युवक को लगा था जिसका नाम श्रवण था। उसने जैसे ही राजा को देखा तो वह बोला, “तुम एक राजकुमार हो, फिर भी तुमने एक जानवर की तरह मेरा शिकार किया? मैंने ऐसा क्या अपराध किया था, मैं तो केवल अपने नेत्रहीन एवं वृद्ध माता-पिता के लिए पानी लेने आया था। उनका मेरे बिना और कोई सहारा नहीं है और तुमने मुझे ही मार दिया? जाओ अब मेरे माता-पिता को तुम ही मेरे मरने की खबर सुनाओ।“

श्रवण के पिता ने राजा दशरथ को श्राप दिया

यह सुन राजा दशरथ उस स्थान पर पहुंचे जहां श्रवण के माता-पिता अपने पुत्र का इंतज़ार कर रहे थे। कुछ हिम्मत एकत्रित कर उन्होंने श्रवण की मृत्यु की खबर उन्हें सुनाई। यह खबर सुन श्रवण के पिता ने राजा दशरथ को श्राप दिया और कहा, “जिस प्रकार आज अपने पुत्र की मृत्यु से मैं तड़प रहा हूं, ठीक इसी प्रकार तुम भी अपने पुत्रों से अलग हो जाओगे और उनके वियोग में मर जाओगे।“ इस श्राप ने वर्षों बाद अपना असर दिखाया, जब श्री राम अपने अनुज लक्ष्मण के साथ वनवास चले गए और उनके पीछे से राजा दशरथ का राम से बिछड़ने के कारण स्वर्गवास हो गया।अगली कहानी भी रामायण युग से जुड़ी है। श्री राम जिन्हें भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है उन्हें एक अप्सरा द्वारा श्राप दिया गया था। वह अप्सरा वालि वानर की पत्नी थी। यह तब की बात है जब सुग्रीव वानर जो कि श्री राम के प्रिय मित्र थे, उन्होंने भगवान राम से मदद मांगी। सुग्रीव और वालि के बीच युद्ध हुआ जिसमें भगवान राम के बाण द्वारा वालि की मृत्यु हो गई।

रानी कैकई ने राजा दशरथ से भगवान राम के लिए 14 वर्ष के बनवास की मांग जानिए

राजा दशरथ की तीसरी पत्नी कैकेयी भगवान राम से अपने बेटे भरत से भी ज्यादा प्रेम करती थीं। उन्हें राम से बहुत आशाएं थीं। जब कैकेयी ने भगवान राम से 14 वर्षों का वनवास मांगा था तब सबसे ज्यादा भरत हैरान हुए थे क्योंकि वह जानते थे कि माता राम से कितना प्रेम करती हैं। लेकिन आपको जानाकर हैरानी होगी कि देवताओं ने कैकेयी से यह काम करवाया था। इसके पीछे एक रोचक कथा है।
माता कैकयी यथार्थ जानती हैं। जो नारी युद्ध भूमि में दशरथ के प्राण बचाने के लिए अपना हाथ रथ के धुरे में लगा सकती है, रथ संचालन की कला में दक्ष है, वह राजनैतिक परिस्थितियों से अनजान कैसे रह सकती है? कैकेयी चाहती थी कि मेरे राम का पावन यश चौदहों भुवनों में फैल जाए और यह बिना तप और विन रावण वध के संभव नहीं था। कैकेयी जानती थीं कि अगर राम अयोध्या के राजा बन जाते तो रावण का वध नहीं कर पाएंगे, इसके लिए वन में तप जरूरी थी। कैकयी चाहती थीं कि राम केवल अयोध्या के ही सम्राट न बनकर रह जाएं, वह विश्व के समस्त प्राणियों के हृदयों के सम्राट भी बनें। उसके लिए राम को अपनी साधित शोधित इन्द्रियों तथा अन्तःकरण को तप के द्वारा तदर्थ सिद्ध करना होगा।इसी लिए रानी कैकई ने राजा दशरथ से भगवान राम के लिए 14 वर्ष के बनवास की मांग की

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