माँ महागौरी की आरती,Maa Mahagauri Ki Aarti

माँ महागौरी की आरती - जय महागौरी जगत की माया,जया उमा भवानी जय महामाया।

मां महागौरी, देवी दुर्गा के नौ रूपों में से आठवां रूप हैं. नवरात्रि के आठवें दिन उनकी पूजा की जाती है. हिंदू धर्म के मुताबिक, महागौरी अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति रखती हैं मां महागौरी का स्वरूप अत्यंत सौम्य है. इनका रंग गौर है और वस्त्र और आभूषण भी सफ़ेद ही हैं. इनकी चार भुजाएं हैं. इनके दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है. बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है. इनका वाहन बैल है ! देवीभागवत पुराण के मुताबिक, मां महागौरी ने तपस्या से गौर वर्ण प्राप्त किया था. उनकी उत्पत्ति के समय वह आठ वर्ष की थीं. इसलिए उनकी नवरात्रि के आठवें दिन पूजा की जाती है
Mahagauri Ki Aarti : Maa Mahagauri Ki Aarti

  • माँ महागौरी की आरती, Maa Mahagauri Ki Aarti

जय महागौरी जगत की माया। 
जया उमा भवानी जय महामाया।।

हरिद्वार कनखल के पासा। 
महागौरी तेरा वहां निवासा।।

चंद्रकली और ममता अंबे। 
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।

भीमा देवी विमला माता। 
कौशिकी देवी जग विख्याता।।

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। 
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।

सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया। 
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। 
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।

तभी मां ने महागौरी नाम पाया। 
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।

शनिवार को तेरी पूजा जो करता। 
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। 
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।

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