कंदरिया महादेव मंदिर पूरे 1000 वर्ष प्राचीन जानिए कुछ मुख्य बातें Kandariya Mahadev Temple is 1000 years old, know some important things

कंदरिया महादेव मंदिर पूरे 1000 वर्ष प्राचीन जानिए कुछ मुख्य बातें

कंदरिया महादेव मंदिर

राज्य: लुका
शहर: मध्य प्रदेश
श्रेणी: 275 शिव स्थलम, चोल नाडु - कावेरी के दक्षिण में, कोंगु नाडु, करपेज विनयगर, चोल नाडु - कावेरी के उत्तर में, नाडु नाडु, ईझा नाडु, पांड्य नाडु, मलाई नाडु - 1 मंदिर, टोंडाई नाडु, तुलु नाडु, वडा नाडु

यह अकल्पनीय मन्दिर 100 वर्ष नहीं, 200 वर्ष नहीं, और 500 वर्ष भी नहीं, ये मन्दिर पूरे 1000 वर्ष प्राचीन है


देखिए और कल्पना करिए,1000 वर्ष पहले ये मन्दिर चन्देल राजाओ ने कैसे बनाया होगा और आज 1000 वर्ष बाद भी धर्म को लेकर खड़ा है
कंदारिया महादेव" मंदिर मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में खजुराहो ग्राम के समीप 6 किलोमीटर के परिसर का परास लिए ये मंदिर शिव जी के मध्यकालीन मंदिरों में कुछ सबसे भव्य मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि गुफानुमा आकृति के कारण इसे कंदारिया महादेव मंदिर कहा गया।
सन 1019 में गजनी से एक बर्बर लुटेरा भारत की संपत्ति से प्रलोभित हो और दीन के विस्तार के लिए काफिरों की हत्या करने के उद्देश्य से पश्चिमोत्तर प्रान्तों को आक्रांत करते हुए जेजाकभुक्ति तक आ पहुँचा। उस समय जेजाकभुक्ति (वर्तमान महोबा, छतरपुर, पन्ना आदि जिले) पर चंदेल राजपूतों की यश-पताका लहरा रही थी। हूणों को पराजित करने वाले यशोवर्मन के कुल के महाराज विद्याधर जेजाकभुक्ति के सरंक्षक थे। भयंकर युद्ध हुआ जिसमें महमूद गजनवी को विवश होकर संधि करना पड़ा।
Kandariya Mahadev Temple is 1000 years old, know some important things

3 वर्ष पश्चात 1022 ईस्वी में वो बर्बर लुटेरा महमूद गजनवी पुनः जेजाकभुक्ति पर आक्रमण के लिए आया और इस बार भी उसे मुँह की खानी पड़ी। चन्देलों से पराजित हो उसने पुनः संधि कर लिया।
महाराज विद्याधर ने इस विजय की स्मृति में कंदारिया महादेव मंदिर का निर्माण कराया। जिसके बाह्य भित्तियों पर मैथुनरत मूर्तियाँ हैं तो अंदर त्रिदेव की मूर्तियाँ।
कहा जाता है कि इस मंदिर को मुस्लिम आक्रमणकारियों से बचाने के लिए खजुराहो ग्राम के वासियों ने ग्राम ही छोड़ दिया जिससे मुस्लिम आक्रमणकारियों की दृष्टि इन मंदिरों पर न पड़े।अँग्रेजों ने स्थानीय लोगों की सहायता से इस मंदिर को ढूँढ निकाला। उसके पहले यहाँ मात्र नाथ सम्प्रदाय के योगी ही आते थे। वर्षों तक निर्जन रहने के कारण यह मंदिर जंगलों से आच्छादित हो गया था।

हम सबका ये जानकर गर्व से सिर ऊँचा हो जाएगा कि औरंगजेब सर्वप्रथम इसी शिवलिंग पर तोप चलाने का आदेश दिया था। परन्तु उसके सारे प्रयत्न के पश्चात भी इस पर खरोंच तक नहीं आया। तभी वह देवता के प्रकोप से डर कर भाग गया।मंदिर में बलुआ पत्थर लगे हैं जिनकी चमक आज भी विस्मित करती है। पत्थरों को चमकाने के लिए इस पर चमड़े की भारी घिसाई की गई है।महमूद गजनवी को पराजित करने वाले महाराज विद्याधर और उस जीत की स्मृति में बने इस मंदिर को कदाचित ही अधिक लोग जानते हों। लालकिला और ताजमहल के बारे में कितना बताया जाता है किंतु खजुराहो के मंदिरों की नग्न मूर्तियों के अतिरिक्त उसके शिल्प पर कभी बात नहीं होती। समय हो तो कभी यहाँ घूमने के लिए जायें।

संक्षिप्त विवरण

कंदरिया महादेव मंदिर खजुराहो के पश्चिमी मंदिरों के समूह में सबसे बड़ा मंदिर है और यह भगवान शिव को समर्पित है, जो एक पर्वत गुफा (कंदरा) में रहने वाले तपस्वी हैं। इसलिए इसका नाम कंदरा और महादेव शब्द से मिलकर बना है, जो भगवान शिव का दूसरा नाम है। मुख्य शिखर या शिखर 30.5 मीटर ऊंचा है जो शिव के पवित्र पर्वत मेरु पर्वत को दर्शाता है और 84 लघु शिखरों से घिरा हुआ है। 1 केंद्रीय शिखर के चारों ओर का यह समूह पर्वत श्रृंखला का प्रभाव पैदा करता है। भीतरी गर्भगृह में एक संगमरमर का शिव-लिंग है। मंदिर का अनुमानित स्थान 24.853017' उत्तर, 79.919632' पूर्व (डब्ल्यूजीएस 84 मानचित्र डेटाम) है और यह लक्ष्मण मंदिर के ठीक सामने और विश्वनाथ मंदिर के पश्चिम में लगभग 250 मीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर का स्वरूप भ्रामक है क्योंकि यह पत्थर के एक ठोस टुकड़े को तराश कर बनाया गया प्रतीत होता है। कंदरिया महादेव मंदिर जिसका अर्थ है "गुफा का महान देवता" भारत के मध्य प्रदेश के खजुराहो में पाए जाने वाले मध्ययुगीन मंदिर समूह में सबसे बड़ा और सबसे अलंकृत हिंदू मंदिर है। इसे भारत में मध्यकाल से संरक्षित मंदिरों के सर्वोत्तम उदाहरणों में से एक माना जाता है। लिंग के रूप में शिव, गर्भगृह में स्थापित मंदिर के मुख्य देवता हैं। 'कंदरिया' नाम का अर्थ है "गुफा" और 'महादेव' शिव का दूसरा नाम है। मंदिर को 900 से अधिक पत्थर की नक्काशी से सजाया गया है और पत्थर बिना मोर्टार के लगाए गए हैं; इसका अधिकांश भाग मंदिर की बाहरी सतह पर है क्योंकि आंतरिक सजावट विरल है।
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