Kamada Ekadashi : कामदा एकादशी व्रत कथा और फ़ायदे,Kamada Ekadashi Vrat Katha Aur Phaayade

Kamada Ekadashi : कामदा एकादशी व्रत कथा औरफ़ायदे,Kamada Ekadashi Vrat Katha Aur Phaayade

  • कामदा एकादशी(Kamada Ekadashi)

पद्म पुराण के मुताबिक, कामदा एकादशी का व्रत करने से ब्रह्महत्या और अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है. इस एकादशी की कथा पढ़ने या सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है कामदा एकादशी की रात्रि में शुद्ध घी का दीपक भगवान विष्णु के समीप प्रज्ज्वलित करने से मोक्ष प्राप्त होता है
Kamada Ekadashi Vrat Katha Aur Phaayade

 कामदा एकादशी व्रत कथा

पुलकित मन से भगवान् श्री कृष्ण को नमस्कार करने के बाद धर्मराज युद्धिष्ठिर ने भगवान् कृष्ण से प्रार्थना की हे महाराज ! अब मेरी इच्छा चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के नाम, महात्म्य, पूजा-विधान आदि के बारे में विस्तार  पूर्वक जानने की है। तब भगवान् कृष्ण ने कहा- हे राजन् ! यही प्रश्न एक बार  महाराज दिलीप ने महर्षि वशिष्ठ जी ने जो कथा महाराज दिलीप को सुनाई थी, वही मैं आपको सुनाता हूँ। बहुत समय पहले की बात है रत्नपुर नगर पर अनेक ऐश्वर्यों से युक्त पुण्डरीक नाम का एक राजा राज्य करता था। रत्नपुर नगर में अनेक अप्सरा, किन्नर तथा गन्धर्व वास करते थे । उनमें ललित और ललिता नामक पति-पत्नि भी थे। उन दोनों में अत्यन्त प्रेम था। थोड़े समय के लिए भी दोनों अलग नहीं हो सकते थे। एक बार पुण्डरीक की सभा में अन्य गन्धर्वों के साथ ललित भी गाना गा रहा था।  गाते-गाते उसे अपनी प्रियतम ललिता का ध्यान आ गया। इससे उसके गायन का स्वरूप बिगड़ गया। ललित के मन का भाव जानकर कर्कोट नामक नाग ने पद भंग होने का कारण राजा से कह दिया। तब पुण्डरीक ने क्रोधपूर्वक कहा कि तू मेरे सामने गाता हुआ अपनी स्त्री का स्मरण कर रहा है अतः तू कच्चामांस और मनुष्यों को खाने वाला राक्षस बनकर अपने किये कर्म का फल भोग । पुण्डरीक के श्राप से ललित उसी समय विकराल राक्षस हो गया। उसका मुख अत्यन्त भयंकर नेत्र, सूर्य और चन्द्रमा  की तरह प्रदीप्त तथा मुख से अग्निनिकलने लगी। सिर के बाल पर्वत पर खड़े वृक्षों के सामन तथा भुजाएं अत्यन्त लम्बी हो गई। इस प्रकार उसका शरीर आठ योजन लम्बा हो गया । राक्षस बनकर अनेक कष्टों को भोगता हुआ जंगल में भटकने लगा । अब तो उसकी स्त्री ललिता भी अत्यन्त दुखी होकर उसके पीछे-पीछे भटकने लगी। वह सदैव अपने पति को इस श्राप से मुक्ति दिलाने के बारे में सोचती रहती । एक दिन वह अपने पति के पीछे-पीछे चलते हुए विन्ध्याचल पर्वत पर श्रृंगी ऋषि के आश्रम तक पहुँच गई। श्रृंगी ऋषि ने ललिता को देखकर पूछा- हे देवी ! तुम कौन हो और यहाँ किसलिए आई हो ? वह बोली- मुनिवर ! मेरा नाम ललिता है। मेरा पति राजा पुण्डरीक के श्राप से भयानक और विशालकाय राक्षस बन गया है। इसका मुझे बहुत दुःख है। मेरे पति के उद्धार के लिए कोई उपाय बतलाइए । ऋषि बोले  हे गंधर्व कन्या ! अब चैत्र शुक्ला एकादशी आने वाली है, जिसका नाम कामदा एकादशी है। उसका व्रत करने से मनुष्य के सब कार्य सिद्ध होते है। यदि तू कामदा एकादशी का व्रत करके उसके पुण्य को अपने पति को दे तो राजा का श्राप
भी अवश्यमेव शांत हो जायेगा और तेरा पति शीघ्र ही राक्षस योनि से मुक्ति प्राप्त होगा ! चैत्र शुक्ला एकादशी (कामदा) आने पर ललिता ने व्रत किया और द्वादशी को बाह्मणों के सामने अपने व्रत का फल अपने पति को देती हुई 'भगवान् से प्रार्थना करने लगी हे प्रभो! मैने जो यह व्रत किया है इसका फल मेरे पति को प्राप्त हो, जिससे वह राक्षस योनि से मुक्त हो जाए । एकादशी का फल देते ही उसका पति राक्षस योनि से मुक्त होकर अपने पुराने स्वरूप की प्राप्त हुआ और अनेक सुन्दर वस्त्राभूषणों से युक्त होकर ललिता के साथ विहार करने लगा । उसके पश्चात् वे दोनो एक दिव्य विमान में बैठकर स्वर्ग लोक को चले गए । वशिष्ट मुनि ने आगे कहा हे राजन् ! इस व्रत को विधिपूर्वक करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है तथा राक्षस आदि योनि भी छूट जाती है। संसार में इसके बराबर कोई व्रत नहीं है। इसकी कथा पढने या सुनने मात्र से ही वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है । 

कामदा एकादशी के कुछ और फ़ायदे

कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन विभिन्न मिष्ठान्न, फलों आदि से करने से समस्त सुख प्राप्त होते हैं. कामदा एकादशी के दिन गोदुग्ध या गोदुग्ध से बनी वस्तुएं फलाहार के रूप में ग्रहण करनी चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु गो गोघृत अर्पित करने से धन-सुख की प्राप्ति होती है. 

कामदा एकादशी के कुछ और फ़ायदे:-

  • व्यक्ति निरोगी रहता है.
  • राक्षस, भूत-पिशाच आदि योनि से छुटकारा मिलता है.
  • संकटों से मुक्ति मिलती है.
  • सौभाग्य प्राप्त होता है.
  • मोक्ष मिलता है.
  • विवाह बाधा समाप्त होती है.
  • धन और समृद्धि आती है.
  • शांति मिलती है.
  • मोह-माया और बंधनों से मुक्ति मिलती है.

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