Hanumant Bisa Mantra : श्री हनुमंत बीसा मंत्र और पाठ,Shri Hanumant Bisa Mantra Aur Paath

Hanumant Bisa Mantra : श्री हनुमंत बीसा मंत्र और पाठ

सर्व "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं हें ह्रों हँ: श्री हनुमन्ते नमः रं राम भक्त हं हनुमन्ता सिद्धि प्रदः सर्व संकटादि नाशकः अं अंजनीपुत्र आंजनेय मम सहाय कुरू कुरू स्वाहा ॥"


प्रायः हनुमान उपासना और साधना के रूप में संकट निवारण हेतु 'हनुमान चालीसा का पाठ करना श्रेयस्कर माना जाता है। यहां हम पाठकों के लिए इससे भी ज्यादा सहज उपाय के रूप में 'श्री हनुमंत बीसा प्रयोग' बता रहे हैं। इस बीसा का विधिवत् प्रयोग करने से जहां एक ओर साधक के समस्त कष्टों का सहज में ही निवारण हो जाता है वहीं दूसरी और इसकी नियमित साधना करते रहने से साधक को अनेकानेक अद्भुत और चमत्कारी पारलौकिक शक्तियां सहज में ही प्राप्त हो जाती हैं। योगीराज यशपाल भारती ने "हनुमंत बीसा" की रचना की थी जिसका प्रभाव भी हनुमान चालीसा की भांति ही है। किंतु स्थानाभाव के कारण उसे यहां प्रकाशित नहीं किया जा सका । विधि-श्री हनुमंत बीसा की जप विधि अत्यंत ही सहज और सरल है । परन्तु सावधानीपूर्वक विधि-विधान से प्रयोग करना अवश्य ही अपेक्षित है। सर्वप्रथम किसी भी मंगलवार को 'श्री हनुमंत बीसा यंत्र' को बनाकर एक फ्रेम में जड़वा लें। अब किसी साफ-सुथरे स्थान पर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर इस बीसा यंत्र को स्थापित कर दें। फिर माता जानकी(सीता) एवम्श्रीरामचंद्र भगवान की तस्वीर स्थापित करके पहले उनका पंचोपचार पूजन करें ।तत्पश्चात् सवा पाव का आटे का रोटड, दो लड्डू, पताका, लंगोट, जनेऊ, खड़ाऊँ, एक नारियल (जटादार), सिंदूर, चमेली का तेल तथा सवा रूपया किसी हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान जी की प्रतिमा को अर्पण कर दें। अब घर आकर बीसा यंत्र का पंचोपचार करें। पूजन पूजन के समय हनुमान बीसा मंत्र का लगातार जाप करते रहें। (साधना उत्तराभिमुख होकर तथा लाल कम्बल के आसन पर बैठकर ही करें।) (साधनाकाल में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें।) अब लयपूर्वक श्री हनुमंत बीसा मंत्र का सस्वर पाठ आरम्भ करें। पाठ समाप्ति पश्चात् वहीं सो जावें । इस प्रकार यह क्रिया बीस दिनों तक निरंतर करें। इक्कीसवें दिन हवन क्रिया करें जिसमें श्री हनुमंत बीसामंत्र का पाठ करते हुए इक्कीस आहुतियां देवें। इक्कीस ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देवें तथा अखण्ड रामायण का पाठ भी करावें ।इस प्रकार से विधिपूर्वक अनुष्ठान करने से साधक के समस्त संकटों का निवारण अवश्य ही हो जाएगा। यह एक सिद्ध अनुभूत सफल प्रयोग है।
Shri Hanumant Bisa Mantra Aur Paath

!! हनुमत् बीसा !! Shri Hanumant Paath !!

  • !! दोहा !!
राम भक्त विनती करूँ,सुन लो मेरी बात । 
दया करो कुछ मेहर उपाओ, सिर पर रखो हाथ ।।
  • !! चौपाई !!
जय हनुमन्त, जय तेरा बीसा,कालनेमि को जैसे खींचा ।।१॥ 
करुणा पर दो कान हमारो,शत्रु हमारे तत्क्षण मारो ।।२॥ 

राम भक्त जय जय हनुमन्ता, लंका को थे किये विध्वंसा ।।३ 
सीता खोज खबर तुम लाए, अजर अमर के आशीष पाए ।।४॥ 

लक्ष्मण प्राण विधाता हो तुम,राम के अतिशय पासा हो तुम ।।५॥ 
जिस पर होते तुम अनुकूला, वह रहता पतझड़ में फूला ।।६॥ 

राम भक्त तुम मेरी आशा, तुम्हें ध्याऊँ मैं दिन राता ।।७॥ 
आकर मेरे काज संवारो, शत्रु हमारे तत्क्षण मारो ।।८॥ 

तुम्हरी दया से हम चलते हैं, लोग न जाने क्यों जलते हैं ।।९॥ 
भक्त जनों के संकट टारे, राम द्वार के हो रखवारे ।।१०॥ 

मेरे संकट दूर हटा दो, द्विविधा मेरी तुरन्त मिटा दो ।।११॥ 
रुद्रावतार हो मेरे स्वामी, तुम्हरे जैसा कोई नाहीं ।।१२॥

ॐ हनु हनु हनुमन्त का बीसा, बैरिहु मारु जगत के ईशा ।।१३॥
तुम्हरो नाम जहाँ पढ़ जावे, बैरि व्याधि न नेरे आवे ।।१४॥

तुम्हरा नाम जगत सुखदाता, खुल जाता है राम दरवाजा ।।१५॥
संकट मोचन प्रभु हमारो, भूत प्रेत पिशाच को मारो ।।१६॥

अंजनी पुत्र नाम हनुमन्ता, सर्व जगत बजता है डंका ।।१७॥
सर्व व्याधि नष्ट जो जावे, हनुमद् बीसा जो कह पावे ।।१८॥

संकट एक न रहता उसको, हं हं हनुमंत कहता नर जो ।।१९॥
ह्रीं हनुमंते नमः जो कहता,उससे तो दुख दूर ही रहता ।।२०॥
  • !! दोहा !!
मेरे राम भक्त हनुमन्ता, कर दो बेड़ा पार ।
हूँ दीन मलीन कुलीन बड़ा, कर लो मुझे स्वीकार ।।

राम लषन सीता सहित, करो मेरा कल्याण ।
ताप हरो तुम मेरे स्वामी, बना रहे सम्मान ।।

प्रभु राम जी माता जानकी जी, सदा हों सहाई ।
संकट पड़ा यशपाल पे, तभी आवाज लगाई ।।

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