अवश्य पढ़ें श्री हनुमान चालीसा मंगलवार और हनुमान जयंती के दिन मनोकामना जरूर पूर्ण होती है

अवश्य पढ़ें श्री हनुमान चालीसा मंगलवार और हनुमान जयंती के दिन मनोकामना जरूर पूर्ण होती है


श्री हनुमान चालीसा ,मंगलवार और हनुमान जयंती के दिन कुछ वस्तुओं को उन्हें अर्पित करने से मनोकामना जरूर पूर्ण होती है अवश्य पढ़ें-

भगवान हनुमान जी कलिकाल में शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव है। मंगलवार और हनुमान जयंती के दिन कुछ वस्तुओं को उन्हें अर्पित करने से मनोकामना जरूर पूर्ण होती है ।
कलिकाल में हनुमान जी अपने भक्तों से बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता है। हनुमान जी की पूजा बाधाओं को दूर करने सहायक होती है। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए मंगलवार को या फिर हनुमान जयंती के दिन भक्त उन्हें कई तरह के प्रसाद का भोग लगाते हैं और कई प्रकार की चीजें भी भेंट करते हैं। ऐसे में अगर आप भी बजरंगबली को प्रसाद चढ़ाने की सोच रहे हैं तो कुछ खास चीजों को चढ़ाने से बजरंग बली खुश हो सकते हैं। 
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  1. मेवा-काजू, बादाम, किशमिश, छुआरा, खोपरागिट पंचमेवा के नाम से जाने जाते हैं। इसका भी हनुमानजी को भोग लगता है। माना जाता है कि इसके भोग से बजरंगबली प्रसन्न होते है। 
  2. लड्डू-हनुमान जी को मंगलवार के दिन बेसन के लड्डूओं का भोग लगाना चाहिए। कहते हैं ऐसा करने से हनुमान जी भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं। कहा जाता है कि पीली चीजें बजरगंबली को बहुत पसंद है। 
  3. पान-आपने सुनी होगी एक प्रचलित लोकोक्ति 'बीड़ा उठाना'। इसका अर्थ होता है- कोई महत्वपूर्ण या जोखिमभरा काम करने का उत्तरदायित्व अपने ऊपर लेना। यदि आपके जीवन में कोई घोर संकट है या ऐसा काम है जिसे करना आपके बस का नहीं है, तो आप अपनी जिम्मेदारी हनुमानजी को सौंप दें। इसके लिए आप मंगलवार के दिन किसी मंदिर में पूजा-पाठ करने के बाद उन्हें पान का बीड़ा अर्पित करें। 
  4. सिंदूर-हनुमान जी को सिंदूर अति प्रिय है। मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी को सिंदूर अर्पित किया जाता है। सिंदूर में चमेली के तेल को मिलाकर हनुमान जी को लगाया जाता है।
  5. इमरती-इमरती का भोग लगाने से संकटमोचन अत्यंत प्रसन्न होते हैं। बताया जाता है कि आपकी जो भी मनोकामनाएं हैं, वे पूर्ण हो जाएंगी। बस मंगलवार के दिन हनुमानजी को इमरती चढ़ा कर उनसे आशीर्वाद ले लें। 
  6. लौंग, इलायची और सुपारी-हनुमानजी को लौंग, इलायची और सुपारी भी पसंद है। शनिवार के दिन लौंग, सुपारी और इलायची चढ़ाने से शनि का कष्ट दूर हो जाता है। कच्ची घानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करें, संकट दूर होगा और धन की भी प्राप्ति होगी।
  7. चमेली का फूल-चमेली का तेल हनुमानजी को चढ़ाने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं। हर मंगलवार चमेली के तेल का दीपक जलाकर चमेली का तेल और फूल चढ़ाने से हनुमानजी की कृपा से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

हनुमान जी का पाठ कैसे किया जाता है

हनुमान चालीसा को सुबह या शाम के समय लाल रंग के आसान पर बैठकर पढ़ सकते हैं. हनुमान चालीसा को सात बार पढ़ने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. हनुमान चालीसा में दोहा है की ‘भूत पिशाच निकट नहीं आवै महावीर जब नाम सुनावै’। डर और भय से छुटकारा पाने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना बेहद ही फायदेमंद माना जाता है. हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद उनकी आरती जरूर करें.

हनुमान जी की रोज पूजा कैसे करें

सबसे पहले धूप-दीप या दीया जलाकर भगवान राम और माता सीता की पूजा आराधना करें इसके बाद श्री हनुमान की पूजा करें. पूजा के दौरान श्री हनुमान को लाल वस्त्र, सिंदूर और लाल फूल अर्पित करें. अब रूई में चमेली का तेल डालकर भगवान हनुमान के सामने रख दें. कथा, सुंदर काण्ड और हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद आरती करें.

श्री हनुमान चालीसा - जय हनुमान ज्ञान गुन सागर

॥ दोहा ॥

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥

॥ चौपाई ॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥

रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै॥

शंकर सुवन केसरी नंदन।।
तेज प्रताप महा जगवंदन॥

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥

भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे॥

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥

जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना॥

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै॥

भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।।
महावीर जब नाम सुनावै ॥

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥

साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै॥

अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥

जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥

॥ दोहा ॥

पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप॥
जय श्री राम

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