श्री हनुमानजी पूजा विधि मंत्र सहित पूजा के लाभ, Shri Hanuman ji Pooja Vidhi Mantr Sahit Pooja Ke Laabh

श्री हनुमानजी पूजा विधि मंत्र सहित पूजा के लाभ

हनुमान जी की पूजा से भक्त को शक्ति और उत्साह मिलता है. हनुमान जी का आशीर्वाद आपको बीमारियों से बचाते है और आपके स्वास्थ्य में सुधार होता है. हनुमान जी की कृपा से संकट और अलाओ बलाओ से मुक्ति मिलती है. हनुमान जी की भक्ति से व्यक्ति में साहस और आत्मविश्वास का संचार होता है. कहते हैं कि हनुमानजी की भिन्न-भिन्न प्रतिमा की उपासना से भिन्न-भिन्न फल की प्राप्ति होती है
सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार श्री हनुमानजी पूजन का कलयुग मैं अत्यंत ही महत्त्व है। श्री हनुमानजी शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले एवं फल देने वाले भगवानो में से एक हैं यदि कोई साधक सच्ची श्रद्धा से मंगलवार के दिन श्री हनुमानजी का पूजा विधि विधान पूर्वक करे तो निःसंदेह श्री हनुमानजी शीघ्र ही साधक के समस्त कष्ट व विघ्न हर कर साधक का जीवन सुख - समृद्धि धन - धान्य से भर देते हैं।

Shri Hanuman ji Pooja Vidhi Mantr Sahit Pooja Ke Laabh

पूजा से पहले ज़रूरी सामग्री का संग्रह सुनिश्चित कर लें :-

  • गंगाजल
  • लाल पुष्पों का हार
  • लाल कपडा/लंगोट
  • जल कलश
  • अक्षत ( साबुत चावल )
  • लाल पुष्पों का हार
  • पंचामृत
  • जनेऊ
  • सिन्दूर
  • चांदी का वर्क
  • भुने चने
  • गुड़
  • बनारसी पान का बीड़ा
  • तुलसी के पत्ते
  • इत्र
  • सरसो का तेल
  • चमेली का तेल
  • घी
  • दीपक
  • धूप
  • अगरबत्ती
  • कपूर
  • नारियल
  • केले

श्री हनुमान जी की पूजा विधि इस प्रकार है

  • सर्वप्रथम गणेश जी का स्मरण करें व धूप दीप दिखाएं । कलश जी का स्मरण करें व धूप दीप दिखाएं ।
  • मंदिर में घी की ज्योत जलाएं.
  • हनुमान जी का गंगाजल से अभिषेक करें.
  • अभिषेक करने के बाद एक साफ़ वस्त्र से हनुमान जी की प्रतिमा को पोछें.
  • सिंदूर और घी या चमेली के तेल को मिला लें.
  • हनुमान जी को चोला चढ़ाएं.
  • हनुमान जी के बाएं पांव में सबसे पहले चोला चढ़ाएं.
  • हनुमान जी को पंचामृत और जल से स्नान कराएं.
  • उन्हें वस्त्र अर्पित करें.
  • वस्त्रों के बाद आभूषण पहनाएं.
  • पुष्पमाला पहनाएं.
  • “ऊँ ऐं हनुमते रामदूताय नमः” मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमान जी को सिंदूर का तिलक लगाएं.
  • धूप व दीप अर्पित करें.
  • फूल अर्पित करें.
  • श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक लगाएं.
  • अपने हाथ में चावल व फूल लें और इस मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमान जी का ध्यान करें.
  • पूजा का समापन हनुमान जी की आरती के साथ करें.
  • अंत में हनुमान जी से प्रार्थना करें

श्री हनुमानजी पूजा विधि

यूँ तो पूजन आरम्भ विधि लम्बी है व सामान्य साधक के लिए सरल नहीं है किन्तु यहां हम पूजन विधि का सरलतम रूप प्रस्तुत कर रहे हैं। हनुमानजी का पूजन करते समय सबसे पहले कंबल या ऊन के आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। एक घी का एवं एक सरसो के तेल का दीपक जलाये, अगरबत्ती एवं धूपबत्ती जलाये।
  • पवित्रीकरण 
साधक बाएं हाथ में जल लेकर उसे दाहिने हाथ से ढक लें एवं मन्त्रोच्चारण के साथ जल को सिर तथा शरीर पर छिड़क लें। पवित्रता की भावना करें।

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपिवा ।।
यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्यभ्यन्तरः शुचिः ॥
ॐ पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु ।।

  • सकंल्प :
पूजन प्रारम्भ करने से पूर्व सकंल्प लें। संकल्प करने से पहले हाथों में जल, पुष्प एवं अक्षत ( साबुत चावल ) लें। सकंल्प में जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस वर्ष, उस वार, तिथि उस स्थान और अपने नाम को लेकर अपनी इच्छा बोलें।
  • ध्यान :
तत्पश्चात अपने दाहिने हाथ में अक्षत ( साबुत चावल ) व लाल पुष्प लेकर इस मंत्र से हनुमानजी का ध्यान करें -

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
ऊँ हनुमते नम: ध्यानार्थे पुष्पाणि सर्मपयामि।।

इसके बाद हाथ में लिए हुए अक्षत एवं पुष्प श्री हनुमानजी को अर्पित कर दें।
  • आवाह्न :
तत्पश्चात हाथ में कुछ पुष्प लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमानजी का आवाह्न करें -

उद्यत्कोट्यर्कसंकाशं जगत्प्रक्षोभकारकम्।
श्रीरामड्घ्रिध्याननिष्ठं सुग्रीवप्रमुखार्चितम्।।
विन्नासयन्तं नादेन राक्षसान् मारुतिं भजेत्।।
ऊँ हनुमते नम: आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि।।

अब हाथ में लिए हुए पुष्प श्री हनुमानजी को अर्पित कर दें।
  • आसन :
श्री हनुमानजी का आवाह्न करने के पश्चात उनको आसन अर्पित करने हेतु कमल अथवा गुलाब का लाल पुष्प अर्पित करें। आसन प्रदान करने के लिए अक्षत का भी उपयोग किया जा सकता हो  इस मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमानजी को आसन अर्पित करें -

तप्तकांचनवर्णाभं मुक्तामणिविराजितम्।
अमलं कमलं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम्।।

आसन अर्पित करने के पश्चात इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए श्री हनुमानजी के सम्मुख किसी बर्तन अथवा भूमि पर तीन बार जल छोड़ें।

ऊँ हनुमते नम:, पाद्यं समर्पयामि।।
अध्र्यं समर्पयामि। आचमनीयं समर्पयामि।।

  • स्नान एवं श्रृंगार :
अब सिंदूर में चमेली का तेल मिलाकर मूर्ति पर लेप करे। लेप पाँव से शुरू कर सर तक ले जाएँ, चांदी का वर्क मूर्ति पर लगाए, अब हनुमान जी को लाल लंगोट पहनाये, इत्र छिड़के, हनुमानजी के सर पर अक्षत सहित तिलक लगाए, लाल गुलाब और माला हनुमान जी को चढ़ाये, भुने चने एवं गुड़ का नैवेद्य लगाए, नैवेद्य पर तुलसी पत्र अवश्य रखे,  केले चढ़ाये, हनुमान जी को बनारसी पान का बीड़ा अर्पित करे, इसके बाद हनुमानजी को इत्र, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, पुष्प व पुष्प हार अर्पित करें।

श्री हनुमानजी के मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः

  • यश-कीर्ति के लिए हनुमान मंत्र
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।
  •  शत्रु पराजय के लिए-
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय रामसेवकाय रामभक्तितत्पराय रामहृदयाय लक्ष्मणशक्ति भेदनिवावरणाय लक्ष्मणरक्षकाय दुष्टनिबर्हणाय रामदूताय स्वाहा।
  • शत्रु पर विजय तथा वशीकरण के लिए-
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहरणाय सर्वरोगहराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
  • सर्वदुःख निवारणार्थ - श्री हनुमान मंत्र
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय आध्यात्मिकाधिदैवीकाधिभौतिक तापत्रय निवारणाय रामदूताय स्वाहा।
  • सर्वरुपेण कल्याणार्थ-
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय देवदानवर्षिमुनिवरदाय रामदूताय स्वाहा।
  • धन-धान्य आदि सम्पदाप्राप्ति के लिए-
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय भक्तजनमनः कल्पनाकल्पद्रुमायं दुष्टमनोरथस्तंभनाय प्रभंजनप्राणप्रियाय महाबलपराक्रमाय महाविपत्तिनिवारणाय पुत्रपौत्रधनधान्यादिविधिसम्पत्प्रदाय रामदूताय स्वाहा।
  • स्वरक्षा के लिए-
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय वज्रदेहाय वज्रनखाय वज्रमुखाय वज्ररोम्णे वज्रदन्ताय वज्रकराय वज्रभक्ताय रामदूताय स्वाहा।
  • सर्वव्याधि व भय दूर करने के लिए-
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय परयन्त्रतन्त्रत्राटकनाशकाय सर्वज्वरच्छेदकाय सर्वव्याधिनिकृन्तकाय सर्वभयप्रशमनाय सर्वदुष्टमुखस्तंभनाय सर्वकार्यसि‌द्धिप्रदाय रामदूताय स्वाहा।
  • भूत-प्रेत बाधा निवारणार्थ -
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय देवदानवयक्षराक्षस भूतप्रेत पिशाचडाकिनीशाकिनीदुष्टग्रहबन्धनाय रामदूताय स्वाहा।
  • शत्रु संहार के लिए श्री हनुमान मंत्र
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय पच्चवदनाय पूर्वमुखे सकलशत्रुसंहारकाय रामदूताय स्वाहा।

हनुमान जी की पूजा करने के कई लाभ बताए जाते हैं, जैसे:-

  • मन से भूत-प्रेत का डर निकल जाता है
  • बुरे कार्यों से दूरी बनती है
  • अध्यात्मिक बल के साथ शरीर में एक अलग प्रकार की ऊर्जा बनती है
  • तनाव और चिंता दूर हो जाती है
  • व्यापार व नौकरी में तरक्की के रास्ते खुल जाते हैं
  • बच्चों का पढ़ाई में मन लगता है
  • संतान की मनोकामना पूरी होती है
  • शनि की महादशा व साढ़े साती दूर होती है
  • धन प्राप्ति का लाभ मिलता है
  • शत्रु पर विजय प्राप्त होती है 

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