सूर्य देव की स्तुति पूजा का महत्व और पूजा विधि व्रत का फल Importance of praise and worship of Sun God and the method of worship and the results of fasting

सूर्य देव की स्तुति  पूजा का महत्व और पूजा विधि व्रत का फल

पूजा का महत्व

हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार सूर्य देव को जगत की आत्मा माना जाता है। सूर्य देव ही पृथ्वीं पर अंधकार का नाश करते हैं। सूर्य के बिना पृथ्वीं पर जीवन संभव ही नही है। चंद्रमा और सूर्य दोनों ही ऐसे देवता है जिन्हें प्रत्यक्ष रुप से देखा जा सकता है। सूर्य पद-प्रतिष्ठा, नौकरी, कीर्ति, धन आदि का कारक होता है। सूर्यदेव को आरोग्य का देवता माना जाता है। सूर्यदेव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करके जीवन में सफलता, मानसिक शांति पायी जा सकती है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति के अन्दर शक्ति का संचार होता है।
 Importance of praise and worship of Sun God and the method of worship and the results of fasting

शक्तिशाली सूर्य मंत्र

ग्रहाणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:।
विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु मे रवि।।

सूर्यदेव की आरती

अखिल लोक तमनाशक तुम हो,
करि पूजा नित तुमहिं मनाऊँ।। सूर्यदेव० ॥ 
सप्त अश्व युत वाहन तुम्हरो, 
जग में द्वादश नाम गिनाऊँ।। सूर्यदेव० ॥ 
कानन में कुण्डल लहरत हैं, 
गल बिच हार तोहिं पहिराऊँ ।। सूर्यदेव० ।।
युग सहस्त्र योजन पर वासा, 
प्रखर ज्योति तव सहि नहिं पाऊँ।। सूर्यदेव० ।। 
रविवासर भक्तहिं तुम पूजैं, 
लाल बसन अरू फूल चढ़ाऊँ ॥ सूर्यदेव० ।।
ग्रहण लगे नर जाप करत हैं, 
स्नान दान हित सरितहिं धाऊँ।। सूर्यदेव० ।।
जो नर आरति करैं सूर्य की, 
जीवत जन्म सकल फल पाऊँ।। सूर्यदेव० ॥ 
दोहा- 
सूर्यदेव की आरती, पढ़ें सुनै जो कोया। 
विनय करत 'पुनीत मिश्र', सुख-सम्पत्ति सब होय।।

श्री सूर्य स्तुति

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन ।।
त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।

दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी।

विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी।

वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान-मोह सब, तत्त्वज्ञान दीजै॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

भगवान सूर्य का मंत्र

  • एम ग्रीन सूर्या: आदित्य:
  • ॐ फ्रीं फ्रीं सूर्यं सहस्रकिरणलाई, मनोवांछित फल देहिं स्वाहा।
  • ॐ फ्रीं ग्राइनेर सूर्य आदित्य क्लीं ॐ।
  • एम-फ़्रेम फ़्रेम सिराय नमः।
  • ॐ सोराय नमः।

सूर्य देव की पूजा विधि

भगवान सूर्य की पूजा में अर्घ्यदान का विशेष महत्व बताया गया है। रविवार के दिन प्रात:काल में तांबे के लोटे में जल लेकर और उसमें लाल फूल, चावल डालकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इस अर्घ्यदान से भगवान सूर्य प्रसन्न होकर आयु, आरोग्य, धन, धान्य, पुत्र, मित्र, तेज, यश, विद्या, वैभव और सौभाग्य को प्रदान करते हैं। रविवार का व्रत समस्त पापों का नाश करने वाला माना गया है। इस दिन सूर्यदेव का पूजन-अर्चन करने का महत्व है। इस व्रत को करने से मनुष्‍य के जीवन के सभी कष्ट नष्ट हो जाते हैं और मनुष्य जीवन के सभी सुखों का भोग करने का अधिकारी बन जाता है। आइए जानें कैसे करें व्रत-
  • पौराणिक ग्रंथों में रविवार के व्रत को समस्त पापों का नाश करने वाला माना गया है।
  • अच्छे स्वास्थ्य व घर में समृद्धि की कामना के लिए भी रविवार का व्रत किया जाता है।
  • इस व्रत के दिन सूर्यदेव की पूजा की जाती है।
  • पूजा के बाद भगवान सूर्यदेव को याद करते हुए ही तेलरहित भोजन करना चाहिए।
  • 1 वर्ष तक नियमित रूप से उपवास रखने के पश्चात व्रत का उद्यापन करना चाहिए।
  • मान्यता है कि इस उपवास को करने से उपासक जीवनपर्यंत तमाम सुखों को भोगता है व मृत्यु पश्चात सूर्यलोक में गमन कर मोक्ष को पाता है। 

व्रत का फल

  • इस व्रत के करने से मनुष्य को मोक्ष प्राप्त होता है।
  • इस व्रत के करने से स्त्रियों का बांझपन दूर होता है।
  • इससे सभी पापों का नाश होता है।
  • इससे मनुष्य को धन, यश, मान-सम्मान तथा आरोग्य प्राप्त होता है।

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