शिव शंकर की आरती सत्य, सनातन, और शिव और शंकर मे क्या अंतर है , Shiv Shankar's Aarti Satya, Sanatan, and what is the difference between Shiva and Shankar

शिवशंकर की आरती सत्य, सनातन, और शिव और शंकर मे क्या अंतर है

शिव और शंकर मे क्या अंतर है 

शिव और शंकर में कोई अंतर नहीं है, एक ही भगवान के दो नाम हैं। हाँ एक छोटा सा अंतर है, भगवान शिव निराकार, निर्गुण हैं। जब वे भगवान शिव निराकार से साकार रूप धारण कर लेते हैं तो वे शंकर कहलाते हैं। आज कल इसी छोटे से अंतर को कुछ लोग समझ नहीं पाते और उन्हें लगता हैं कि शिव और शंकर अलग अलग हैं। अज्ञानी लोग कहते हैं कि शंकर शिव पे ध्यान लगाते हैं, यह उनकी मूर्खता है, क्योंकि शंकर स्वयं भगवान शिव ही हैं। शिव शंकर एक ही परमात्मा के दो पहलु है, शिवलिंग जो है वो शिव जी के निराकार होने को दर्शता है। वही अगर शिव शंकर की बात करें तो वे उनका साकार रूप है, जिसमें वे लीला करते हैं.. जैसे राक्षसों का वध, विष पीना इत्यादि। निराकार स्वरुप बताता है कि शिव हर जगह हैं.. आप अपने घर में छोटी सी जगह पर भी शिवलिंग रख सकते हैं.. वही शिव जी की मूर्ति की बात करें तो उसके लिए आपको जगह चाहिए होती है। वैसे आप शिवलिंग की पूजा करें या शिव मूर्ति की, बात एक ही है.. महादेव तो भोले हैं, किसी भी तरीके से पूजिये, प्रसन्न हो जायेंगे।
Shiv Shankar's Aarti Satya, Sanatan, and what is the difference between Shiva and Shankar

( श्री शिवशंकरजी की आरती )

हर हर हर महादेव !
सत्य, सनातन, सुन्दर, शिव सबके स्वामी।
अविकारी अविनाशी, अज अन्तर्यामी।।
हर हर हर महादेव !
अदि, अनन्त, अनामय, अकल, कलाधारी ।
अमल,अरुप, अगोचर, अविचल,अधहारी ।।
हर हर हर महादेव !
ब्रम्हा, विष्णु, महेश्वर तुम त्रिमूर्तिधारी ।
कर्ता, भर्ता, धर्ता, तुम ही संहारी ।।
हर हर हर महादेव !
रक्षक, भक्षक, प्रेरक, प्रिय औढरदानी ।
साक्षी, परम अकर्ता, कर्ता अभिमानी ।।
हर हर हर महादेव !
मणिमय-भवन निवासी, अति भोगी रागी ।
सदा शमशान विहारी, योगी वैरागी ।।
हर हर हर महादेव !
छाल-कपाल, गरल-गल, मुण्डमाल व्याली ।
चिता भस्मतन त्रिनयन, अयनमहाकाली ।।
हर हर हर महादेव !
प्रेत-पिशाच-सुसेवित, पीत जटाधारी ।
विवसन विकट रुपधर, रुद्र प्रलयकारी ।।
हर हर हर महादेव !
शुभ्र-सौम्य, सुरसरिधर, शशिधर, सुखकारी ।
अतिकमनीय, शान्तिकर, शिवमुनि मन हारी ।।
हर हर हर महादेव !
निर्गुण, सगुण, निरंजन, जगमय नित्य प्रभो ।
कालरुप केवल हर ! कालातीत विभो ।।
हर हर हर महादेव !
सत् ,चित्, आनन्द, रसमय ,करुणामय धाता ।
प्रेम-सुधा-निधि प्रियतम, अखिल विश्व त्राता ।।
हर हर हर महादेव !
हम अतिदीन, दयामय !चरण-शरण दीजे ।
सब विधि निर्मल मति कर, अपना कर लीजे ।।
हर हर हर महादेव !

!! जय शिव शंकर.. !!

भगवान शिव की आराधना का मूल और सबसे सरल मंत्र है 

  • ॐ नमः शिवाय' 
अर्थात मैं अपने आराध्य भगवान शिव को नमन करता हूं। इसके बाद दूसरा मंत्र है महामृत्युंजय मंत्र। महामृत्युंजय मंत्र को प्रायः किसी भी प्रकार के भय से मुक्ति पाने के लिए, मृत्यु के भय से मुक्ति पाने के लिए या शत्रु के भय से मुक्ति पाने के लिए जपा जाता है। यदि आप पूरे सावन के महीने में इस महामृत्युंजय मंत्र की एक माला का जाप सुबह शिव पूजन के समय करेंगे तो आपको किसी भी प्रकार के भय से मुक्ति मिलने में सहायता प्राप्त होगी। यह मंत्र इस प्रकार है।
  • ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
  •  उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
यह मंत्र बहुत ही शक्तिशाली है। कहते हैं कि इस शक्तिशाली मंत्र के अखंड जप से मृत्यु भी दूर हो जाती है। ऐसी एक पौराणिक कथा प्रचलित है कि इस मंत्र की रचना ऋषि मार्कंडेय ने की थी। यह कथा मैं यहां पाठकों की जानकारी के लिए बताना चाहता हूं।

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