शनि शिंगणापुर की कहानी, इतिहास।
शनि शिंगणापुर, महाराष्ट्र, भारत में स्थित है और यहां पर श्री शनिदेव का एक प्रमुख मंदिर है जिसे शनिग्रह मंदिर भी कहा जाता है। शनि शिंगणापुर के मंदिर का इतिहास और कहानी बहुत ही रोचक है:
कथा और इतिहास

- शनि देव का शाप: शनि शिंगणापुर के मंदिर का इतिहास एक प्राचीन कथा से जुड़ा हुआ है। कथा के अनुसार, एक समय शनि देव ने ग्रहण का समय बराबर रखा था जिससे सूर्य और शनि का मिलन हुआ। सूर्य ने शनि को देखा और उसकी उपस्थिति से प्रभावित होकर वह अपनी पुत्री की विवाह में कई बार बाधित हुआ। इसके कारण शनि ने अपने आत्मभूत शक्ति को शिंगणा, एक छोटे गाँव में स्थित इस स्थान पर रख दिया और यहां अपनी पूजा की मांग की।
- शिंगणा का आशीर्वाद: शनि देव ने ग्रहण के समय अपनी दृष्टि से उनके भक्त को देखा और वह बहुत ही प्रभावित हुए। उन्होंने अपने आशीर्वाद से अपने भक्त को विमुक्ति दी और इसके बाद इस स्थान को उनके नाम पर शनि शिंगणापुर कहा गया।
- मंदिर की निर्माण: श्री शनिग्रह मंदिर का निर्माण भगवान शनि के पूजा-अर्चना के लिए हुआ है। मंदिर की निर्माण श्री नानासाहेब निळंकर पाटील, एक ब्राह्मण व्यापारी द्वारा किया गया था।
- मंदिर की विशेषता: इस मंदिर में भगवान शनि की मूर्ति काली रंग की है, और यह मंदिर उनके एक अनूपम पूजा स्थल के रूप में माना जाता है। मंदिर के अंदर विशेष रूप से समर्पित स्थान पर शनि देव की मूर्ति है, जो विशेष रूप से पूजा जाती है।
- शनि अमावस्या की महत्वपूर्ण तारीख: यहां वार्षिक रूप से शनि अमावस्या के दिन बहुत बड़ा मेला आयोजित होता है, और लाखों श्रद्धालु यहां आकर शनि देव की पूजा अर्चना करते हैं।
इस प्रकार, शनि शिंगणापुर के मंदिर का इतिहास एक रोचक और धार्मिक कथा से जुड़ा हुआ है जिसमें भगवान शनि की भक्ति और कृपा का महत्वपूर्ण स्थान है।
इस गांव के घरों में नहीं होते दरवाजे -
भारत देवी - देवताओं की भूमि है। यंहा देवी - देवताओं के लाखों मंदिर हैं।
इनमें से बहुत से मंदिर अपनी चमत्कारी विशेषताओं के लिये जाने जाते हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं उन्हीं में से एक मन्दिर शनि सिंगणापुर की -
पूरे भारत में शनि महाराज के दो प्रमुख निवास स्थान हैं जिनमें से एक मथुरा के पास कोकिला वन में स्थित है और दूसरा महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर धाम है। इनमें से शनि शिंगणापुर का विशेष महत्व है। यंहा शनि महाराज की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि एक बड़ा सा काला पत्थर है जिसे शनि विग्रह कहा जाता है और उसकी पूजा की जाती है। इस शनि विग्रह के ऊपर कोई छत या मंदिर नहीं है वल्कि यह खुले आसमान के नीचे मैदान में स्थापित है। शनि के प्रकोप से छुटकारा पाने के लिए देश विदेश से लोग यंहा आते हैं और शनि महाराज की कृपा प्राप्त करते हैं। माना जाता है कि यंहा पर शनि महाराज को तेल से अभिषेक करने वाले व्यक्ति को शनि महाराज कभी कष्ट नहीं देते।
यंहा पर हैरान करने बाली बात यह है कि यंहा पर कभी चोरी नहीं होती। यंहा के लोगों का मानना है कि यंहा के राजा शनि महाराज हैं और यंहा के लोगों की रक्षा करते हैं। मान्यता है कि जो भी यंहा चोरी करता है उसे शनि महाराज खुद सजा देते हैं और चोरी करने वाला चोरी करने के वाद गाँव से बाहर नहीं जा पाता।
शनि शिंगणापुर मंदिर

यंहा हैरान करने वाली बात यह है कि शिंगणापुर गांव के किसी भी घर में दरवाज़ा नहीं है। यह दुनिया का अकेला गांव जंहा पर लोग घरों में ताला या दरवाजा नहीं लगाते। लोगों को शनि महाराज पर इतना भरोसा है कि वह अपना कीमती सामान यंहा तक कि जेवरात और धन को भी कभी ताला नहीं लगते।
शनि महाराज की शिंगणापुर पहुंचने की कहानी
शनि महाराज के शिंगणापुर पहुंचने की कहानी बड़ी रोचक है। सदियों पहले शिंगणापुर में बहुत ज्यादा बर्षा हुई। बर्षा के कारण बाढ़ की स्थिति आ गई। इसी बीच एक रात शनि महाराज गांव वाले के सपने में आये और कहा कि मैं पानस नाले में विग्रह के रूप में मौजूद हूं । मेरे विग्रह को वंहा से लाकर गांव में स्थापित करो। सुबह इस व्यक्ति ने गांव वालों को यह बात बताई। सभी लोग पानस पर गए और वहां पर शनि विग्रह को देखकर हैरान रह गए। गांव वाले मिलकर उस विग्रह को उठाने लगे लेकिन विग्रह हिला तक नहीं। सभी हारकर वापिस आ गए। शनि महाराज उसी रात उसी गांव वाले के सपने में आए और बताया कि कोई मामा भांजा मिलकर मुझे उठाएं तो ही मैं उस स्थान से उठूंगा। मुझे उस बैलगाड़ी में बैठाकर लाना जिसमें बैल भी मामा भांजा ही हों। अगले दिन उसने गांव वालों को बताया, तब एक मामा भांजे ने मिलकर विग्रह को उठाया और बैलगाड़ी पर बैठाकर गांव लाया गया और उस स्थान पर स्थापित किया जहां वर्तमान में यह मौजूद है। इस विग्रह की स्थापना के बाद गांव में खुशहाली बढ़ने लगी। कहते हैं कि मामा भांजा साथ में पूजा करने जाएं तो विशेष फल मिलता है।
टिप्पणियाँ