रामायण की कहानी रामसेतु में गिलहरी का योगदान
रामायण की रामसेतु कहानी Ram Setu story of Ramayana
माता सीता का हरण होने के बाद, भगवान राम को लंका तक पहुंचने के लिए उनकी वानर सेना जंगल को लंका से जोड़ने के लिए समुद्र के ऊपर पुल बनाने के काम में लग जाती है। पुल बनाने के लिए पत्थर पर भगवान श्रीराम का नाम लिखकर पूरी सेना समुद्र में पत्थर डालती है। भगवान राम का नाम लिखे जाने की वजह से पत्थर समुद्र में डूबने के बजाय तैरने लगते हैं। यह सब देखकर सभी वानर काफी खुश होते हैं और तेजी से पुल बनाने के लिए पत्थर समुद्र में डालने लगते हैं। भगवान राम पुल बनाने के लिए अपनी सेना के उत्साह, समर्पण और जुनून को देखकर काफी खुश होते हैं। उस वक्त वहां एक गिलहरी भी थी, जो मुंह से कंकड़ उठाकर नदी में डाल रही थी। उसे ऐसा बार-बार करते हुए एक वानर देख रहा था।
रामायण गिलहरी का योगदान Squirrel's contribution to Ramayana
कुछ देर बाद वानर गिलहरी को देखकर मजाक बनाता है। वानर कहता है, “हे! गिलहरी तुम इतनी छोटी-सी हो, समुद्र से दूर रहो। कहीं ऐसा न हो कि तुम इन्हीं पत्थरों के नीचे दब जाओ।” यह सुनकर दूसरे वानर भी गिलहरी का मजाक बनाने लगते हैं। गिलहरी यह सब सुनकर बहुत दुखी हो जाती है। भगवान राम भी दूर से यह सब होता देखते हैं। गिलहरी की नजर जैसे ही भगवान राम पर पड़ती है, वो रोते- रोते भगवान राम के समीप पहुंच जाती है।
परेशान गिलहरी श्री राम से सभी वानरों की शिकायत करती है। तब भगवान राम खड़े होते हैं और वानर सेना को दिखाते हैं कि गिलहरी ने जिन कंकड़ों व छोटे पत्थरों को फेंका था, वो कैसे बड़े पत्थरों को एक दूसरे से जोड़ने का काम कर रहे हैं। भगवान राम कहते हैं, “अगर गिलहरी इन कंकड़ों को नहीं डालती, तो तुम्हारे द्वारा फेंके गए सारे पत्थर इधर-उधर बिखरे रहते। ये गिलहरी के द्वारा फेंके गए पत्थर ही हैं, जो इन्हें आपस में जोड़े हुए हैं। पुल बनाने के लिए गिलहरी का योगदान भी वानर सेना के सदस्यों जैसा ही अमूल्य है।
इतना सब कहकर भगवान राम बड़े ही प्यार से गिलहरी को अपने हाथों से उठाते हैं। फिर, गिलहरी के कार्य की सराहना करते हुए श्री राम उसकी पीठ पर बड़े ही प्यार से हाथ फेरने लगते हैं। भगवान के हाथ फेरते ही गिलहरी के छोटे-से शरीर पर उनकी उंगलियों के निशान बन जाते हैं। तब से ही माना जाता है कि गिलहरियों के शरीर पर मौजूद सफेद धारियां कुछ और नहीं, बल्कि भगवान राम की उंगलियों के निशान के रूप में मौजूद उनका आशीर्वाद है।
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