महाशिवरात्रि व्रत 2024 ! पूजा का शुभ मुहूर्त ! निशीथ काल ! Mahashivratri fast 2024! Auspicious time for puja! Nishith Kaal!
महाशिवरात्रि व्रत 2024 ! पूजा का शुभ मुहूर्त ! निशीथ काल !
महाशिवरात्रि व्रत 2024 !
महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस बार यह चतुर्दशी 8 मार्च 2024 शुक्रवार को रहेगी। आओ जानते हैं कि महाशिवरात्रि मनाने के क्या है शास्त्र सम्मत नियम। नियम से पूजा आरती या अनुष्ठान करेंगे तो शिवजी और मां पार्वती का आशीर्वाद मिलेगा।
Mahashivratri fast 2024! Auspicious time for puja! Nishith Kaal! |
महाशिवरात्रि व्रत की महिमा
व्रत के विषय में यह मान्यता है कि इस व्रत को जो जन करता है, उसे सभी भोगों की प्राप्ति के बाद, मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह व्रत सभी पापों का क्षय करने वाला है. व इस व्रत को लगातार 14 वर्षो तक करने के बाद विधि-विधान के अनुसार इसका उद्धापन कर देना चाहिए.
महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प
व्रत का संकल्प सम्वत, नाम, मास, पक्ष, तिथि-नक्षत्र, अपने नाम व गोत्रादि का उच्चारण करते हुए करना चाहिए. महाशिवरात्री के व्रत का संकल्प करने के लिये हाथ में जल, चावल, पुष्प आदि सामग्री लेकर शिवलिंग पर छोड दी जाती है.
महाशिवरात्रि व्रत प्रारम्भ
- चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ- 08 मार्च 2024 को रात्रि 09:57 बजे
- चतुर्दशी तिथि समाप्त- 09 मार्च 2024 को 06:17 बजे।
- निशीथ काल पूजा समय- रात्रि (मार्च 09) 12:07 am से 12:56am.
पूजा का शुभ मुहूर्त
- अभिजीत मुहूर्त:- दोपहर 12:08 से 12:56 तक।
- विजय मुहूर्त:- दोपहर 02:30 से 03:17 तक।
- गोधूलि मुहूर्त:- शाम 06:23 से 06:48 तक।
- सायाह्न सन्ध्या:- शाम 06:25 से 07:39 तक।
- अमृत काल:- रात्रि 10:43 से 12:08 तक।
- सर्वार्थ सिद्धि योग:- सुबह 06:38 से 10:41 तक।
- निशिता मुहूर्त:- रात्रि 12:07 से 12:56 तक।
! महाशिवरात्रि !रात्रि पूजा के लिए चार प्रहर का समय
- रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय- शाम 06:25 से रात्रि 09:28 के बीच।
- रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय- रात्रि 09:28 से 12:31 के बीच (09 मार्च)।
- रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय- रात्रि (09 मार्च) 12:31 से 03:34 के बीच।
- रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय- रात्रि (09 मार्च 03:34 से 06:37 के बीच।
! महाशिवरात्रि ! पूजा और व्रत के नियम
- जिस दिन चतुर्दशी निशीथव्यापिनी तो उसी दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाते हैं। क्योंकि महाशिवरात्रि की मुख्य पूजा निशीथ काल में होती है।
- निशीथ काल हमेशा मध्यरात्रि में 12 बजे के आसपास ही रहता है।
- रात्रि काल के आठवें मुहूर्त क निशीथ काल कहते हैं। यानी चतुर्तशी तिथि में आठवां मुहूर्त पड़ रहा हो तो उस दिन महाशिवरात्रि मनाने का शास्त्रोक्त नियम है।
- 8 मार्च को रात्रि को ही चतुर्दशी तिथि में निशीथकाल रहेगा इसलिए महाशिवरात्रि 8 मार्च को ही मनाई जाएगी। इसमें उदयातिथि का महत्व नहीं रहता है।
- यदि चतुर्दशी तिथि दूसरे दिन निशीथकाल के पहले हिस्से को छुए और पहले दिन पूरे निशीथ को व्याप्त करे, तो पहले दिन ही महाशिवरात्रि मनाते हैं।
- उपर्युक्त दो स्थितियों को छोड़कर बाकी अन्य स्थिति में व्रत अगले दिन ही रखा जाता है।
- शिवरात्रि के एक दिन पहले यानी त्रयोदशी तिथि के दिन केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करके व्रत प्रारंभ करना चाहिए।
- अगले दिन यानी चतुर्दशी के दिन सुबह नित्य कर्म करने के पश्चात्, पूरे दिन के व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- व्रत के संकल्प के दौरान यदि आपकी कोई प्रतिज्ञा और मनोकामना है तो उसे दोहराना चाहिए।
- निशीथकाल की पूजा के बाद अगले दिन ही व्रत खोलना चाहिए।
- महाशिवरात्रि पर सुबह से लेकर रात्रि तक हर प्रहर में शिवजी की पूजा होती है।
- तांबे या मिट्टी के लोटे में पानी या दूध लेकर ऊपर से बेलपत्र, आंकड़श, धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए।
- शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय' का जाप करना चाहिए।
- महाशिवरात्रि के सन्ध्याकाल स्नान करने के पश्चात् ही पूजा करने और मन्दिर जाने का महत्व है।
- अंत में निशीथ काल में विधि विधान से शिवजी की पूजा करना चाहिए।
- रात्रि के चारों प्रहर की पूजा करना चाहते हैं तो ऊपर पूजा का समय दिया गया है।
! महाशिवरात्रि ! दिन के आठ प्रहर
हिन्दू धर्म में समय की धारणा बहुत ही वृहत्त तौर पे रही है। जो वर्तमान में सेकंड, मिनट, घंटे, दिन-रात, माह, वर्ष, दशक और शताब्दी तक सीमित हो गई है।
लेकिन हिन्दू धर्म में एक अणु, तृसरेणु, त्रुटि, वेध, लावा, निमेष, क्षण, काष्ठा, लघु, दंड, मुहूर्त, प्रहर या याम, दिवस, पक्ष, माह, ऋतु, अयन, वर्ष (वर्ष के पांच भेद- संवत्सर, परिवत्सर, इद्वत्सर, अनुवत्सर, युगवत्सर), दिव्य वर्ष, युग, महायुग, मन्वंतर, कल्प, अंत में दो कल्प मिलाकर ब्रह्मा का एक दिन और रात, तक की वृहत्तर समय पद्धति निर्धारित है।
आठ प्रहर : हिन्दू धर्मानुसार दिन-रात मिलाकर 24 घंटे में आठ प्रहर होते हैं। औसतन एक प्रहर तीन घंटे या साढ़े सात घटी का होता है जिसमें दो मुहूर्त होते हैं।एक प्रहर एक घटी 24 मिनट की होती है।दिन के चार और रात के चार मिलाकर कुल आठ प्रहर।
- दिन के चार प्रहर-
- पूर्वान्ह,
- मध्यान्ह,
- अपरान्ह
- सायंकाल।
- रात के चार प्रहर-
- प्रदोष,
- निशिथ,
- त्रियामा
- उषा।
आठ प्रहर : एक प्रहर तीन घंटे का होता है।
सूर्योदय के समय दिन का पहला प्रहर प्रारंभ होता है जिसे पूर्वान्ह कहा जाता है। दिन का दूसरा प्रहर जब सूरज सिर पर आ जाता है तब तक रहता है जिसे मध्याह्न कहते हैं। इसके बाद अपरान्ह (दोपहर बाद) का समय शुरू होता है, जो लगभग 4 बजे तक चलता है। 4 बजे बाद दिन अस्त तक सायंकाल चलता है। फिर क्रमश: प्रदोष, निशिथ एवं उषा काल। सायंकाल के बाद ही प्रार्थना करना चाहिए। अष्टयाम : वैष्णव मन्दिरों में आठ प्रहर की सेवा-पूजा का विधान 'अष्टयाम' कहा जाता है। वल्लभ सम्प्रदाय में मंगला, श्रृंगार, ग्वाल, राजभोग, उत्थापन, भोग, संध्या-आरती
तथा शयन के नाम से ये कीर्तन-सेवाएं हैं।
इसी के आधार पर भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रत्येक राग के गाने का समय निश्चित है।प्रत्येक राग प्रहर अनुसार निर्मित है।-
- प्रहर 1 -सुबह 6 बजे से 9 बजे तक वैरव, बंगाल वैरव, रामकली, विभास, जोगई, तोरी, जयदेव, सुबह कीर्तन, प्रभात भैरव,गुंकाली और कलिंगरा,
- प्रहर 2 - सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक: देव गांधार, भैरवी, मिश्र भैरवी, असावरी, जोनपुरी, दुर्गा, गांधारी, मिश्रा बिलावल, बिलावल, बृंदावानी सारंग, सामंत सारंग, कुरुभ, देवनागिरी
- प्रहर 3 - दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक गोर सारंग, भीमपलासी, पीलू, मुल्तानी, धानी,त्रिवेणी, पलासी, हंसकनकिनी
- प्रहर 4 - दोपहर 3 से शाम 6 बजे बंगाल का पारंपरिक कीर्तन, धनसारी, मनोहर, रागश्री, पुरावी, मालश्री, मालवी, श्रीटंक और हंस नारायणी
- प्रहर 5 - शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक यमन, यमन कल्याण, हेम कल्याण, पूर्वी कल्याण, भूपाली, पुरिया, केदार, जलधर केदार, मारवा, छाया, खमाज, नारायणी, दुर्गा, तिलक कामोद, हिंडोल, मिश्रा खमाज नट, हमीर
- प्रहर 6 - रात्रि 9 से 12 बजे तक सोरत, बिहाग, दर्श, चंपक, मिश्र गारा, तिलंग, जय जवान्ति, बहार, काफी, अरना, मेघा, बागीशारी, रागेश्वरी, मल्हाल, मिया, मल्हार
- प्रहर 7 - 12 बजे से 3 बजे तक मालगुंजी, दरबारी कनरा, बसंत बहार, दीपक, बसंत, गौरी, चित्रा गौरी, शिवरंजिनी, जैतश्री, धवलश्री, परज, माली गौरा, माड़, सोहनी, हंस रथ, हंस ध्वनि
- प्रहर 8 - सुबह 3 बजे से सुबह 6 बजे तक चंद्रकोस, मालकोस, गोपिका बसंत, पंचम, मेघ रंजिनी, भांकर, ललिता गौरी,ललिता, खाट, गुर्जरी तोरी, बाराती तोरी, भोपाल तोरी, प्रभाती कीर्तन !
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