कृष्णाय वासुदेवाय शक्तिशाली कृष्ण मंत्र krishnaya vasudevaya powerful krishna mantra

कृष्णाय वासुदेवाय शक्तिशाली कृष्ण मंत्र

कृष्ण का जन्म 

भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र के दिन रात्री के १२ बजे हुआ था। कृष्ण का जन्मदिन जन्माष्टमी के नाम से भारत, नेपाल, रूस सहित विश्वभर के सभी देशों में मनाया जाता है।कृष्ण भगवान का जन्म मथुरा में कंस के कारागार में हुआ था। कृष्ण के पिता का नाम वासुदेव और माता का नाम माता देवकी थी। कृष्ण उनके ८ वीं संतान थे। जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ तब कारागृह के द्वार स्वतः ही खुल गए और सभी सिपाही निंद्रा में थे। वासुदेव के हाथो में लगी बेड़िया भी खुल गई। तब वासुदेव अपने पुत्र को लेकर कारागृह से निकल पड़े।गोकुल के निवासी नन्द की पत्नी यशोदा को भी संतान का जन्म होने वाला था। वासुदेव अपने पुत्र को यशोदा के पास रख कर उनकी संतान को लेकर मथुरा चले आए। कंस अपनी बहन देवकी के सभी बच्चों को मारने की व्यवस्था करता है। जब कंस इस नवजात शिशु को मारने का प्रयास कर रहा था तब शिशु बालिका हिंदू देवी दुर्गा के रूप में प्रकट होती है, तथा उसे चेतावनी देते हुए कि उनकी मृत्यु उसके राज्य में आ गई है।
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श्रीमद्भागवत महापुराण दशम स्कन्ध (उत्तरार्धम्) ६२९ दिन 

त्रिसप्ततितमोऽध्यायः - ७३ (अध्याय 73) – श्लोक १६ से २० तक

श्लोक-
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।
प्रणतक्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः ॥ १६॥
अर्थ-
प्रणाम करने वालों के क्लेश का नाश करने वाले श्रीकृष्ण, वासुदेव, हरि, परमात्मा एवं गोविन्द के प्रति हमारा बार-बार नमस्कार है। ॥ १६॥
श्लोक-श्रीशुक उवाच
संस्तूयमानो भगवान् राजभिर्मुक्तबन्धनैः ।
तानाह करुणस्तात शरण्यः श्लक्ष्णया गिरा ॥ १७॥
अर्थ-
श्रीशुकदेव जी कहते हैं- परीक्षित! कारागार से मुक्त राजाओं ने जब इस प्रकार करुणावरुणालय भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति की, तब शरणागत रक्षक प्रभु ने बड़ी मधुर वाणी से उनसे कहा। ॥ १७॥
श्लोक- श्रीभगवानुवाचअद्य
प्रभृति वो भूपा मय्यात्मन्यखिलेश्वरे ।
सुदृढा जायते भक्तिर्बाढमाशंसितं तथा ॥ १८॥
अर्थ-
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा- नरपतियों! तुम लोगों ने जैसी इच्छा प्रकट की है, उसके अनुसार आज से मुझमें तुम लोगों की निश्चय ही सुदृढ़ भक्ति होगी। यह जान लो कि मैं सबका आत्मा और सबका स्वामी हूँ। ॥ १८॥
श्लोक-
दिष्ट्या व्यवसितं भूपा भवन्त ऋतभाषिणः ।
श्रियैश्वर्यमदोन्नाहं पश्य उन्मादकं नृणाम् ॥ १९॥
अर्थ-
नरपतियों! तुम लोगों ने जो निश्चय किया है, वह सचमुच तुम्हारे लिये बड़े सौभाग्य और आनन्द की बात है। तुम लोगों ने मुझसे जो कुछ कहा है, वह बिलकुल ठीक है। क्योंकि मैं देखता हूँ, धन-सम्पत्ति और ऐश्वर्य के मद से चूर होकर बहुत-से लोग उच्छ्रंखल और मतवाले हो जाते हैं। ॥ १९॥
श्लोक-
हैहयो नहुषो वेनो रावणो नरकोऽपरे ।
श्रीमदाद्भ्रंशिताः स्थानाद्देवदैत्यनरेश्वराः ॥ २०॥
अर्थ-
हैहय, नहुष, वेन, रावण, नरकासुर आदि अनेकों देवता, दैत्य और नरपति श्रीमद के कारण अपने स्थान से, पद से च्युत हो गये।॥ २०॥

भगवान कृष्ण के कुछ शक्तिशाली मंत्र 

  1. ॐ श्री कृष्ण शरणं मम”
मंत्र का अर्थ:
मैं भगवान कृष्ण की शरण में हूँ।”
इस मंत्र का जाप भगवान श्रीकृष्ण का विश्वास और प्रेम अर्जित करने के लिए किया जाता है। यह शक्तिशाली मंत्र के उनके प्रति समर्पण और निष्ठा का प्रतीक है, जिससे हर काम बन जाते हैं।

  1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय: 
इसका अर्थ है, 
"आदिपुरुष परम ब्रह्म के प्रतीक वासुदेव के पुत्र भगवान कृष्ण को प्रणाम करता हूं". यह मंत्र भगवान कृष्ण के आशीर्वाद और सुरक्षा के लिए किया जाता है.

  • हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे: यह मंत्र पारिवारिक खुशहाली के लिए लाभदायक है.
  • ऊं श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा: यह श्रीकृष्ण का सप्तदशाक्षर महामंत्र है. अन्य मंत्र शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार 108 बार जाप करने से ही सिद्ध हो जाते हैं लेकिन इस महामंत्र का पांच लाख जाप करने से ही सिद्ध होता है.

ॐ क्लीं कृष्णाय नमः।”
  1. ॐ” शब्द की ध्वनि यहां पर सृष्टि के आदि और अंत को प्रतिष्ठापित करता है, ब्रह्मांड की उत्पत्ति और समापन को दर्शाता है।
  2. क्लीं” भगवान कृष्ण को आदिशक्ति के रूप में स्थापित करता है।
  3. कृष्णाय” इसका अर्थ है “भगवान कृष्ण को”।
  4. नमः” इसका अर्थ है “मेरा प्रणाम है” या “प्रणाम करता हूँ”।
मंत्र का अर्थ: 
इस सृष्टि के आदि और अंत के आदिशक्ति स्वरुप भगवान श्री कृष्ण को प्रणाम करता हूँ।”
इस मंत्र के जाप से साधक में आध्यात्मिक उन्नति होती है। उसके व्यक्तित्व का आकर्षण और प्रभाव बढ़ता है। सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। जीवन की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

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