कटारमल सूर्य मंदिर अल्मोड़ा ,उत्तराखंड

कटारमल सूर्य मंदिर अल्मोड़ा ,उत्तराखंड


उत्तराखंड प्राकृतिक रूप से जितना धनी है उतना ही धनी यह अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत से भी है. यहाँ सैकड़ों मंदिर हैं. हर मंदिर अपनी शैली और आस्था के कारण विशेष महत्त्व रखता है. यहां एक ऐसा ही विशेष मंदिर है भगवान सूर्य का मंदिर. मंदिर का नाम है कटारमल सूर्य मंदिर. यह उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के सुनार कटारमल गाँव में है. इस मंदिर की शैली अद्भुत है. इसका पौराणिक महत्त्व और मान्यताएं भी बहुत खास है. इस मंदिर को आदित्य मंदिर भी कहा जाता है. मान्यता है कि यह मंदिर कोर्णाक के सूर्य मंदिर के बाद भगवान सूर्य को समर्पित दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण और प्राचीन मंदिर है. यह कुमाऊं मंडल का सबसे बड़ा और अनूठा मंदिर है.

कटारमल सूर्य मंदिर अल्मोड़ा से लगभग 16 किमी दूर कटारमल ( Katarmal , Adheli ,Sunar  )  अधोली सुनार गाँव मे स्थित है । कटारमल का सूर्य मंदिर समुद्र तल से 2116 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। कटारमल के पास कोसी नामक कस्बाई बाजार पड़ता है। एवं पास कोसी नदी ( कौशिकी नदी ) भी प्रवाहित होती है। Katarmal temple को  उत्तराखंड का सबसे प्राचीनतम सूर्य मंदिर माना जाता है।
 katarmal sun Temple यह  मंदिर समस्त कुमाऊ में  विशाल  मंदिरों में गिना  जाता है। कटारमल के सूर्य मंदिर को कोर्णाक सूर्य मंदिर के बाद सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। कटारमल मंदिर कोर्णाक के सूर्य मंदिर से लगभग 200 वर्ष पुराना माना जाता है।

कटारमल सूर्य मंदिर का इतिहास  | History |  Katarmal sun temple

कटारमल का सूर्य मंदिर अपनी विशेष वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। कटारमल के सूर्यमंदिर का लोकप्रिय नाम बारादित्य है। कटारमल के मंदिर के बारे मेें कहा जाता है,कि  कटारमल सूर्य मंदिर का निर्माण कत्यूरी वंश के राजा कटारमल देव ने कराया  था। इसीलिये इस मंदिर का नाम राजा कटारमल के नाम से कटारमल का सूर्य मंदिर भी कहा जाता है।
यहाँ छोटे छोटे 45 मंदिरों का समूह है। इतिहासकारों के अनुसार मुख्य मंदिर का निर्माण अलग अलग समय माना जाता है। वास्तुकला और शिलालेखों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण 13 वी शताब्दी में माना जाता है।
अल्मोड़ा सूर्य मंदिर की दीवार पर तीन लाइन लिखा एक शिलालेख भी है। जिसके अनुसार प्रसिद्ध लेखक राहुल सांकृत्यायन 10वी या 11 वी शताब्दी का माना है। राहुल सांकृत्यायन ने भी इस मंदिर की मूर्तियां को कत्यूरी काल की माना है। इन मंदिरों में भगवान सूर्य की 2 मूर्तियां और विष्णु शिव गणेश भगवान की मूर्तियां है। पुरातत्वविद  डॉ डिमरी जी के अनुसार यह मंदिर 11वी शताब्दी का माना जा सकता है। इस मंदिर के लकड़ी के गुम्बद के हिसाब से यह 8 वी या 9 वी शताब्दी का लगता है।

इस मंदिर में सुंदर अष्टधातु की मूर्ति थी , जिसे चोरों ने चुरा लिया था, जो अब दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे हैं। मंदिर का ऊँचा शिखर अब खंडित हो गया है। इसकी शिखर की ऊँचाई से इसकी उचाई का अनुमान लगाया जा सकता है। भारतीय पुरातत्व विभाग ने मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया है। कटारमल मंदिर का प्रवेश द्वार जो अनुपम काष्ट कला का नमूना था, तस्करों की चोरी की वारदात के बाद। इन दरवाजों को दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में रख दिया गया।

( कटारमल सूर्य मंदिर का इतिहास )

कटारमल के मंदिर की विशेषता 

katarmal sun temple की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ,यहाँ भगवान सूर्य की मूर्ति किसी ,धातु या पत्थर से निर्मित नही है, बल्कि बड़ की लकडी अर्थात बरगद की लकड़ी से बनी है। जो अदभुत और अनोखी है। यहाँ के सूर्य भगवान की मूर्ति बड़ की लकड़ी से बने होने के कारण ऐसे बड़ादित्य या बड़आदित्य मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान सूर्य देव की मूर्ति पद्मासन में स्थित है। इस मंदिर में सूर्य देव की 2 मूर्तियां है।
यह मंदिर पूर्वमुखी है। भगवान सूर्य नारायण रोज सुबह उदय के समय अपने भवन में किरणें बिखेरते हैं।

कटारमल सूर्य मंदिर की कहानी | Story of Katarmal sun temple

पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन युगों से उत्तराखंड देवभूमि रही है। यहाँ पहाड़ो पर ऋषि मुनि अपनी जप तप करते थे। एक बार द्रोणागिरी , कक्षयपर्वत और कंजार पर्वत पर ऋषि मुनि अपना जप तप कर रहे थे। तभी उनको वहाँ एक असुर परेशान करने लगा। ऋषियों ने वहाँ से भाग कर , कौशिकी नदी ( कोसी नदी ) के तट पर शरण ली। वहाँ उन्होंने भगवान सूर्य देव की आराधना की । तब भगवान सूर्य देव ने प्रसन्न होकर अपने  तेज को एक वटशिला मे स्थापित कर दिया । जैसा कि विदित है, ऊर्जा और तेज के सामने नकारात्मक शक्तियां नही टिक सकती हैं
वटशिला के तेज के सामने असुर परास्त हो गया ,और ऋषियों ने निर्बिघ्न अपनी पूजा आराधना,जप तप किया। बाद में कत्यूरी वंशज राजा कटारमल देव ने इसी वटशिला पर भगवान सूर्यदेव के भव्य मंदिर का निर्माण कराया।

कटारमल  कब जाए

कटारमल सूर्य मंदिर की यात्रा आप कभी भी कर सकते हैं । ज्यादकर गर्मियों के मौसम में कटारमल  की यात्रा सबसे उपयुक्त रहेगी। क्योंकि कटारमल सूर्य मंदिर अल्मोड़ा जिले में आता है। अल्मोड़ा एक प्रसिद्ध हिल  स्टेशन है। अल्मोड़ा का तापमान  गर्मियों में अधिकतम 28 डिग्री तथा न्यूनतम 12 डिग्री होता है।गर्मियों कटारमल के आस पास घूमने लायक बहुत स्थान हैं। कटारमल की यात्रा के साथ आप उत्तराखंड का प्रसिद्ध हिल स्टेशन रानीखेत कि यात्रा का आनन्द भी ले सकते हैं।

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