बैसाखी का त्यौहार से जुड़े कुछ,महत्वपूर्ण बाते,Baisaakhee Ka Tyauhaar Se Jude Kuchh,Mahatvapoorn Baate

बैसाखी का त्यौहार से जुड़े कुछ,महत्वपूर्ण बातें

बैसाखी, वैशाख सौर मास का पहला दिन होता है. यह त्योहार हिंदुओं, बौद्ध और सिखों के लिए महत्वपूर्ण है. हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाने वाला यह त्योहार, वसंत ऋतु का आगमन माना जाता है. सिख लोग इसे नववर्ष के तौर पर भी मनाते हैं बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में संक्रमण करता है, इसलिए इसे मेष संक्रांति भी कहते हैं. इसी दिन महाराजा रणजीत सिंह को सिख साम्राज्य का प्रभार सौंपा गया था. इसी वजह से बैसाखी के दिन को बैसाखी के तौर पर मनाया जाने लगा ! बैसाखी के दिन लोग ढोल-नगाड़ों पर नाचते-गाते हैं. गुरुद्वारों को सजाया जाता है, भजन-कीर्तन कराए जाते हैं

Baisaakhee Ka Tyauhaar Se Jude Kuchh,Mahatvapoorn Baate

बैसाखी से जुड़ी ऐसी कुछ फैक्ट और महत्वपूर्ण बातें:-

  • बैसाखी का पर्व खासतौर से किसानों का त्योहार है। 
  • सिखों का नववर्ष बैसाखी के दिन ही शुरू होता है। 
  • बैसाखी को लेकर एक मान्यता यह भी है कि इस दिन जो व्यक्ति अपनी नई फसल से कुछ अनाज जरूरतमंद व्यक्ति को दान करता है तो उसके घर में हमेशा धन-धान्य भरा रहता है।

बैसाखी से जुड़े कुछ फैक्ट ये रहे:

  • बैसाखी, जिसे वैशाखी भी कहा जाता है, भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह वसंत फसल पर्व है.
  • बैसाखी, वैशाख महीने की शुरुआत का प्रतीक है. इस दिन सूर्य मेष राशि में संक्रमण करता है, इसलिए इसे मेष संक्रांति भी कहा जाता है.
  • बैसाखी, पारंपरिक रूप से हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाई जाती है.
  • बैसाखी, हिन्दुओं, बौद्धों, और सिखों के लिए महत्वपूर्ण है.
  • बैसाखी पर गंगा नदी में स्नान का बहुत महत्व है.
  • सिख धर्म के लोग इसे नववर्ष के रूप में मनाते हैं.
  • मान्यता है कि इसी दिन सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी.
  • बैसाखी को लेकर एक मान्यता यह भी है कि इस दिन जो व्यक्ति अपनी नई फसल से कुछ अनाज ज़रूरतमंद व्यक्ति को दान करता है, उसके घर में हमेशा धन-धान्य भरा रहता है.
  • पंजाब में लोग पकवान बनाते हैं, गुरुद्वारे जाकर गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ व कीर्तन करते हैं, नृत्य भांगड़ा करके खुशी मनाते हैं

बैसाखी का महत्व

यह पर्व इसलिए मनाया जाता है क्योंकि सिखों के तीसरे गुरु, गुरु अमर दास ने बैसाखी मनाने के लिए इसी दिन को चुना। इसके अलावा, नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर का 1699 में मुगलों द्वारा सार्वजनिक रूप से सिर कलम कर दिया गया था। 1699 में बैसाखी की पूर्व संध्या पर, नौवें सिख गुरु के पुत्रों ने सिखों को ललकारा और उन्हें अपने शब्दों और कार्यों से प्रेरित किया। उत्सव को गुरु गोबिंद सिंह के राज्याभिषेक और सिख धर्म के खालसा पंथ की नींव के रूप में मनाया जाता है।

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