सूर्य देव के मंत्र सबसे प्रभावशाली,Soory Dev Ke Mantr Sabase Prabhaavashaalee
Soory Dev Ke Mantr Sabase Prabhaavashaalee |
- ॐ भास्कराय पुत्रं देहि महातेजसे ।
- धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात् ।।
- ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः ।।
- ॐ घृणि सूर्य आदिव्योम ||
- ॐ ह्रीं श्रीं आं ग्रहधिराजाय आदित्याय नमः ।
- दिव्यं गन्धाढ्य सुमनोहरम् ।
- वबिलेपनं रश्मि दाता चन्दनं प्रति गृह यन्ताम् ।।
- ॐ सहस्त्र शीर्षाः पुरुषः सहस्त्राक्षः सहस्त्र पाक्ष ।
- सभूमि वं सब्येत स्तपुत्वा अयतिष्ठ दर्शा गुलम् ।।
सूर्य देव के मंत्र पुत्र की प्राप्ति के लिए सूर्य देव के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए:-
ॐ भास्कराय पुत्रं देहि महातेजसे ।
धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात् ।।
हृदय रोग, नेत्र व पीलिया रोग एवं कुष्ठ रोग तथा समस्त असाध्य रोगों को नष्ट करने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:-
- ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः ।।
व्यवसाय में वृद्धि करने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए-
- ॐ घृणि सूर्य आदिव्योम ।।
अपने शत्रुओं के नाश के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
- शत्रु नाशाय ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।।
- ॐ ह्रां ह्रीं सः ।।
- ॐ ह्रीं श्रीं आं ग्रहधिराजाय आदित्याय नमः ।।
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान सूर्यदेव को चन्दन समर्पण करना चाहिए-
दिव्यं गन्धाढ्य सुमनोहरम् !इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को वस्त्रादि अर्पण करना चाहिए-
शीत वातोष्ण संत्राणं लज्जाया रक्षणं परम् !भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उन्हें यज्ञोपवीत समर्पण करना चाहिए-
इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को घृत स्नान कराना चाहिए-
भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें अर्घ्य समर्पण करना चाहिए-
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए प्रचंड ज्योति के मालिक भगवान दिवाकर को गंगाजल समर्पण करना चाहिए-
ॐ सर्व तीर्थं समूद भूतं पाद्य गन्धदि भिर्युतम् !इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को आसन समर्पण करना चाहिए-
विचित्र रत्नखचित दिव्या स्तरण सन्युक्तम् !भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उन्हें यज्ञोपवीत समर्पण करना चाहिए-
इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को घृत स्नान कराना चाहिए-
भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें अर्घ्य समर्पण करना चाहिए-
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए प्रचंड ज्योति के मालिक भगवान दिवाकर को गंगाजल समर्पण करना चाहिए-
इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को आसन समर्पण करना चाहिए-
विचित्र रत्नखचित दिव्या स्तरण सन्युक्तम् !
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