माता संतोषी शुक्रवार व्रत कथा आरती Mata Santoshi Friday Fast Katha Aarti

माता संतोषी शुक्रवार व्रत कथा आरती

माता संतोषी जी की आरती

जय संतोषी माता जय संतोषी माता ।
अनेक सेवक जन की सुख सम्पति दाता ॥ जय० ॥१॥
सुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हों।
हीरा पन्ना दमके तन सिंगार लीन्हों । ॥ जय०॥२॥
गेरू लाल छटा छवि बदन कमल सोहै।
मंद हसत करुणामयि त्रिभुवन मन मोहै ॥ जय० ॥३॥
स्वर्ण सिंहासन बैठी चमर बुरै प्यारे ।
धूप दीप मधु मेवा भोग धरे न्यारे ॥ जय० ॥४॥
चना गुड़ ही में माँ संतोष कियो। 
संतोषी कहलाई भक्तन विभव दियो ॥ जय० ॥५॥
शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली छाई कथा सुनत मोही ॥ जय० ॥६॥
मंदिर जगमग ज्योति मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें तेरे बालक चरनन सिर नाई ॥ जय० ॥७॥
भक्ति-भाव मय पूजा अंगीकृत कीजै। 
जो मन बसै हमारो इच्छा फल दीजै ॥ जय०॥८॥ 
दुखी दरिद्री रोगी संकट मुक्त किये। 
बहुत धन-धान्य भरे घर सुख-सौभाग्य दिये ॥ जय०॥९॥ 
ध्यान धरो जाने तेरो मनवांछित फल पायो। 
पूजा-कथा श्रवण कर घर आनन्द छायो ॥ जय० ॥१०॥
शरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे । 
संकट तुही निवारै दयामयी अम्बे ॥ जय०॥११॥ 
संतोषी माँ की आरती जो कोई जन गावै। 
कहत पुनीत प्रसाद ते सुख-सम्पति बहु पावै ॥ जय० ॥१२॥
 Mata Santoshi Friday Fast Katha Aarti

माता संतोषी की उत्पत्ति

पौराणिक ग्रंथों में इस कथा के लिए कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है। मान्यताओं के आधार पर कहा जाता है कि गणेश के दो पुत्रों के साथ एक पुत्री भी थीं जिनका नाम माता संतोषी था। भगवान गणेश की दो पत्नियां रिद्धि और सिद्धि थीं जिनसे उन्हें दो पुत्र शुभ और लाभ हुए। माना जाता है कि भगवान गणेश अपनी बुआ से रक्षा सूत्र बंधवा रहे थे और इसके बाद तोहफों का लेन-देन देखने के बाद गणेश जी के पुत्रों ने इस रस्म का रहस्य पूछा। इस पर गणेश ने बताया कि ये धागा नहीं है बल्कि एक सुरक्षा कवच है, आशीर्वाद और बहन भाई के प्रेम का प्रतीक है। इस पर गणेश के पुत्र शुभ और लाभ ने इच्छा व्यक्त करी कि उन्हें भी एक बहन चाहिए। जिससे वो रक्षासूत्र बंधवा सकें। इसके बाद भगवान गणेश ने अपनी विशेष शक्तियों से एक ज्योति उत्पन्न की और उनकी दोनों पत्नियों की आत्मशक्ति के साथ उसे सम्मलित कर लिया। इस ज्योति ने कन्या का रुप धारण कर लिया और गणेश की पुत्री का जन्म हुआ। जिसे संतोषी माता का नाम दिया गया और शुभ-लाभ की बहन बनाया गया।

संतोषी माता की पूजा करते समय जरूर पढ़ें यह मंत्र

ॐ श्री संतोषी महामाया गजानंदम दायिनी
शुक्रवार प्रिये देवी नारायणी नमोस्तुते!
इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है। साथ ही जीवन की सभी नकारात्मकता खत्म भी हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि मंत्र के उच्चारण के बाद व्यक्ति के अंदर आध्यात्मिक शांति महसूस होती है।

शुक्रवार को क्या खाएं

धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां लक्ष्मी को सफेद रंग बहुत पसंद है. शुक्रवार को मां लक्ष्मी को सफेद चीजों का भोग लगाना चाहिए. मां को सफेद चीजों का भोग लगाने के साथ ही खुद भी सफेद रंग से बनी हुई चीजें खाना अच्छा माना जाता है. शुक्रवार को दूध, दही व उनसे बनी अन्य चीजों का सेवन करना फलदायी हो सकता है संतोषी माता के 108 नाम उनके वास्तविक रूप और भविष्य को दर्शाते हैं। संतोषी माता की पूजा करने वाले भक्तों को देवी के सभी 108 नामों को जानना चाहिए और नियमित रूप से इन नामों का जाप करना चाहिए। संतोषी माता के 108 नाम नीचे दिए गए हैं

संतोषी माता के 108 नाम 

  1. आद्य
  2. आर्या
  3. अभय
  4. अग्नि ज्वाला
  5. अहंकार
  6. अमीवा विक्रम
  7. अनंत
  8. अनंता
  9. अनेक शास्त्र हस्त
  10. अनेक वर्ण
  11. अनेकास्त्र धारणिनी
  12. अपर्णा
  13. अप्राध
  14. बाहुल प्रेमा
  15. बहुला
  16. बलप्रदा
  17. भाविनी
  18. भावय
  19. भंडारकली
  20. भव प्रीता
  21. भवमोचनी
  22. भाव
  23. भवानी
  24. भदद्ध
  25.  ब्राह्मी
  26.  ब्रह्म वादिनी
  27. बुधि
  28. चामुंडा
  29. चन्दा मुण्डविसाशिनी
  30. चन्द्रघण्टा
  31.  चिन्ता
  32. चित्रा
  33.  चित्त
  34.  चित्तरूप
  35. चिट्टी
  36. दक्ष कन्या
  37. दक्ष यज्ञ इनाशिनी
  38. देवमाता
  39. दुर्गा
  40. ईदरी
  41. एक कन्या
  42. घोर रूपा
  43. ज्ञान
  44. जलूरी जया
  45. काल रत्रि
  46. कात्यायनी
  47. किशोरी
  48. कलामंजिनी
  49. कराली
  50. कौमारी
  51. क्रिया
  52. करौरा
  53. कुमारी
  54. लक्ष्मी
  55. मशश्वरी
  56. मातंगी
  57. मधु कैतभ हंतरी
  58. महाबला
  59. महातपा
  60. महिषासुर मर्दिनी
  61. महोदर
  62. यार
  63. मातंगमुनि पूजिता
  64. मुक्तकेशी
  65. नारायणी
  66. निशुम्भशुम्भिनी
  67. नित्या
  68. ओमसति
  69. पाताल
  70. पातालवती
  71. परमेश्वरी
  72. पट्टाम्बर परिधान
  73. पिनाक धारिणी
  74. प्रतिहार
  75. स्तुति
  76. माता संतोषी
  77. पुरुषा कृति
  78.  रत्न प्रिया
  79. रद्रुमुखी
  80. साढ़वी
  81. सावित्री
  82. सद्गति
  83. सरसुंदरी
  84. सर्व असुर विनाशा
  85. सर्व शास्त्रमवी
  86. सर्व शास्त्रमयी
  87. सर्व वराह वाहना
  88. सर्वदानवघातिनी
  89. सर्वमन्त्रमावि
  90. सर्वविद्या
  91. सतानंदस्वरुपिनी
  92. सट्टा
  93. सत्या
  94. शांभवी
  95. शिव डोटी
  96. शौधारिणी
  97. सुंदरी
  98. तपस्विनी
  99. त्रिनेत्र
  100. उत्कर्षिणी
  101. वाराही
  102. वैष्णवी
  103. वन दुर्गा
  104. विमला
  105. विष्णु मैया
  106. वृद्धमाता
  107. यति
  108. युवती

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