नवरात्रि तृतीयं दिन - मां चन्द्रघण्टा आरती,मंत्र,स्तोत्र,स्तुति,कवच,Navratri Third Day - Maa Chandraghanta Aarti,Mantr,Stotr,Stuti,Kavach

नवरात्रि तृतीयं दिन - मां चन्द्रघण्टा आरती,मंत्र,स्तोत्र,स्तुति,कवच

  • नवरात्रि तृतीयं दिन - मां चन्द्रघण्टा
नवरात्रि के तीसरे दिन 'ऊँ देवी चंद्रघण्टायै नमः' मंत्र का 108 बार जाप कर सकते हैं। मां चंद्रघंटा का प्रिय फूल: मां चंद्रघंटा को सफेद कमल या पीले रंग का फूल अर्पित कर सकते हैं। जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।

नवरात्रि तृतीयं दिन - मां चन्द्रघण्टा आरती

नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान। 
मस्तक पर है अर्धचंद्र, मंद मंद मंद मंद मुसकान॥

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम,पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती,चंद्र तेज किरणों में समाती।

क्रोध को शांत करने वाली,मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो,चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।

सुंदर भाव को लाने वाली,हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये,श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं,सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता,पूर्ण आस करो जगदाता।

कांचीपुर स्थान तुम्हारा,करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटूं महारानी,भक्त की रक्षा करो भवानी।

नवरात्रि तृतीयं दिन - मां चन्द्रघण्टा के मंत्र

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. इस दिन 'ऊँ देवी चंद्रघण्टायै नमः' मंत्र का 108 बार जाप किया जा सकता है. मां चंद्रघंटा को सफ़ेद कमल या पीले रंग का फूल अर्पित किया जा सकता है
  • मां चंद्रघंटा का बीज मंत्र है- 'ऐं श्रीं शक्तयै नम:
मां चंद्रघंटा के और मंत्र 
  • या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
  • पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

नवरात्रि तृतीयं दिन - मां चन्द्रघण्टा स्तोत्र

आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टम् मन्त्र स्वरूपिणीम्।
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायिनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥

नवरात्रि तृतीयं दिन - मां चन्द्रघण्टा स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:॥
पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता। 
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
नवरात्रि के तीसरा दिन मां चन्द्रघण्टा कवच

नवरात्रि तृतीयं दिन - मां चन्द्रघण्टा कवच

रहस्यं श्रुणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघन्टास्य कवचं सर्वसिध्दिदायकम्॥
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोध्दा बिना होमं।
स्नानं शौचादि नास्ति श्रध्दामात्रेण सिध्दिदाम॥
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च 
न दातव्यं न दातव्यं न दातव्यं कदाचितम्॥

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