माँ दुर्गा जी की आरती सम्पूर्ण अर्थ सहित,Maa Durga Ji Kee Aarti complete Arth Sahit

माँ दुर्गा जी की आरती सम्पूर्ण अर्थ सहित

मां दुर्गा की आरती का खास महत्व है. मान्यता है कि इससे मां खुश होती हैं और आपकी सेहत पर भी इसका सकारात्मक असर होता है. मां दुर्गा की साधना में लोग उनकी आरती का भी पाठ करते हैं. मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का भी जाप करें: - सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते,

Maa Durga Ji Kee Aarti complete Arth Sahit 

माँ दुर्गा जी की आरती (Maa Durga Ji Kee Aarti)

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवजी 
बोलो जय अम्बे गौरी ..
  • भावार्थ - 
हे माँ दुर्गा भवानी! अम्बे आपकी जय हो। हे माता श्यामा गौरी! आपकी जय हो। आपकी सदैव (हर दिन) सभी लोग आराधना करते हैं। हे माता! भगवान श्री हरि विष्णुजी, ब्रह्माजी और शिवजी सदैव आपका स्मरण कर आपको मान्यता देते हैं, आपकी पूजा करते हैं। हे! अम्बे आपकी जय हो।

माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को
मैया टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको
बोलो जय अम्बे गौरी ..
  • भावार्थ - 
हे माता दुर्गा! आपकी मांग में सिन्दूर शोभायमान हो रहा है। आपके माथे पर कस्तूरी से किया गया तिलक दमक रहा है। आपकी निर्विकार उज्ज्वल निर्मल दो आँखें चमकती हैं और आपकीकांतिमान काया चन्दन की गंध की तरह सुगंधित है। हे! अम्बे आपकी जय हो।

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे
मैया रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे
बोलो जय अम्बे गौरी ..
  • भावार्थ - 
हे माता दुर्गा ! आपका शरीर सोने की चमक की तरह चमक रहा है, आप भगवा (लाल) वस्त्र रंग के धारण करती हैं। लाल रंग के कनेर के फूल की माला आपके गले में शोभायमान है। हे! अम्बे आपकी जय हो।

केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी
मैया खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी
बोलो जय अम्बे गौरी ..
  • भावार्थ - 
हे माता दुर्गा ! आप अपने वाहन सिंह पर विराजने वाली हैं। आप हाथों में खड्ग अर्थात तलवार और खप्पर जिसमें ज्वाला जलते रहते है को धारण करने वाली हैं। आपकी देवता, मनुष्य और ऋषि-मुनिगण सभी गुणगान करते हुए सदैव सेवा करते हैं, जो भक्त आपकी भक्ति करते हैं उनके आप दुःखों का हरण कर लेती हैं। हे! अम्बे आपकी जय हो।

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती
मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति
बोलो जय अम्बे गौरी ..

भावार्थ - 
हे माता दुर्गा ! आपके कानों में पहने हुए कुण्डल और नाक के अग्र भाग में पहना हुआ मोती शोभायमान हो रहे हैं अर्थात् कानों की बालियाँ और नाक का मोती सुन्दर लग रहा है। ये ऐसे लग रहे हैं मानो करोड़ों सूर्य और चंद्रमा प्रकाशमान हो रहे हों। अर्थात आपके कान और नाक में पहने हुए गहने करोड़ों सूर्य और चंद्रमा की चमक से भी आगे हैं। हे! अम्बे आपकी जय हो।

शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर धाती
मैया महिषासुर धाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती
बोलो जय अम्बे गौरी ..
  • भावार्थ - 
हे दुर्गा माता! अपने दैत्य शुंभ और निशुंभ को अपने तेज प्रहार से मारकर दैत्य महिषासुर का भी घात अर्थात वध किया है और तीनों लोकों का उद्धार किया है। धुँए की तरह दृश्यमान होने वाले आपके नेत्र सदैव मदमस्त दिखाई देते हैं अर्थात ये नेत्र गौरवशाली लगते हैं। हे! अम्बे आपकी जय हो।

चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे
मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भय दूर करे
बोलो जय अम्बे गौरी ..
  • भावार्थ - 
हे दुर्गा माता ! आपने चुण्ड और मुण्ड नामक दैत्यों का संहार किया है। रक्तबीज का भी आपने अंत कर सभी का उद्धार किया है। मधु और कैटभ नाम के दो दुर्दात दैत्य भाइयों का भी आपने वध करके देवता गणों को भय से मुक्त किया है। हे! अम्बे आपकी जय हो।

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी
मैया तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी
बोलो जय अम्बे गौरी ..
  • भावार्थ - 
हे माता दुर्गा ! आप ही ब्रह्माणी अर्थात सरस्वती हो। आप ही रुद्राणी अर्थात पार्वती हो। और तुम ही कमला रानी अर्थात महालक्ष्मी हो। आपका शास्त्रों और वेदों में भी वर्णन है। हे माँ जगदम्बा आप भगवान शिव- शंकर की पटरानी अर्थात् भार्या हो। हे! अम्बे आपकी जय हो।

चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों
मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू
बोलो जय अम्बे गौरी ..
  • भावार्थ - 
हे जगदंबे भवानी दुर्गा माता! चौंसठ योगिनी आपका गुणगान करती हैं और भैरों बाबा मग्न होकर आपका जयकार करते हुए नृत्य करते हैं। आपके जयगान में ढोल, नगाड़े और डमरू बजते हैं। हे! अम्बे आपकी जय हो।

तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता
मैया तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता
बोलो जय अम्बे गौरी ..
  • भावार्थ - 
हे माँ भवानी! आप ही इस पूरे संसार की माता हो। आप ही सबका पालन-पोषण करने वाली हो। आप ही अपने भक्तों के दुःखों का हरण करने वाली हो। और आप ही सबको सुख-सम्पत्ति देने वाली हो। हे! अम्बे आपकी जय हो।

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी
मैया वर मुद्रा धारी
मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी
बोलो जय अम्बे गौरी ..
  • भावार्थ - 
हे माता दुर्गा ! आपकी चार भुजाएँ बहुत ही सुंदर और शोभा देने वाली हैं। आप वरदान देती हुई मुद्रा में बहुत ही शोभायमान प्रतीत हो रही हैं। आप उन स्त्री-पुरुषों अर्थात नर-नारियों को उनके मन के अनुसार फल प्रदान करती हो जो आपकी नित्य आराधना करते हैं। हे! अम्बे आपकी जय हो।

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती
मैया अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती
बोलो जय अम्बे गौरी ..
  • भावार्थ - 
हे माता कल्याणी! आपकी आरती सोने की थाल सजाकर की जाती है जिसमें धूपबत्ती, कपूर और दीपक सजाया जाता है। आप श्रीमालकेतु अर्थात् अरावली पर्वत का वह भाग जो कि चाँदी की तरह चमक प्रदान करने वाला है उसमें आप निवास करती हैं जहाँ करोड़ों रत्नों के प्रकाश से भी बढ़कर आपकी आरती का प्रकाश होता है। हे! अम्बे आपकी जय हो।

माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे
मैया जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे
बोलो जय अम्बे गौरी..
  • भावार्थ - 
हे जगत जननी माता! आपकी आरती को जो कोई भक्त अपने भक्तिभाव एवं श्रद्धाभाव से गाता है, उस पर आपकी कृपादृष्टि सदैव बनी रहती है। ऐसे भक्तों को आप सुख- समृद्धि प्रदान करती हैं। हे! अम्बे आपकी जय हो।

मां दुर्गा की आरती करने के कई लाभ होते हैं

  • इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है.
  • मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करने से जीवन भय और बाधारहित हो जाता है.
  • मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है.
  • आरती से घर की सारी नकारात्मकता बाहर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है.
  • नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की पूजा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है.
  • मां दुर्गा की आरती करने से आपकी सेहत पर भी इसका सकारात्मक असर होता है
  • मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है.

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