Jhulelal Aarti : श्री झूलेलाल आरती,Shri Jhulelal Aarti

(Jhulelal Aarti) : श्री झूलेलाल आरती,Shri Jhulelal Aarti Hindi

झूलेलाल, सिंधी हिन्दुओं के उपास्य देव हैं जिन्हें 'इष्ट देव' कहा जाता है. उनके उपासक उन्हें वरुण (जल देवता) का अवतार मानते हैं. पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारत के अन्य प्रांतों में आकर बस गए हिंदुओं में झूलेलाल को पूजने का प्रचलन ज्यादा है श्री झूलेलाल जी की आरती पढ़ने से जीवन से संकट, बाधा, दुःख, कष्ट, विपत्ति आदि दूर हो जाते हैं. झूलेलाल का असली नाम उदयचंद है. नसरपुर के ठाकुर रतनराय के घर माता देवकी ने चैत्र शुक्ल द्वितीया, संवत्‌ 1007 को बालक को जन्म दिया एवं बालक का नाम उदयचंद रखा गया !

Jhulelal Aarti : श्री झूलेलाल आरती,Shri Jhulelal Aarti

श्री झूलेलाल आरती,(Shri Jhulelal Aarti)

ॐ जय दूलह देवा,
साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी,
सिदुक रखी सेवा ॥
तुहिंजे दर दे केई,
सजण अचनि सवाली ।
दान वठन सभु दिलि,
सां कोन दिठुभ खाली ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥
अंधड़नि खे दिनव,
अखडियूँ – दुखियनि खे दारुं ।
पाए मन जूं मुरादूं,
सेवक कनि थारू ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥
फल फूलमेवा सब्जिऊ,
पोखनि मंझि पचिन ।
तुहिजे महिर मयासा अन्न,
बि आपर अपार थियनी ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥
ज्योति जगे थी जगु में,
लाल तुहिंजी लाली ।
अमरलाल अचु मूं वटी,
हे विश्व संदा वाली ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥
जगु जा जीव सभेई,
पाणिअ बिन प्यास ।
जेठानंद आनंद कर,
पूरन करियो आशा ॥
ॐ जय दूलह देवा,
साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी,
सिदुक रखी सेवा ॥

श्री झूलेलाल जी की आरती के बारे में कुछ फ़ैक्ट

  • धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जो भी व्यक्ति श्री झूलेलाल जी की आरती पढ़ता और सुनता है, उसे जल से जुड़ी कोई बीमारी नहीं होती
  • रोज़ाना श्री झूलेलाल जी की आरती पढ़ने से जीवन से संकट, बाधा, दुःख, कष्ट, विपत्तियां दूर हो जाती हैं
  • सिंधी समाज के लोग व्यापार से जुड़ी जल यात्राओं के दौरान जल देवता झूलेलाल से प्रार्थना करते थे. यात्रा सफल होने पर भगवान झूलेलाल का आभार व्यक्त किया जाता था. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए चेटीचंड का त्योहार मनाया जाता है
  • श्री झूलेलाल जी की आरती में ये पंक्तियां हैं
  • जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा
  • पूजा कनि था प्रेमी,सिदिकु रखी शेवा
  • जय तुहिंजे दर दे केई, सज॒ण अचनि सुवाली
  • दानु वठनि सभु दिलि सां कोन डि॒ठुमि खाली
  • जय अंधिड़नि खे डीं॒ अखड़ियूं दुखियुनि खे दारूं
  • मन जूं पाए मुरादूं

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