ॐ जय बृहस्पति देवा,श्री बृहस्पतिवार की आरती shree brhaspativaar kee aaratee

श्री बृहस्पतिवार की आरती

श्री बृहस्पतिवार

बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। आज के दिन श्री हरि विष्णु के बृहस्पति रूप का पूजन किया जाता है। बृहस्पति देव देवताओं के गुरू माने जाते हैं। साथ ही वह भगवान विष्णु के अंशावतार माने जाते हैं। आज बृहस्पति देव का पूजन करने से ज्ञान, गुण, विवेक की प्राप्ति होती है। जिस साधक की कुंडली में बृहस्पति कमजोर स्थिति में है यदि वह आज व्रत रखेगा तो उसके सभी कष्ट दूर होंगे। बृहस्पति देव के पूजन के दौरान हल्दी,गुड़ और चने का भोग लगाना चाहिए।  इस दिन भक्त सुबह-शाम उनकी आरती भी करते हैं। ऐसा करने से घर-परिवार में शांति बनी रहती है और घर में खुशियों का वास होता है। माना जाता है कि भगवान विष्णु प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। जिससे भक्तों को धन-धान्य की कमी नहीं रहती है। भगवान बृहस्पति की आरती करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है
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आप व्रत को विधि के साथ करते है तो आपको अच्छे कामना मिलते है| और वह विधि कुछ इस प्रकार है-

  1. सुबह उठकर आपको सबसे पहले स्नान कर लेनी है|
  2. फिर आपको वृहस्पति देव की पूजा करनी है|
  3. वृहस्पति देव के पूजा के लिए पिली मिठाई, पिली चावल, पीले फूल, हल्दी और चने की दाल आदि सब चढ़ा कर किया जाता है|
  4. इसी दिन केले के पेड़ का पूजा भी किया जाता है और उसमें हल्दी वाला जल चढ़ाया जाता है|
  5. फिर आपको सच्चें मन से व्रत कथा को पढ़ना है, ताकि वृहस्पति देव की कृपा हमेशा बना रहें|
  6. इस दिन पिली चीज का दान अति सुभ माना जाता है|

श्री बृहस्पतिवार की आरती !! Brihaspativar Vrat Katha Aarti !!


ॐ जय बृहस्पति देवा

ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
 
 
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
 
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
 
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
 
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
 
सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
 
जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे।
जेष्टानंद बंद सो-सो निश्चय पावे।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

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