नवरात्रि चतुर्थ दिन - मां कूष्मांडा आरती,मंत्र,स्तोत्र,स्तुति,कवच,Navratri Fourth Day - Maa Kushmanda Aarti,Mantr,Stotr,Stuti,Kavach
नवरात्रि चतुर्थ दिन - मां कूष्मांडा आरती,मंत्र,स्तोत्र,स्तुति,कवच
- नवरात्रि का चौथे दिन - मां कूष्मांडा
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है.मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है. इनके सात हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं. वहीं आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है.
Navratri Fourth Day - Maa Kushmanda Aarti,Mantr,Stotr,Stuti,Kavach |
नवरात्रि चतुर्थ दिन - मां कूष्मांडा आरती
कूष्माण्डा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिङ्गला ज्वालामुखी निराली।
शाकम्बरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुँचती हो माँ अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
नवरात्रि चतुर्थ दिन - मां कूष्मांडा के मंत्र
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है. इस दिन मां कूष्मांडा की स्तुति के लिए ये मंत्र बोला जाता है मां कूष्मांडा के मंत्र का जप करने से परिवार में खुशहाली आती है. इससे यश और बल में बढ़ोतरी होती है. आयु में वृद्धि होती है और स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहता है
- सरल मंत्र - ॐ कूष्माण्डायै नम:।
कुष्मांडा देवी के बीज मंत्र
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:
- या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
- ऐं ह्री देव्यै नम: वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥
नवरात्रि चतुर्थ दिन - मां कूष्मांडा स्तोत्र
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यसुंदरी त्वंहि दु:ख शोक निवारिणाम्।
परमानंदमयी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
नवरात्रि चतुर्थ दिन - मां कूष्मांडा स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढा अष्टभुजा कुष्माण्डा यशस्वनीम्॥
नवरात्रि के चौथा दिन मां कूष्मांडा कवच
नवरात्रि चतुर्थ दिन - मां कूष्मांडा कवच
हसरै मे शिर: पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।हसलकरीं नेत्रथ, हसरौश्च ललाटकम्॥
कौमारी पातु सर्वगात्रे वाराही उत्तरे तथा।
पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।
दिग्दिध सर्वत्रैव कूं बीजं सर्वदावतु॥
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